यूपी सरकार ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने व उनकी आय बढ़ाने का खींचा खाका, जानें- पूरी योजना
उत्तर प्रदेश में किसान उत्पादक संगठन का ढांचा लगभग तैयार हो गया है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने किसानों को खेत से लेकर बाजार तक हर स्तर पर सुविधाएं मुहैया कराने का खाका खींचा है। किसान संगठनों का पोर्टल पर पंजीकरण कराया जा रहा है इसी माह यह पूरा होना है।
लखनऊ [धर्मेश अवस्थी]। किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और उनकी आय बढ़ाने की तैयारी है। उत्तर प्रदेश में किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) का ढांचा लगभग तैयार हो गया है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने किसानों को खेत से लेकर बाजार तक हर स्तर पर सुविधाएं मुहैया कराने का खाका खींचा है। किसान संगठनों का पोर्टल पर पंजीकरण कराया जा रहा है, इसी माह यह पूरा होना है। इसी प्लेटफार्म पर उन्हें कंपनियां भी मिलेंगी, जो किसानों की उपज खरीदने के साथ ही उन्हें खाद, बीज, कीटनाशक आदि मुहैया कराएंगी।
किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रदेश के हर विकासखंड में कम से कम एक एफपीओ का गठन कराने के निर्देश दिए गए थे। कृषि विभाग का दावा है कि अधिकांश में यह कार्य पूरा हो चुका है। एक एफपीओ में 500 से लेकर 1000 या फिर से उससे भी अधिक किसान जुड़े हैं। आम तौर पर खेती की योजनाओं का लाभ बड़े किसान हड़पते रहे हैं लेकिन, किसान उत्पादन संगठन बनने से लघु व सीमांत किसानों को सबसे अधिक लाभ होगा। सूबे में इनकी तादाद करीब 2.33 करोड़ है। छोटे किसानों को एकजुट होने से फसलों की बिक्री में ताकत व खेती के लिए खाद, बीज व अन्य सामान्य खरीदने में मोल-भाव कर सकेंगे।
कृषि विभाग के अपर निदेशक पंकज त्रिपाठी बताते हैं कि किसान संगठनों को यूपी एफपीओ शक्ति पोर्टल पर पंजीकरण कराने के निर्देश दिए गए हैं। कई एफपीओ ने पंजीकरण करा लिया है शेष 15 नवंबर तक कर लेंगे। इसी पोर्टल पर देश की प्रख्यात कंपनियां भी होंगी, जो किसानों की उपज खरीदने के अलावा उन्हें खाद, बीज, कीटनाशक आदि उपलब्ध करा सकेंगी। पोर्टल से किसान व कंपनी दोनों को लाभ होगा। हर एफपीओ की बेहतरी के लिए विकासखंड स्तर पर तैनात कृषि सहायकों को नोडल अधिकारी के रूप में जोड़ा जा रहा है। इससे किसान योजना बनाकर खेती करके और उपज बेचेंगे। साथ ही अधिकारी किसानों को बेहतर करने के लिए प्रेरित करते रहेंगे।
एफपीओ को लाभ देने के लिए सरकार ने क्लस्टर बनाने की योजना में बदलाव किया है। कैबिनेट ने भूमि का रकबा यथावत रखा है सिर्फ उसकी शर्तों में बदलाव किया है, पहले 20-20 हेक्टेयर भूमि सटी होने का नियम था, अब 50 हेक्टेयर में क्लस्टर बनना है, भूमि भले ही दूर हो। किसान उत्पादक संगठन आसानी से यह कार्य कर सकेंगे, उनकी उपज प्रदेश ही नहीं अन्य क्षेत्रों में भी बिक सकेगी। असल में, महिला सहायता समूह का प्रयोग खासा कारगर रहा है, जिसमें महिलाएं एकजुट होकर कार्य कर रही हैं, उसी तर्ज पर किसानों को भी एकजुट करके लाभ दिलाया जाएगा।