पर्यटन के विकास में निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए यूपी सरकार का अहम फैसला, जानें- पूरी योजना

UP Cabinet Decision पर्यटन उद्योग को निजी क्षेत्र की सहभागिता का संबल देने के लिए यूपी सरकार ने अहम फैसला किया है। उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति-2018 के तहत पर्यटन इकाइयों को वित्तीय प्रोत्साहन (इंसेंटिव) सुविधाएं और छूट देने के लिए नीति में संशोधन का प्रस्ताव मंजूरी किया गया है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Fri, 29 Oct 2021 12:54 AM (IST) Updated:Fri, 29 Oct 2021 05:12 PM (IST)
पर्यटन के विकास में निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए यूपी सरकार का अहम फैसला, जानें- पूरी योजना
उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति-2018 में संशोधन का प्रस्ताव को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन स्वीकृत किया गया।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। कोविड महामारी में पस्त हुए पर्यटन उद्योग को निजी क्षेत्र की सहभागिता का संबल देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने अहम फैसला किया है। नए होटल, रेस्टोरेंट, रिसार्ट आदि के लिए अनुदान की पुरानी योजना में जरूरी संशोधन करते हुए सरकार ने तय किया है कि यदि कोई निवेशक पर्यटन विभाग की संपत्ति को लीज पर लेना चाहता है तो उसे भी अनुदान दिया जाएगा। इसके साथ ही अविकसित क्षेत्र में रिसार्ट, होटल आदि बनाने पर विकास शुल्क और भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क से भी छूट दी जाएगी।

उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति-2018 के तहत पर्यटन इकाइयों को वित्तीय प्रोत्साहन (इंसेंटिव), सुविधाएं और छूट देने के लिए नीति में संशोधन का प्रस्ताव गुरुवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन स्वीकृत किया गया। प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश मेश्राम ने बताया कि कोरोना काल में पर्यटन के क्षेत्र को काफी नुकसान हुआ है। सरकार चाहती है कि निवेशकों को पर्यटन क्षेत्र में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जाए। इसे ध्यान में रखते हुए ही पुरानी नीति में संशोधन करते हुए नए प्रविधान किए गए हैं।

नई पर्यटन इकाइयों (होटल, रेस्टोरेंट, रिसार्ट आदि) के निर्माण के लिए अनुदान की योजना तीन वर्ष से चल रही है। इसमें करीब 45 लाख रुपये वार्षिक बजट भी रखा गया, लेकिन कोरोना संक्रमण और नीति में कुछ अस्पष्टता की वजह से पर्यटन उद्यमी इसका लाभ नहीं ले सके। अब तय किया है कि यदि कोई शहरी इलाके से दूर ऐसे क्षेत्र में रिसार्ट या होटल बनाता है, जहां अवस्थापना सुविधाएं नहीं हैं तो वहां उद्यमी से शपथ पत्र लिया जाएगा कि वह खुद अवस्थापना सुविधाएं विकसित करेंगे। उस स्थिति में उनसे विकास शुल्क और भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क नहीं लिया जाएगा।

इसके अलावा पर्यटन विभाग की तमाम संपत्तियां वर्षों से घाटे का सबब बनी हुई हैं। अब यदि कोई निवेशक उन्हें लीज पर लेकर पीपीपी माडल पर विकसित कर संचालित करेगा तो उन्हें भी निर्धारित अनुदान दिया जाएगा। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री नीलकंठ तिवारी ने बताया कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुरानी पर्यटन नीति की समीक्षा के साथ इसमें सुधार का निर्देश दिया था। उसी आधार पर यह प्रस्ताव तैयार किया गया।

हाईवे किनारे ढाबा खोलने पर भी अनुदान : प्रमुख सचिव ने बताया कि बड़ी परियोजनाओं के साथ ही छोटे कारोबारियों को भी पर्यटन के क्षेत्र में प्रोत्साहन दिया जाएगा। नीति में प्रविधान किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति हाईवे, एक्सप्रेसवे या स्टेट हाईवे के किनारे सर्वसुविधायुक्त ढाबा खोलता है तो वह भी अनुदान का पात्र होगा। विलेज टूरिज्म, हैरिटेज टूरिज्म, लाइट एंड साउंड शो शुरू करने सहित पर्यटन प्रोत्साहन की ऐसी सभी गतिविधियों पर अनुदान दिया जाएगा।

लोक कला का संरक्षण कर रही संस्थाओं को भी मदद : सरकार मानती है कि लोक कला और परंपराएं पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। इनका संरक्षण कर रही संस्थाओं को भी प्रोत्साहन राशि मिलनी चाहिए। कैबिनेट ने तय किया है कि ऐसी संस्थाओं को पांच लाख रुपये तक की वित्तीय मदद दी जाएगी। इसके अलावा अब दस लाख रुपये तक के वित्तीय अनुदान प्रमुख सचिव पर्यटन के स्तर की समिति ही स्वीकृत कर सकेगी। पहले यह अधिकार अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति के पास था।

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