UPPCL Lucknow: ऊर्जा मंत्री के दावों की अभियंताओं ने खोली पोल, लखनऊ की बिजली व्यवस्था चरमराई; 50 घंटे सप्लाई बाधित
UPPCL Lucknow ऊर्जा मंत्री का सपना था कि 75 जिलों में लखनऊ मॉडल के रूप में विकसित हो अन्य जिले लखनऊ की बिजली व्यवस्था देखकर अपने यहां यह व्यवस्था अपनाएं। नो ट्रिपिंग जोन लखनऊ बने। यह सारे सपना एक बारिश ने चंद घंटों में धो दिए।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। ऊर्जा मंत्री का प्रयास रहा है कि सभी 75 जिलों में बिजली सप्लाई को लेकर लखनऊ मॉडल के रूप में विकसित हो, अन्य जिले राजधानी में भीषण बारिश के बाद अनियंत्रित कटौती ने श्रीकांत शर्मा की मेहनत पर पानी फेर दिया। वह यह सारे सपना एक बारिश ने चंद घंटों में धो दिए। मध्यांचल एमडी से लेकर संविदा कर्मचारी बिजली व्यवस्था को दुरुस्त करने में लगा रहा, लेकिन शुक्रवार रात नौ बजे तक बिजली व्यवस्था राजधानी के अधिकांश हिस्सों में पूरी तरह बहाल नहीं हो सकी थी। आशियाना में बुधवार को गई बिजली शुक्रवार देर रात तक नहीं आई थी। मध्यांचल एमडी सूर्य पाल गंगवार के संज्ञान में मामला होने के बाद भी सेक्टर एम, एन, एल के लोग परेशान रहे। गोमती नगर के कई खंड, पुराने लखनऊ, अमीनाबाद, गणेशगंज, ऐशबाग, अपट्रान, बीकेटी, चिनहट व सेस के दर्जनों क्षेत्रों में बिजली व्यवस्था पूरी तरह चंद घंटे की बारिश में धुल गई।
मुख्य अभिंतया से लेकर अवर अभियंता बेबस हो गए। फोन उठाना पब्लिक का बंद कर दिया। इससे नाराज उपभोक्ताओं ने कई उपकेंद्रों का घेराव किया। आशियाना बिजली उपकेंद्र में पुलिस बुलानी पड़ी। इसके बाद भी दर्जनों की संख्या में उपभोक्ता जुटे रहे। बिजली न आने से बच्चे, बुजुर्ग व महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ी। दैनिक कार्यों के लिए पानी के लिए लोग तरस गए। आशियाना उपकेंद्र के अंतर्गत सेक्टर आइ के उपभोक्ताओं ने एसडीओ व अवर अभियंता का घेराव भी किया। मामला बढ़ते देख कर्मचारी इधर उधर हो गए। उपभोक्ता डा. जगन्नाथ पांडे, राजेश तुली, मुवीन अहमद, सुधांशु मिश्रा ने बताया कि घंटों से बिजली गुल है।
बिजली जाने का कारण बताना तो दूर, कब तक बिजली आएगी, यह तक अभियंता बताने को तैयार नहीं थे। सिर्फ एक संविदा कर्मचारी के हवाले उपकेंद्र था। यहां शुक्रवार दोपहर बाद बिजली चालू हो सकी। वहीं गोमती नगर, अलीगंज सेक्टर एन, सदर, अमीनाबाद के गणेशगंज, पुराने लखनऊ, सेस के क्षेत्रों में बिजली संकट बना रहा। उपभोक्ताओं का तर्क था कि अभियंता फिल्ड में काम कर रहे हैं लेकि उपकेंद्र का नंबर उठना चाहिए। हेल्पलाइन नंबर पर बिजली न आने का कारण बताना चाहिए। करोड़ों रुपये हेल्पलाइन पर खर्च किए जा रहे हैं लेकिन उपभोक्ता सेवा से संतुष्ट नहीं है। टोल फ्री नंबर 1912 पर जो त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए थी, वह नहीं हुई। रहीमनगर, सीतापुर रोड, बीकेटी, चिनहट खंड के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में स्थिति सबसे ज्यादा खराब रही।
मध्याचंल एमडी सूर्य पाल गंगवार स्वयं बिजली बहाल करवाने में लगे, लेकिन 60 फीसद इलाकों में बिजली संकट बना रहा। उन्होंने अभियंताओं को आदेश दिए हैं कि 18 सितंबर को भी बारिश की संभावना है। इसलिए वह सतर्क रहें। जहां बारिश के कारण बिजली बाधित हो रही है, उसे जल्द से जल्द बहाल करवाएं। हालांकि, उपकेंद्रों में संविदा कर्मचारियों की संख्या और उपकरण सीमित होने के कारण जो फाल्ट सामान्य दिन में एक घंटे में ठीक होता था।
1912 में शिकायतों का निस्तारण जल्द होः टोल फ्री नंबर 1912 में शिकायतों के आने का ग्राफ दोगुना हो गया है। मध्यांचल के प्रबंध निदेशक सूर्य पाल ने 1912 सेंटर का निरीक्षण भी किया। निरीक्षण के दौरान एमडी को गलत जानकारी दी कि शहरी क्षेत्र के अधिकांश क्षेत्र में बिजली बहाल कर दी गई, जबकि वास्तविक स्थिति कुछ और थी। कई हिस्सों में बिजली की आंख मिचौली और संकट बरकरार रहा। वहीं, गांवों में अभियंताओं ने बिजली बहाल करवाने में वहीं रुचि ली, जहां उपभोक्ताओं का दबाव ज्यादा रहा।
गोमती नगर में पेड़ न कटने से घंटों गुल रही बिजलीः गोमती नगर के पत्रकारपुर चौराहे से पहले एक विशाल पेड डा. वाईपी सिंह की छत का सहारा लेते हुए गिर गया, इससे बिजली व्यवसथा पूरी तरह चरमरा गई। उपभोक्ताओं ने करंट से बचने के लिए बिजली तो कटवा दी, लेकिन दोबारा चालू होने में तीस घंटे से अधिक लग गए। डाक्टर अंकित कपूर ने आरोप लगाया कि डीएम हेल्प लाइन नंबर से लेकर नगर निगम के नंबरों पर सिर्फ झूठा आवश्वासन मिलता रहा, कोई कार्रवाई नहीं हुई। वहीं बिजली विभाग तर्क देता रहा कि पहले पेड़ हटवाएं तभी बिजली चालू हो पाएगी। अंत में स्थानीय पार्षद की मदद से कुछ लड़के लगाकर दोपहर तीन बजे के बाद पेड़ हटना शुरू हुआ। हालांकि, यहां अवर अभियंता सौरभ सक्सेना देर शाम तक बिजली आपूर्ति करवाने में लगे रहे।