UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में चुनावी आहट के साथ ही सत्तारूढ़ होने के लिए रथारूढ़ हुए विपक्षी

UP Election 2022 चुनाव के दौरान सारा फोकस नुक्कड़ सभाओं और डोर टू डोर जनसंपर्क के जरिये होता था। अब चुनाव घोषणा से पहले यात्रएं और चुनाव के दौरान रोड शो और बाकी इंटरनेट मीडिया के जरिये प्रचार होता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 09:35 AM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 09:45 AM (IST)
UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में चुनावी आहट के साथ ही सत्तारूढ़ होने के लिए रथारूढ़ हुए विपक्षी
विजय रथ यात्रा के दौरान जालौन में अखिलेश यादव का स्वागत करते पार्टी कार्यकर्ता। जागरण आर्काइव

लखनऊ, राजू मिश्र। UP Election 2022 उत्तर प्रदेश में चुनावी आहट के साथ ही विपक्षी ट्विटर योद्धा अब रथारूढ़ हो चुके हैं। 12 अक्टूबर को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव चुनावी रथ लेकर निकले थे। इसी दिन उनके चाचा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव भी रथ लेकर निकले। अब कांग्रेस की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी अश्वमेध की तर्ज पर चार दिशाओं से रथ रवाना कर दिए हैं। बसपा का हाथी जरूर ठहरा हुआ है और दावा है कि पार्टी बूथ स्तर पर चुनावी तैयारियां कर रही है।

अखिलेश यादव का लक्ष्य रथ पर सवार होकर प्रदेशभर के विधानसभा क्षेत्रों में पहुंचना है। यह रथ तीन माह तक अलग-अलग चरण में घूमेगा। लखनऊ से यह रवाना हो चुका है और बुंदेलखंड तक का रास्ता मथ चुका है। फिर इसी तरह अलग हिस्सों में जाएगा।

विजय रथ यात्रा के दौरान जालौन में अखिलेश यादव का स्वागत करते पार्टी कार्यकर्ता। जागरण आर्काइव

जाहिर है, इस दौरान रथारूढ़ नेता सत्तारूढ़ दल की खामियां गिना रहे हैं और यह भी बता रहे हैं कि हम जब थे तो हमने यह किया और अब जब आएंगे तो यह करेंगे। पहले चरण में अखिलेश ने रथयात्र लखनऊ से कानपुर तक निकाली जिसे अपने लिए वह भाग्यशाली मानते हैं। इसके पीछे 2011 का इतिहास है। वर्ष 2011 में भी अखिलेश रथ लेकर निकले थे और 2012 में उनके सत्तारूढ़ होने में यह यात्र काफी अहम मानी गई थी। अखिलेश को यह इतिहास दोहराने की उम्मीद है। सपा ने इसे विजय रथ यात्र का नाम दिया है।

अखिलेश की चुनावी हुंकार: सपा का कहना है कि इस बार पीड़ित जनता उनके साथ है। भाजपा ने बिजली का एक भी प्लांट नहीं लगाया। सपा सरकार के समय भी लगाए गए बिजली प्लांट बंद कर दिए गए। मौजूदा बिजली संकट भी इसी का परिणाम है। लखनऊ रिवर फ्रंट, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे सहित कई अन्य कार्यो को वे अपनी बड़ी उपलब्धि के रूप में गिना रहे हैं। समाजवादी विजय यात्र नए स्लोगन ‘नई सपा है नई हवा है’ का संदेश लेकर घूम रही है।

वैसे चाचा शिवपाल भी रथ यात्र निकाल रहे हैं। जिस दिन अखिलेश का रथ चला उसी दिन शिवपाल मथुरा से रथारूढ़ हुए। शिवपाल की रथयात्र में लगे माइक से भाजपा से अधिक अपने भतीजे के बारे में उद्गार फूट रहे, जो गठबंधन के लिए साफ जवाब नहीं दे रहे। चाचा की उम्मीद अब 22 नवंबर को नेताजी मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर टिकी है और उन्हें भरोसा है कि नेताजी हस्तक्षेप कर सपा और प्रसपा को फिर से एक धुरी पर ले आएंगे।

कांग्रेस ने अपनी यात्र को प्रतिज्ञा यात्र का नाम दिया है। इसके लिए तीन रथ प्रदेश की विभिन्न दिशाओं से निकले हैं। कांग्रेस ने इसे प्रतिज्ञा यात्र का नाम देकर यात्र के दौरान अपनी प्रतिज्ञाएं भी दोहरा रही है। सबसे ऊपर कांग्रेस की प्रतिज्ञा में महिलाओं को 40 फीसद टिकट देने और युवतियों को मुफ्त स्मार्ट फोन व स्कूटी देने का वादा है। शनिवार को कांग्रेस की प्रतिज्ञा यात्र तीन स्थानों से रवाना की गईं। कांग्रेस की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी ने बाराबंकी के हरख से रथयात्र को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस मौके पर एक जनसभा की गई। विवाद भी हुआ। जनसभा की अनुमति कहीं और थी और हुई सड़क अवरुद्ध करके। यह यात्र बुंदेलखंड को मथते हुए झांसी में समाप्त होगी। दूसरी प्रतिज्ञा यात्र वाराणसी से शुरू होकर रायबरेली में समाप्त होगी। यात्र के प्रभारी प्रमोद तिवारी, नदीम जावेद और राजेश मिश्र हैं। तीसरी यात्र सहारनपुर से शुरू होकर मथुरा में समाप्त होगी। इस यात्र के प्रभारी सलमान खुर्शीद और आचार्य प्रमोद कृष्णम हैं। सभी यात्रओं का समापन एक नवंबर को होगा।

भाजपा इस समय कोई यात्र तो नहीं निकाल रही, लेकिन उसका साफ कहना है कि ऐसी यात्रएं निकालने वाले पराजय यात्रा निकालने के लिए भी तैयार रहें। दरअसल, चुनाव के समय नेताओं का दर-दर भटकना, यात्रएं निकालना नई बात नहीं है, लेकिन जिस तरह इनका स्वरूप बदल रहा है, वह राजनीति में आ रहे बदलावों को भी इंगित करता है। एक दौर था जब चुनाव से पहले रैलियों के जरिये शक्ति प्रदर्शन होता था और उसमें जुटी भीड़ के जरिये दावे-प्रतिदावे किए जाते थे। 

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