UP Board Result 2021: इस बार यूपी बोर्ड के लाखों विद्यार्थियों पर नहीं लगा हिंदी में फेल होने का कलंक

UP Board 10th 12th Result 2021 यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा में हर साल हिंदी विषय में फेल होने वालों की तादाद लाखों में रही है। कोरोना की दूसरी लहर ने इस बार लाखों विद्यार्थियों पर हिंदी में फेल होने का कलंक लगने से बचा लिया है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 06:00 AM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 06:46 PM (IST)
UP Board Result 2021: इस बार यूपी बोर्ड के लाखों विद्यार्थियों पर नहीं लगा हिंदी में फेल होने का कलंक
यूपी बोर्ड के लाखों विद्यार्थी इस बार हिंदी विषय में फेल होने से बच गए।

लखनऊ [धर्मेश अवस्थी]। UP Board 10th, 12th Result 2021: कठिन विषयों की परीक्षा में फेल हो जाना आम बात है, लेकिन उत्तर प्रदेश के छात्र-छात्राएं जब मातृभाषा में अनुत्तीर्ण होते हैं तो ये वाकया खास हो जाता है। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा में हर साल हिंदी विषय में फेल होने वालों की तादाद लाखों में रही है। कोरोना की दूसरी लहर ने इस बार लाखों विद्यार्थियों पर हिंदी में फेल होने का कलंक लगने से बचा लिया है। सभी पंजीकृत विद्यार्थी मातृभाषा में उत्तीर्ण हैं। अर्धवार्षिक, वार्षिक या प्रीबोर्ड परीक्षा न देने वाले या फर्जी अंकपत्र लगाने वाले ही फेल हुए हैं।

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) के 27 हजार से अधिक कालेजों में दाखिला लेने वालों के लिए हिंदी विषय अनिवार्य है। हाईस्कूल व इंटरमीडिट परीक्षाओं की शुरुआत भी इसी विषय से होती रही है, ताकि परीक्षा में शामिल होने वालों की वास्तविक संख्या सामने आ सके। हिंदी विषय में फेल होने वाला अन्य विषयों में उत्तीर्ण है तो भी अनुत्तीर्ण माना जाता है। यानी हिंदी विषय के रिजल्ट का असर पूरे परीक्षा परिणाम पर पड़ता रहा है। इसके बाद भी शिक्षक, विद्यार्थी व अभिभावक हिंदी के प्रति उदासीन रहे हैं। 2020 की हाईस्कूल व इंटर परीक्षा दो लाख 91 हजार 793 परीक्षार्थियों ने छोड़ दी थी। इसके अलावा इंटर व हाईस्कूल में सात लाख 97 हजार 826 परीक्षार्थी मातृभाषा में फेल हो गए थे।

इस वर्ष हाईस्कूल व इंटरमीडिएट में अनुत्तीर्ण होने वालों की कुल संख्या 69, 570 ही है। इनमें से कोई भी हिंदी विषय में फेल नहीं है बल्कि ये वे विद्यार्थी हैं जिन्होंने तय फार्मूले की परीक्षाएं नहीं दी थी या फर्जी व त्रुटिपूर्ण अंकपत्र लगाया था। यह जरूर है कि एक लाख 44 हजार 744 ऐसे विद्यार्थी थे, जो उत्तीर्ण होने लायक अंक नहीं पा रहे थे, उन्हें सामान्य रूप से प्रोन्नत कर दिया गया है। परीक्षा न होने का फायदा ये भी रहा कि इस बार वे विद्यार्थी भी उत्तीर्ण होने या प्रोन्नति पाने में सफल रहे हैं, जो पिछले वर्षों की परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गए थे या परीक्षा बीच में ही छोड़ दी थी। हिंदी में ऐसे होते रहे फेल वर्ष  : संख्या 2018 : करीब 11 लाख 2019 : 10.89 लाख 2020 : 7.97 लाख

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