यूपी विद्युत उपभोक्ता परिषद ने लगाया मुनाफाखोरी का आरोप, अध्यक्ष बोले- एनर्जी एक्सचेंज की महंगी बिजली की जांच कराए केंद्र सरकार

कोयले की किल्लत से बिजली संकट में एनर्जी एक्सचेंज की महंगी बिजली पर सवाल उठाते हुए यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग केंद्र सरकार से की है। परिषद का कहना है कि पांच दिनों में एक हजार करोड़ रुपये की मुनाफाखोरी की गई।

By Vikas MishraEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 03:01 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 03:01 PM (IST)
यूपी विद्युत उपभोक्ता परिषद ने लगाया मुनाफाखोरी का आरोप, अध्यक्ष बोले- एनर्जी एक्सचेंज की महंगी बिजली की जांच कराए केंद्र सरकार
मुनाफाखोरी बताते हुए परिषद के अध्यक्ष ने मांग की है कि केंद्र सरकार इस पूरे मांमले की जांच कराए।

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। कोयले की किल्लत से बिजली संकट के दौरान एनर्जी एक्सचेंज की महंगी बिजली पर सवाल उठाते हुए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग केंद्र सरकार से की है। परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि सिर्फ पांच दिनों में ही एक हजार करोड़ रुपये की मुनाफाखोरी की गई। वर्मा का कहना है कि केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग द्वारा वर्ष 2008 में इंडियन एनर्जी एक्सचेंज लिमिटेड और पावर एक्सचेंज ऑफ इण्डिया लिमिटेड को इसलिए गठित किया गया था कि तापीय बिजली घर अपनी पावर परचेज एग्रीमेंट में न शामिल होने वाली बिजली इसके माध्यम से बेच सकें।

परिषद अध्यक्ष ने आंकड़े पेश करते हुए कहा कि कोयला संकट में खासतौर से इंडियन एनर्जी एक्सचेंज के प्लेटफार्म पर कई राज्यों व निजी घरानो ने मुनाफाखोरी की। 20 रुपये यूनिट तक बिजली बेची गई जबकि पूर्व के वर्षों में यह पांच रुपये यूनिट से भी नीचे रही है। मसलन, वर्ष 2014 -15 में 29.40 बिलियन यूनिट बिजली 3.50 रुपये प्रति यूनिट में, वर्ष 2015 -16 में 35.01 बिलियन यूनिट बिजली 2.72 प्रति यूनिट, वर्ष 2016 -17 में 41.12 बिलियन यूनिट बिजली 2.50 प्रति यूनिट, वर्ष 2017 -18 में 47.70 बिलियन यूनिट बिजली 3.45 प्रति यूनिट तथा वर्ष 2018 -19 में 53.52 बिलियन यूनिट बिजली 4.26 रुपये प्रति यूनिट में रही।

परिषद अध्यक्ष के मुताबिक अब तक कभी 145 मिलियन यूनिट से ज्यादा रोजाना का कारोबार न करने वाले इंडियन एनर्जी एक्सचेंज ने संकट के दिनों में 350 मिलियन यूनिट प्रतिदिन बिजली बेची जिसकी औसत कीमत 15 से 17 प्रति यूनिट के बीच रही। इसमें एक हजार करोड़ रुपये की मुनाफाखोरी बताते हुए वर्मा ने मांग की है कि केंद्र सरकार इस पूरे मांमले की जांच कराए। जांच में सभी संबंधित राज्यों नियामक आयोगों के चेयरमैन को रखा जाए।

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