ऐसा कौन सा डर था, जो जंजीर और ताले में कैद करनी पड़ी यह ट्रेन

ऐशबाग से डालीगंज तक दो बोगियों वाली स्पेशल ट्रेन से रेल संरक्षा आयुक्त अरविंद कुमार जैन ने स्पीड ट्रायल किया था। इस ट्रायल में ट्रेन 50 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति तक दौड़ी।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Thu, 20 Sep 2018 08:20 PM (IST) Updated:Fri, 21 Sep 2018 07:59 AM (IST)
ऐसा कौन सा डर था, जो जंजीर और ताले में कैद करनी पड़ी यह ट्रेन
ऐसा कौन सा डर था, जो जंजीर और ताले में कैद करनी पड़ी यह ट्रेन

लखनऊ, जागरण संवाददाता। हवा से बातें करने वाली विशालकाय ट्रेन को एक जंजीर और ताला लगाकर पटरी पर कैद कर लिया गया। ट्रेन कहीं खुद ही पटरी पर बिना ड्राइवर के न दौड़ जाए इसके लिए रेलवे ने उसे ताले और मोटी जंजीर से कैद कर लिया। अब ट्रेन चाहकर भी पटरी से नहीं हिल सकी।

दो बोगियों वाली ट्रेन से हुआ था ट्रायल

दरअसल ऐशबाग से डालीगंज तक दो बोगियों वाली स्पेशल ट्रेन से रेल संरक्षा आयुक्त अरविंद कुमार जैन ने स्पीड ट्रायल किया था। इस ट्रायल में ट्रेन 50 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति तक दौड़ी। डालीगंज में ट्रायल के बाद स्पेशल ट्रेन को बादशाहनगर स्टेशन की मेन लाइन पर लाकर खड़ा कर दिया गया। बहुत देर तक ट्रेन के ड्राइवर कंट्रोल रूम के संदेशों का इंतजार करते रहे। दोपहर करीब एक बजे कंट्रोल रूम ने ड्राइवर को बताया कि ट्रेन को आगे नहीं ले जाना है। यह बादशाहनगर स्टेशन की मेन लाइन पर खड़ी रहेगी। इसके बाद ड्राइवर ने इंजन बंद कर दिया और वहां से चला गया। अब इंजन बंद होने के बाद ट्रेन अपनी जगह से पटरी पर लुढ़ककर कहीं गोमतीनगर स्टेशन न पहुंच जाए इसके लिए रेलवे ने बोगी के एक्सल और पटरी को मोटी जंजीर व ताले से जड़ दिया।

कहीं लुढ़कर आगे न बढ़ जाए ट्रेन

रेलवे को ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि जिस लाइन पर स्पेशल ट्रेन खड़ी थी, उसके बगल वाली लूप लाइन से ही कई सुपरफास्ट ट्रेनें गुजरती हैं। ट्रेनों के तेज रफ्तार गुजरते समय होने वाली कंपन से स्पेशल ट्रेन के पटरी पर लुढ़कने का खतरा बन जाता। इसके चलते संरक्षा नियमों के तहत ताला और जंजीर से ट्रेन को ही रोका गया।

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