ब्लैक फंगस से बचाव व इलाज के लिए यूपी सरकार ने जारी की गाइडलाइन, ब्लड शुगर के नियंत्रण पर खास जोर

Black Fungus Treatment Guidelines कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के लिए ब्लैक फंगस खतरा बन गया। इससे बचाव व इलाज के लिए यूपी सरकार ने सभी जिलाधिकारियों व मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को गाइडलाइन जारी कर दी गई है। मधुमेह के नियंत्रण पर खास जोर दिया गया है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 08:23 PM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 05:46 PM (IST)
ब्लैक फंगस से बचाव व इलाज के लिए यूपी सरकार ने जारी की गाइडलाइन, ब्लड शुगर के नियंत्रण पर खास जोर
ब्लैक फंगस से बचाव और इलाज के लिए यूपी सरकार ने गाइडलाइन जारी की है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। Black Fungus Treatment Guidelines: कोरोना वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर में चुनौतियां बढ़ती ही जा रही हैं। फेंफड़ों में संक्रमण की गंभीर समस्या से बड़ी तादाद में जनहानि हुई। जैसे-तैसे संक्रमण दर को काबू किया जा रहा है कि इस बीच राईनोसेरेबल म्यूकरमाईकोसिस (ब्लैक फंगस) नाम का नया रोग सामने आ गया, जो कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के लिए खतरा बन गया। इससे बचाव और इलाज के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी जिलाधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों को गाइडलाइन जारी कर दी गई है। मधुमेह के नियंत्रण पर खास जोर दिया गया है।

उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण अमित मोहन प्रसाद की ओर से जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि कोरोना रोग से ग्रसित मरीजों में उपचार के बाद राईनोसेरेबल म्यूकरमाईकोसिस पाया जा रहा है। इसके कारण ब्लैक फंगस नाम के रोग से रोगी की मृत्यु भी हो रही है। इस रोग का प्रारंभिक अवस्था में पता लगाना इसके उपचार और बेहतर परिणाम के लिए आवश्यक है। स्टेराइड का तर्कसंगत उपयोग इस रोग से बचाव का सबसे अच्छा उपाय है। साथ ही ब्लड शुगर का उचित नियंत्रण जरूरी है।

इन रोगियों में अधिक आशंका

कोविड, मधुमेह के साथ कोविड रोगी जो स्टेराइड तथा टोक्लीजुमाव या अन्य इम्यूनोस्पसेट प्रयोग कर रहे हैं और उनका ब्लड शुगर नियंत्रण में नहीं है। कोविड रोगी जो पहले से इम्यूननोसपरासेंट्स प्रयोग कर रहे हैं। जिन कोविड रोगियों का अंग प्रत्यारोपण हो चुका है।

बचाव के तरीके

ब्लड शुगर पर पूरा नियंत्रण। स्टेरॉयड का उचित, तर्कसंगत और विवेकपूर्ण प्रयोग। आक्सीजन ट्यूबिंग का बार-बार बदला जाना और प्रयोग की गई आक्सीजन ट्यूब का दोबारा इस्तेमाल न किया जाए। कोविड मरीज को आक्सीजन देते समय उसका आर्द्रताकरण करें और आर्द्रता विलयन बार-बार किया जाए। दिन में दो बार नाक को सलाइन से धोएं। जो कोविड रोगी अधिक जोखिम वाले हैं, उनकी नाक धोना और एमफोरेटिस बी से उपचार। कोविड रोगी की पहले, तीसरे और सातवें दिन परिस्थिति की जांच की जाए। डिस्चार्ज करते समय रोगी की सघन जांच जरूरी है।

रोग के लक्षण और चिन्ह चेहरे पर भरापन, चेहरे पर दर्द, माथे में दर्द, आंख का लालीपन, सूजन और आंख के चारों तरफ भरापन। नाक में पपड़ी जमना और खून मिला स्त्राव निकलना। नाक बंद होना। आंखों में सूजन, पलकों पर सूजन, आंखों की रोशनी जाना, एक के दो दिखना, आंखों का चलाने में दिक्कत, तालू का रंग बदलना, दांतों का ढीला होना, चेहरे और नाक का रंग बदलना, आंखों के पीछे दर्द का होना। इन सभी में से कोई भी लक्षण होने पर रोगी को नाक, कान, गला विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए।

निदान के उपाय

नेजल स्पेकुलम से नाक की प्रारंभिक जांच। नेजल एंडोस्कोपी। केओएच वेट माउंट। एंडोस्कोपी पर मिडिल तथा इन्फीरियर टरबीनेट की ब्लैकिनिंग।

ये है उपचार मधुमेह का उचित नियंत्रण। इलेक्ट्रोलाइट के बिगड़ने तथा रीनल फंक्शन टेस्ट और लिवर फंक्शन टेस्ट। डेड टिश्यू को प्रारंभिक अवस्था में निकालना। फंगल कल्चर और सेंसिटिविटी (साथ ही कुछ दवाइयों के नाम सुझाए गए हैं।)

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