उप्र कौशल विकास मिशन दे रहा पीड़ित व गरीब महिलाओं को प्रशिक्षण का मरहम, पांच माह की ट्रेनिंग के बाद मिल रहा रोजगार

कानपुर रोड एलडीए कालोनी के लोक बंधु राजनारायण संयुक्त चिकित्सालय परिसर के रानी लक्ष्मी बाई आशा ज्योति केंद्र में महिलाओं को तकनीक की रोशनी देकर उनकी जिंदगी को संवारने की पहल शुरू हो चुकी है। युवतियों को नौकरी के अवसर उपलब्ध कराए जाते हैं।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 09:22 AM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 01:09 PM (IST)
उप्र कौशल विकास मिशन दे रहा पीड़ित व गरीब महिलाओं को प्रशिक्षण का मरहम, पांच माह की ट्रेनिंग के बाद मिल रहा रोजगार
रानी लक्ष्मीबाई आशा ज्योति केंद्र की ओर से महिलाओं को मिल रहा प्रशिक्षण।

लखनऊ, जितेंद्र उपाध्याय। कम पढ़ी लिखी और पीड़ित महिलाओं को पारंपरिक और आधुनिक तकनीक से जोड़कर उन्हें सामाजिक व आर्थिक रूप से सबल बनाने की पहल शुरू हो गई है। कानपुर रोड एलडीए कालोनी के लोक बंधु राजनारायण संयुक्त चिकित्सालय परिसर के रानी लक्ष्मी बाई आशा ज्योति केंद्र में महिलाओं को तकनीक की रोशनी देकर उनकी जिंदगी को संवारने की पहल शुरू हो चुकी है।

उप्र कौशल विकास मिशन की ओर से यहां खुले प्रशिक्षण केंद्र में महिलाओं को पारंपरिक कढ़ाई के कोर्स के साथ ही कंप्यूटर की ट्रेनिंग दी जा रही है। चार से पांच महीने की ट्रेनिंग देकर पीड़त और गरीब घरों की युवतियों को नौकरी के अवसर उपलब्ध कराए जाते हैं।

सोच के साथ बदलेगा समाज: घटना तो किसी के साथ हो सकती है, लेकिन उसके बाद उसके जीवन को संवारने की जिम्मेदारी समाज की है। महिलाओं को लेकर आम लोगों की सोच बदलेगी तो फिर समाज अपने आप बदल जाएगी। युवतियों को प्रशिक्षण देकर उनके जीवन में तकनीकी ज्ञान का उजाला लाने की पहल ही आशा ज्योति केंद्र का मकसद है।

ऐसे होता है प्रवेश: रानी लक्ष्मी बाई आशा ज्योति केंद्र के कौशल विकास सेंटर में आने वाली 14 से 35 वर्ष आयु वाली पीडि़त युवतियों और महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाता है। योग्यता और रुचि के अनुरूप प्रशिक्षण देकर युवतियों को अपने पैरों पर खड़ा होने लायक बनाया जाता है।

पीड़िताओं की मदद का संकल्प: आशा ज्योति केंद्र की प्रभारी अर्चना सिंह ने बताया कि 181 हेल्पलाइन निश्शुल्क सेवा करती है। सूचना पर तुरंत मदद के लिए टीम जाती है। मनोवैज्ञानिक और काउंसलर पीडि़त महिलाओं और युवतियों को समझाकर उनका ध्यान घटना से हटाने और नए जीवन की शुरुआत करने में मदद करते हैं। राजधानी में अपनी तरह के इकलौते केंद्र में अब तक एक हजार से अधिक पीडि़तों की मदद की जा चुकी है। प्रशिक्षण के माध्यम से पीडि़तों को सबल बनाया जा रहा है। केरोना काल

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