एलडीए का कारनामा: 11 साल से दो वर्ग मी. जमीन की रजिस्‍ट्री के लिए भटक रहा आवंटी, लेटलतीफी पर एलडीए ने उल्‍टा मांगा 35 हजार ब्याज

आवंटी ने लविप्रा की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जब एक जून 2011 से पहले पूरा पैसा जमा कर दिया गया और रजिस्ट्री के लिए आग्रह किया गया तब रजिस्ट्री क्यों नहीं कराई गई।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Tue, 20 Jul 2021 09:18 AM (IST) Updated:Tue, 20 Jul 2021 03:17 PM (IST)
एलडीए का कारनामा: 11 साल से दो वर्ग मी. जमीन की रजिस्‍ट्री के लिए भटक रहा आवंटी, लेटलतीफी पर एलडीए ने उल्‍टा मांगा 35 हजार ब्याज
लखनऊ विकास प्राधिकरण से आवंटी ने वर्ष 2009 में लिया था व्यावसायिक भूखंड।

लखनऊ [अंशू दीक्षित]। लखनऊ विकास प्राधिकरण (लविप्रा) का 12 साल पुराना आवंटी अपनी रजिस्ट्री के लिए एक दरवाजे से दूसरे दरवाजे भटक रहा है। पूरा पैसा जमा है, कागजात तैयार है लेकिन लविप्रा अब दो वर्ग मीटर अतिरिक्त जमीन (35 हजार ब्याज ) और चंद महीने विलंब से जमा की गई कि किस्तों का ब्याज 31 अगस्त 2021 तक मांग रहा है। कुल एक लाख से अधिक का ब्याज देने में असमर्थ आवंटी ने लविप्रा सचिव के यहां ब्याज माफी को लेकर गुहार लगाई है।

आवंटी ने लविप्रा की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जब एक जून 2011 से पहले पूरा पैसा जमा कर दिया गया और रजिस्ट्री के लिए आग्रह किया गया, तब रजिस्ट्री क्यों नहीं कराई गई। आवंटी के पास सचिव के यहां दिए गए प्रार्थना पत्र की प्रमाणित प्रति भी है। आखिर 11 साल लविप्रा के कारण ही रजिस्ट्री नहीं हो सकी, ऐसे में ब्याज किस बात का लिया जा रहा है, उल्टे लविप्रा को रजिस्ट्री में विलंब के लिए आवंटी को नौ फीसद के हिसाब से ब्याज देना चाहिए।

आवंटी गुरबीर ङ्क्षसह ने आलमबाग की सिन्डर डंपयोजना में व्यावसायिक भूखंड संख्या जी थ्री में भूखंड उ'चतम बोली पर खरीदा था। वर्ष 2009 से वर्ष 2011 के बीच सभी किस्तें भी जमा कर दी। आदर्श नगर, आलमबाग निवासी गुरबीर ने एक जून 2011 को रजिस्ट्री के लिए सचिव लविप्रा को प्रार्थना पत्र दिया कि उसकी रजिस्ट्री कर दी जाए। इसके बाद भी रजिस्ट्री नहीं हुई। आवंटी हर तीन से चार माह में चक्कर लगाता रहा और लविप्रा के अफसरों द्वारा आश्वासन मिलता रहा। अब 11 साल बाद आवंटी के पते पर व्यावसायिक भूखंड की विलंब से जमा हुई किस्तों पर करीब 75 हजार और दो वर्ग मीटर अतिरिक्त जमीन, जिसकी कीमत वर्ष 2009 के हिसाब से 43 हजार है, उस पर भी 35 हजार का ब्याज लगाते हुए कुल 1.10 लाख ब्याज मांगा है। आवंटी का तर्क है कि लेटलतीफी लविप्रा की ओर से हुई है, ऐसे में आवंटी कहां दोषी है। इसलिए ब्याज लगाना गलत है। आवंटी ने सक्षम अफसरों से ब्याज माफी को लेकर फिर पत्राचार करते हुए 22 जुलाई तक चल रहे रजिस्ट्री कैंप में रजिस्ट्री करने की गुहार लगाई है।

लविप्रा सचिव पवन कुमार गंगवार ने कहा कि दस्तावेजों की जांच कराकर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।

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