MLC एके शर्मा को लेकर सभी अटकलें समाप्त, UP भाजपा के 18 प्रदेश उपाध्यक्ष में शामिल
सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी अरविंद कुमार (एके) शर्मा को आखिरकार भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिया। इसके साथ ही छह माह से आसमान छू रहीं सभी कयासों पर विराम भी लग गया। उनके योगी आदित्यनाथ सरकार में शामिल होने के दरवाजे बंद होते नजर आ रहे हैं।
लखनऊ, जेएनएन। एक व्यक्ति, एक पद के सिद्धांत पर चलने वाली भारतीय जनता पार्टी ने सेवानिवृत आइएएस अधिकारी अरविंद कुमार (एके) शर्मा को लेकर लम्बे समय से चल रहीं सभी अटकलों को शनिवार को विराम दे दिया है। भारतीय जनता पार्टी में इसी वर्ष शामिल होने वाले अरविंद कुमार शर्मा को पार्टी ने पहले विधान परिषद सदस्य बनाया और अब पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दे दी है। अब उनके योगी आदित्यनाथ सरकार में शामिल होने के दरवाजे बंद होते नजर आ रहे हैं।
सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी अरविंद कुमार (एके) शर्मा को आखिरकार भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिया। इसके साथ ही छह माह से आसमान छू रहीं सभी कयासों पर विराम भी लग गया। अब उनके सरकार में जलवे तथा दखल की अटकलों के खत्म होते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खासमखास माने जाने वाले शर्मा को लेकर एक सवाल ने जन्म ले लिया। क्या अठारह प्रदेश उपाध्यक्षों में से एक उपाध्यक्ष भर बनने के लिए उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली या पार्टी की नीति-रणनीति कुछ और है।
एके शर्मा इसी वर्ष जनवरी में भाजपा में शामिल हुए। वह प्रधानमंत्री के करीबी माने जाते हैं, इसलिए तभी से अनुमान लगाए जाने लगे कि उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए मऊ निवासी शर्मा को दिल्ली से लखनऊ भेजा जा रहा है। उसी वक्त विधान परिषद के चुनाव थे। उन्हें एमएलसी बनाया गया तो सियासी गलियारों के राजनीतिक पंडित पूर्व नौकरशाह के 'पालिटिकल करियर' की काल्पनिक मूर्ति गढऩे लगे। यहां तक कि उन्हें उपमुख्यमंत्री पद का दावेदार भी बताया जाने लगा। कुछ का कहना था कि उपमुख्यमंत्री नहीं तो कैबिनेट मंत्री बनाकर महत्वपूर्ण विभाग दिए जा सकते हैं, लेकिन शनिवार को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंहने जैसे ही तीन प्रदेश पदाधिकारियों की छोटी सी सूची जारी की, वैसे ही उसके साथ बड़ा संदेश भी प्रसारित हो गया।
भारतीय जनता पार्टी में ते संगठन के लिहाज से प्रदेश उपाध्यक्ष अहम जिम्मेदारी है, लेकिन इसे विशेष वरीयता की संज्ञा इसलिए नहीं दी जा सकती, क्योंकि प्रदेश कार्यकारिणी में अभी कुल अठारह प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। इसके साथ ही भाजपा में एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत लागू है। मौजूदा प्रदेश पदाधिकारियों में एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं, जो सरकार में मंत्री भी हो। ऐसे में माना जा रहा है कि संगठन में पद पा चुके अरविंद कुमार शर्मा को सरकार में शामिल किया जाना मुश्किल ही है। इसके बाद उम्मीदों की एक खिड़की पार्टी सूत्र सिर्फ इतनी खोले रखे हैं कि शर्मा को मंत्री बनाए जाने की जरूरत महसूस होगी तो संगठन में पद नहीं रहेगा। एक अहम सवाल यह जुबां-जुबां पर है कि पूर्व नौकरशाह को संगठन का तो कोई अनुभव है नहीं, फिर किस समीकरण के तहत उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया होगा। प्रदेश उपाध्यक्ष के साथ दो प्रदेश मंत्री भी बनाए हैं। इनमें लखनऊ निवासी अर्चना मिश्रा व बुलंदशहर निवासी अमित वाल्मीकि शामिल हैं।