UP MLC Election Results: शिक्षकों की सियासत में भी भाजपा ही 'गुरु', सधी रणनीति सब पर पड़ी भारी

UP MLC Election Results राजनीति के हर मैदान में विजय रथ दौड़ा रही भारतीय जनता पार्टी ने अंतत उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव के उस किले में भी सेंध लगा दी जहां अब तक शिक्षकों की ही पताका फहराती रही है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Fri, 04 Dec 2020 01:48 AM (IST) Updated:Fri, 04 Dec 2020 01:48 AM (IST)
UP MLC Election Results: शिक्षकों की सियासत में भी भाजपा ही 'गुरु', सधी रणनीति सब पर पड़ी भारी
उत्तर प्रदेश विधान परिषद शिक्षक व स्नातक निर्वाचन में भाजपा अपना दबदबा बनाने में कामयाब रही है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। राजनीति के हर मैदान में विजय रथ दौड़ा रही भारतीय जनता पार्टी ने अंतत: उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव के उस किले में भी सेंध लगा दी, जहां अब तक शिक्षकों की ही पताका फहराती रही है। लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तरह चली भगवा दल की रणनीति का ही असर है कि शिक्षक स्नातक निर्वाचन में न सिर्फ प्रतिद्वंद्वी विपक्षी दल, बल्कि शिक्षक संघों की सियासत के सबसे बड़े झंडाबरदार और 48 वर्ष से अजेय ओमप्रकाश शर्मा के वर्चस्व को तोड़ दिया है।

देर रात तक आए नतीजों ने ही साफ कर दिया कि विधान परिषद निर्वाचन में भाजपा अपना दबदबा बनाने में कामयाब रही है। शिक्षक व स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की 11 सीटों पर हुए चुनाव में राजनीतिक दलों की घुसपैठ ने शिक्षक संघों का वर्चस्व ध्वस्त कर दिया। मेरठ-सहारनपुर शिक्षक क्षेत्र से 48 वर्ष से लगातार जीतते आ रहे ओमप्रकाश शर्मा की करारी हार से माध्यमिक शिक्षक संघ की राजनीति में एक युग का अंत हो गया।

भाजपा की सधी रणनीति व संगठनात्मक सक्रियता और समाजवादी पार्टी के गणित के आगे शिक्षक राजनीति के सूरमा ढेर हो गए। शिक्षक क्षेत्र की छह सीटों में से चार पर भाजपा ने उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें मेरठ-सहारनपुर क्षेत्र में भाजपा के श्रीचंद शर्मा द्वारा ओमप्रकाश शर्मा का भारी अंतर से पिछाड़ना बड़ा राजनीतिक उलटफेर माना जा रहा है। श्रीचंद शर्मा ने प्रथम वरीयता के मतों की गिनती में शुरू से निर्णायक बढ़त बनाए रखी।

इसी तरह बरेली-मुरादाबाद सीट पर भाजपा के हरीसिंह ढिल्लों ने सपा के संजय मिश्रा को 7963 मतों से मात दी। भाजपा ने यह सीट सपा से छीनी है। ढिल्लों प्रथम चक्र से ही बढ़त बनाए रहे। लखनऊ में भाजपा के उमेश द्विवेदी ने चंदेल गुट के महेंद्रनाथ राय को पछाड़ दिया। इसके अलावा आगरा में भाजपा के दिनेश वशिष्ठ और निर्दल आकाश अग्रवाल के बीच कांटे की टक्कर रही। वाराणसी सीट पर चेतनारायण सिंह का पिछड़ना भाजपा के लिए जरूर झटका है क्योंकि यहां भाजपा ने अपना उम्मीदवार न उतारकर चेतनारायण सिंह को ही समर्थन दिया था। वहीं, गोरखपुर सीट पर भी भाजपा द्वारा उम्मीदवार न उतराने का लाभ धुव्र कुमार त्रिपाठी को मिलता दिखा।

भाजपा के पक्ष में आए इन नतीजों के पीछे संगठन की पूरी मेहनत है, जो अन्य राजनीतिक दलों को भी सियासी पाठ पढ़ाती नजर आ रही है। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और महामंत्री संगठन सुनील बंसल की जोड़ी फिर भाजपा के लिए कारगर सिद्ध हुई। विधान परिषद चुनाव में पहली बार पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया, जिसके पीछे करीब एक वर्ष से बूथ स्तर पर चल रही तैयारी है। वोट बनवाने से लेकर मतदान के दिन वोट डलवाने तक कार्यकर्ताओं ने टीम भावना से काम किया। कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन अवधि को छोड़ दें तो बाकी दिनों में संवाद-संपर्क का सिलसिला चलता रहा। वर्चुअल बैठकों के अलावा मंडल व जिला स्तरीय बैठकें होती रहीं। मंत्री, सांसद और विधायकों को भी चुनावी अभियान में जोड़ा गया।

chat bot
आपका साथी