जंगल में रहते, मंगल ही करते, जंगलेश्वर भगवान...ये है प्रदेश का इकलौता दस महाविद्या मंदिर

अनदेखा लखनऊ पड़ोस में जंगल..हवा के झोंकों संग झूमते अलमस्त बिरवों के बीच देवस्थान के शिखर पर लहराता ध्वज। अद्भुत दरबार है। जहां दक्षिणमुखी दस महाविद्या देवी के दर्शन सुलभ हैं।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Fri, 28 Feb 2020 01:18 PM (IST) Updated:Sat, 29 Feb 2020 08:34 AM (IST)
जंगल में रहते, मंगल ही करते, जंगलेश्वर भगवान...ये है प्रदेश का इकलौता दस महाविद्या मंदिर
जंगल में रहते, मंगल ही करते, जंगलेश्वर भगवान...ये है प्रदेश का इकलौता दस महाविद्या मंदिर

लखनऊ [पवन तिवारी]। भोले तो भोले हैं। भक्त जो नाम दें, वही ग्राह्य है। कोने में हैं तो कोनेश्वर। जहां कभी भंवरे प्रकट हुए हों, वे भंवरेश्वर। जहां मनोकामना की सिद्धि हो वे मनकामेश्वर। एक और अद्भुत नाम..झगड़ेश्वर। कहते हैं कि यहां आयोजन को लेकर एक बार आपस में मीठी झड़प जरूर होती है, शायद इसीलिए बाबा का नाम झगड़ेश्वर रख दिया गया है। जंगल में विराजते हैं तो जंगलेश्वर। आज आपको ले चलते हैं श्री जंगलेश्वर महादेव के दर्शन कराने।

कभी गोमती अठखेलियां करती थीं। अब छोटी सी बस्ती है। पड़ोस में जंगल। हवा के झोंकों संग झूमते अलमस्त बिरवों के बीच देवस्थान के शिखर पर लहराता ध्वज। थोड़ा और पास जाएं तो जंगल में मंगल। यहीं विराजते हैं महादेव। सिद्ध पीठ श्री प्राचीन जंगलेश्वर महादेव। अद्भुत दरबार है। दरबार में शिव अकेले नहीं। श्री गणेश, बटुक भैरव। शनिदेव, ब्रह्मबाबा और परम सिद्ध दस महाविद्या देवियां। 

श्री जंगलेश्वर के दरबार में हम दोपहर बाद पहुंचे। चहल-पहल थी। नियमित पूजन होकर शिवजी दरबार का पट बंद किया जा चुका था। अनुरोध के बाद मंदिर के व्यवस्थापकों ने हमें दर्शन की अनुमति दी। शुक्रवार (आज) यहां वृहद आयोजन होना है। महंत महावीर गिरि जी महाराज बताते हैं कि यहां नवीन शिवलिंग की स्थापना का कार्यक्रम है। प्राण-प्रतिष्ठा के साथ दिव्य पूजन-अर्चन और भव्य भंडारा प्रसाद वितरण होगा।

कब स्थापित हुआ?

आचार्य दीक्षित ने बताया कि सरकारी दस्तावेजों में इस मंदिर की स्थापना का वर्ष 1862 दर्ज है। वह इस स्थान से जुड़ा रोचक किस्सा बताते हैैं। कहते हैैं कि एक बार रात में ऐसा अहसास हुआ जैसे साक्षात देवी मां उपस्थित हों। इसके बाद उनकी आस्था और घनीभूत हो गई।

प्रदेश का इकलौता दस महाविद्या मंदिर

मंदिर आचार्य राजेश दीक्षित दावा करते हैं कि पूरे प्रदेश में यह अकेला ऐसा स्थान है, जहां दक्षिणमुखी दस महाविद्या देवी के दर्शन सुलभ हैं। मां कामाख्या भवानी (असम) में इनके दर्शन मिलते हैं। दस महाविद्या में कुल 10 देवियों का स्वरूप स्थापित है। मां पार्वती का रूप काली माता या भुवनेश्वरी, तारादेवी, षोडशी (कामाख्या),  छिन्नमस्ता, बगलामुखी, धूमावती माता, त्रिपुर सुंदरी, मातंगी, कमला और माता लक्ष्मी। इनके दर्शन मात्र से समस्त कष्ट दूर होते हैं।

सामान्य से करीब 10 डिग्री कम रहता है यहां का तापमान

मंदिर की सेवा से जुड़े कौशलेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि गर्मियों के मौसम में इस पवित्र स्थान पर अद्भुत शीतलता रहती है। उनका दावा है कि यहां का तापमान शहर के मुकाबले करीब 10 डिग्री कम रहता है। सेवक कुलदीप यादव बताते हैं कि किसी भी समय में मंदिर के बगल से ही गोमती माता प्रवाहित होती थीं। उस समय तो यहां की छटा देखते ही बनती थी।

कैसे पहुंचें?

चारबाग से चौक। यहां कोनेश्वर महादेव से बालागंज चौराहा। बालागंज चौराहे से करीब डेढ़ किमी है हरीनगर। हरीनगर चौराहे से 600 मीटर की दूरी पर विराजमान हैं-जंगलेश्वर महादेव।

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