Right to Information: 200 रुपये में महीने भर साइकिल से गश्त कर रहे आरक्षी, अयोध्या में RTI से सामने आई सच्चाई
दैनिक जागरण की ओर से मांगी गई जन सूचना में सामने आई भत्तों की तस्वीर। पेट्रोल के दाम आज भले ही आसमान छू रहे हों लेकिन पुलिस महकमा अपने उपनिरीक्षक को 700 रुपये में माहभर बाइक से गश्त करा रहा है।
अयोध्या, [रविप्रकाश श्रीवास्तव]। समय के साथ-साथ अपराधी हाईटेक होते गए। बदमाश घोड़े से बाइक पर पहुंचे और अब लग्जरी कारों से अपराध कर रहे हैं, लेकिन इन पर नकेल कसने वाली पुलिस आज भी साइकिल से इनका पीछा कर रही है। चौंकिए मत ये हकीकत है। पुलिस कर्मियों को मिलने वाले भत्तों को लेकर दैनिक जागरण की ओर से मांगी गई जनसूचना में यह सच्चाई सामने आई है। पुलिस महकमा दस्तावेजों में अपने आरक्षियों को साइकिल से गश्त करा रहा है। वह भी महज 200 रुपये महीने के भत्ते पर। मूल वेतन के अतिरिक्त मिलने वाला 200 रुपया भत्ता आरक्षी को साइकिल भत्ते के तौर दे रहा है। आरक्षियों की ही भांति दरोगा जी का भी हाल है।
पेट्रोल के दाम आज भले ही आसमान छू रहे हों, लेकिन पुलिस महकमा अपने उपनिरीक्षक को 700 रुपये में माहभर बाइक से गश्त करा रहा है। इसी में पेट्रोल भी भरवाइये और खराब होने पर बाइक की मरम्मत भी। सूबे में सरकारें और पुलिस के मुखिया बदलते रहे, लेकिन पुलिस की व्यवस्था नहीं बदली। महंगाई और आवश्यकता के अनुपात में पुलिस कर्मियों को मिलने वाला भत्ता भी नाकाफी है। पुलिस कर्मियों को मिलने वाले भत्तों पर जब नजर डालिए तो खाकी के आधुनिकीकरण के दावे भी छलावा दिखता है। अन्य भत्तों की रकम भी पुलिस कर्मियों को राहत देने में नाकाफी ही हैं। आरक्षियों का कहना है कि कानून व्यवस्था की ड्यूटी के अतिरिक्त अभियुक्त को कोर्ट ले जाने व अन्य ड्यूटी में बाइक से ही जाना पड़ता है। ऐसे में महंगाई और जरूरत के हिसाब से भत्तों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
पुलिस कर्मियों को मिलने वाले भत्तों की धनराशि
महंगाई भत्ता : मूल वेतन का 28 प्रतिशत पौष्टिक आहार भत्ता : 1200 रुपये (निरीक्षक, उपनिरीक्षक, वरिष्ठ उपनिरीक्षक), 1500 रुपये (आरक्षी) धुलाई भत्ता : 188 रुपये (निरीक्षक, उपनिरीक्षक, वरिष्ठ उपनिरीक्षक, आरक्षी) मोटरसाइकिल भत्ता : 700 रुपये (निरीक्षक, उपनिरीक्षक, वरिष्ठ उपनिरीक्षक) साइकिल भत्ता : 200 रुपये (आरक्षी) वर्दी भत्ता : 7500 रुपये पांच वर्ष पूर्ण होने पर (निरीक्षक, उपनिरीक्षक, वरिष्ठ उपनिरीक्षक), 3000 रुपये प्रतिवर्ष (आरक्षी)'वेतन और भत्तों का निर्धारण शासन और पे-कमीशन मिलकर करते हैं, जो भी भत्ते शासन की ओर से निर्धारित हैं उनका भुगतान निर्बाध रूप से हो रहा है। -एसके सिंह, पुलिस अधीक्षक ग्रामीण