वीआइपी स्‍टेटस के ल‍िए नहीं दी जा सकती सुरक्षा, UP सरकार की दलील पर हाई कोर्ट ने खार‍िज की याच‍िका

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने याचिका खारिज कर कहा कि वीआईपी स्टेटस जताने के लिए नहीं दी जा सकती टैक्सपेयर्स के पैसे से सुरक्षा। कोर्ट ने कहा सुरक्षा उन्हीं को मिले जो सामाजिक या राष्ट्रहित में करते हैं कार्य।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 09:47 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 08:03 AM (IST)
वीआइपी स्‍टेटस के ल‍िए नहीं दी जा सकती सुरक्षा, UP सरकार की दलील पर हाई कोर्ट ने खार‍िज की याच‍िका
सरकार ने कोर्ट में कहा क‍ि ऐसे तो फौजदारी का हर अधिवक्ता मांगेगा सुरक्षा।

लखनऊ, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में राज्य सरकार ने कहा कि यदि इस बात पर सुरक्षा मांगी जानी लगेगी कि याची किसी अदालत में फौजदारी की वकालत करता है या जनहित याचिकायें दाखिल करता है तो फिर तो ऐसे सभी वकीलों को सुरक्षा देनी पड़ेगी। यह कहकर सरकार ने लखनऊ खंडपीठ में वकालत करने वाले एक अधिवक्ता द्वारा सरकारी खर्चे पर सुरक्षा प्रदान करने की मांग का जोरदार विरोध किया। इस पर हाईकेार्ट ने न केवल वकील की याचिका खारिज कर दी अपितु सरकार को कई दिशा निर्देश देकर कहा कि वह सरकारी सुरक्षा देते समय उनका पालन सुनिश्चित करे।

जस्टिस रितुराज अवस्थी व जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि सुरक्षा केवल वीवीआईपी स्टेटस के लिए नहीं दी सकती। इसके लिए खतरा वास्तविक होना चाहिए और यह जानने के लिए सुरक्षा समिति को इंटेलिजेंस यूनिट व संबधित पुलिस की रिपेार्ट व व्यक्ति का इतिहास जरूर देखना चाहिए।

याची अधिवक्ता अभिषेक तिवारी ने याचिका दायर कर अप्रैल 2021 में पारित सरकार के उस आदेश केा चुनौती दी थी, जिसमें उच्च स्तरीय समिति के सुझाव के आधार पर उसकी अंतरिम सुरक्षा खत्म कर दी गयी थी। उसकी ओर से तर्क था कि वह हाई कोर्ट में फैाजदारी की वकालत करता है तथा जनहित याचिकायें दाखिल करता है अत: उसकी जान को खतरा रहता है और इसीलिए उसे सरकारी सुरक्षा प्रदान की जाए।

याचिका का विरेाध करते हुए सरकार के अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता अमिताभ राय का तर्क था कि याची के तर्क का मानने का अर्थ है कि सभी फैाजदारी के अधिवक्ताओं को सुरक्षा मिलनी चाहिए जो कि संभव नहीं है। कहा कि याची ने कोई दस्तावेज नहीं दिखाया जिससे लगे कि उसे जान का खतरा है। कहा कि याची का वाॢषक टैक्स रिटर्न चार लाख 50 हजार रुपये है। उसे पहले 10 प्रतिशत खर्चे पर जौनपुर से एक गनर मिला हुआ था। अब उसे लखनऊ से एक गनर चाहिए जबकि उसे कोई खतरा नहीं होने की रिपोर्ट है।

याचिका को खारिज करते हुए बेंच ने कहा कि किसी व्यक्ति से आपसी दुश्मनी सुरक्षा प्रदान करने के लिए कोई पैमाना नहीं हो सकती है। कोर्ट ने कहा कि प्राइेवट व्यक्ति को सरकारी सुरक्षा नहीं देनी चाहिए जब तक कि कोई अति महत्वपूर्ण आवश्यकता नहीं हो। सरकार को ऐसे लेागो को सुरक्षा प्रदान कर उनका कोई विशिष्ट वर्ग बनाने की आवश्यकता नहीं है। यह कहते हुए कोर्ट ने अपनी रजिस्ट्री को आदेश दिया कि इस फैसले की प्रति मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव गृह व डीजीपी को अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए भेजा जाए।

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