एमएसटी घोटाले में दोषी यूपी रोडवेज के अफसरों पर होगा मुकदमा, तीन साल पहले तीन क्षेत्रोंं में हुआ था गबन
तीन साल पहले रोडवेज के तीन क्षेत्रों में एमएसटी में आए लाखों रुपये का गबन हुआ था। इस मामले की जांच सतर्कता विभाग को सौंपी गई थी। जांच में चार एआरएम एक लेखाकर व वरिष्ठ केंद्र प्रभारी दोषी मिले।
लखनऊ, जेएनएन। रोडवेज बसों की एमएसटी के पैसों के गबन में सतर्कता विभाग की आई जांच में आधा दर्जन लोग दोषी पाए गए हैं। इनमें दो अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए एमडी ने मंजूरी दे दी है। जल्द ही सतर्कता विभाग दोषियों के खिलाफ धारा 409, 420, 120 बी के मामले में मुकदमा दर्ज कराएगा।
लगभग तीन साल पहले रोडवेज के तीन क्षेत्रों में एमएसटी में आए लाखों रुपये का गबन हुआ था। इस मामले की जांच सतर्कता विभाग को सौंपी गई थी। जांच में चार एआरएम, एक लेखाकर व वरिष्ठ केंद्र प्रभारी दोषी मिले। अब इन सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ अलग-अलग अभियोग में आगे की कार्रवाही की मंजूरी दे दी गई।
मामला वर्ष 2018 का है। जब अयोध्या क्षेत्र में बसों की एमएसटी से आ रही धनराशि का काफी कम पैसा जमा किया जाता था। जो पैसा आता था उसका हिसाब-किताब नहीं रखा जाता था। ट्राईमैक्स कंपनी के साथ मिलकर अधिकारियों ने एमएसटी के पैसों को परिवहन निगम के खाते में तय धनराशि से कम पैसा दिखा जमा कर दिया।
इन तीन रीजन में हुआ था 54 लाख 52 हजार का गोलमाल
इन पर हो रही कार्रवाई
अयोध्या रीजन के तत्कालीन एआरएम अविनाश चंद्रा व राकेश मोहन पांडेय के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। इसी रीजन के दो एआरएम वित्त सुशील कुमार श्रीवास्तव और दीपेंद्र सिंह के अतिरिक्त उन्नाव रीजन के तत्कालीन लेखाधिकारी सूर्यभान शुक्ला व पंकज कुमार तिवारी पर विभागीय कार्रवाई शुरू हो गई है।'
'एमएसटी प्रकरण में सतर्कता विभाग की जांच रिपोर्ट को देख लिया गया है। इसमें दोषी अफसरों के खिलाफ शासन की ओर से संस्तुति मांगी गई थी। इनमें दो एआरएम के खिलाफ अभियोग दर्ज करने शेष पर विभागीय कार्यवाही के लिए मंजूरी दे दी गई है।' धीरज साहू, प्रबंध निदेशक परिवहन निगम