UP Assembly By-Election 2020: प्रियंका वाड्रा की साख से जुड़ा यूपी का उपचुनाव, दो सीटों पर अटकी कांग्रेस की सांस

UP Assembly By-Election 2020 कांग्रेस के रणनीतिकार मानते हैं कि यदि पार्टी उत्तर प्रदेश की सात विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में एक-दो सीट भी जीतने में कामयाब होती है तो बढ़त और प्रियंका इम्पैक्ट का संदेश में सफल रहेगी।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 11:48 PM (IST) Updated:Fri, 30 Oct 2020 06:32 AM (IST)
UP Assembly By-Election 2020: प्रियंका वाड्रा की साख से जुड़ा यूपी का उपचुनाव, दो सीटों पर अटकी कांग्रेस की सांस
प्रियंका वाड्रा की साख से जुड़ा यूपी का उपचुनाव, दो सीटों पर अटकी कांग्रेस की सांस

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश की सात विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव आंकड़ों के नजरिए से छोटे भले नजर आ रहे हों, लेकिन इनके परिणाम आगामी विधानसभा चुनाव की हवा का इशारा जरूर कर सकते हैं। टूंडला की एक सीट पर नामांकन खारिज होने के बाद छह सीटों पर दम लगा रही कांग्रेस को सबसे अधिक उम्मीदें घाटमपुर और बांगरमऊ से ही हैं। बांगरमऊ में जातीय समीकरणों ने कांग्रेस के पक्ष में जो बयार चलाई, उसमें अन्नू टंडन के इस्तीफे के बाद आशंकाओं का बाजार जरूर गर्माया, लेकिन पार्टी आशान्वित है कि वहां स्थिति ठीक है।

मौजूदा सात सीटों पर 2017 के विधानसभा में छह पर भाजपा और एक पर सपा ने जीत हासिल की थी। ऐसे में कांग्रेस के रणनीतिकार मानते हैं कि यदि पार्टी एक-दो सीट भी जीतने में कामयाब होती है तो बढ़त और प्रियंका इम्पैक्ट का संदेश में सफल रहेगी। वहीं, यदि एक भी सीट हाथ न आई तो शून्य का संदेश बरकरार रहेगा, जिससे न सिर्फ नेतृत्व पर सवाल खड़े होंगे, बल्कि कार्यकर्ताओं का मनोबल भी गिर सकता है।

घोषित तौर पर तो कांग्रेस नेता दावा करते हैं कि वह सभी सीटों पर लड़ाई में हैं, लेकिन दबी जुबान से स्वीकार करते हैं कि पार्टी को खास उम्मीद कानपुर नगर ग्रामीण की घाटमपुर और उन्नाव की बांगरमऊ सीट से ही है। घाटमपुर प्रदेश की उन चुनिंदा सीटों में है, जहां पिछले दो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने चालीस हजार वोट का आंकड़ा छुआ। हालांकि रही तीसरे ही स्थान पर। इस बार क्षेत्र के कद्दावर नेता पूर्व सांसद राकेश सचान और राजाराम पाल अपनी प्रतिष्ठा लगाकर प्रत्याशी कृपाशंकर संखवार को चुनाव लड़ा रहे हैं। इसी तरह बांगरमऊ में कुलदीप सेंगर प्रकरण के बाद जातीय समीकरण ऐसे बन रहे हैं, जहां कांग्रेस कुछ उम्मीदें पाल सकती है।

इसी बीच गुरुवार को वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद अन्नू टंडन के इस्तीफे के बाद सवाल उठने लगा कि इसका असर उपचुनाव पर कितना पड़ेगा? चूंकि टंडन क्षेत्र की पुरानी और दिग्गज नेता हैं और जनता के बीच सक्रिय रही हैं, इसलिए उनके असर को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता।

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