खुल गए दुधवा और कतर्निया के द्वार, 10 दिनों तक अतिथि गृह व हट फुल
उप्र वन निगम के महाप्रबंधक ने पूजा-अर्चना के बाद फीता काटकर किया शुभारंभ।
लखनऊ, जेएनएन। आखिरकार वह लम्हा आ ही गया जिसका पांच महीनों से वन्य जीव प्रेमियों को इंतजार था। विधि विधान से पूजा-अर्चना के पश्चात शुक्रवार पूर्वाह्न 11.30 बजे उप्र वन निगम के महाप्रबंधक केके सिंंह द्वारा फीता काटकर दुधवा टाइगर रिजर्व के नवीन पर्यटन सत्र का शुभारंभ किया गया। इसके बाद सैलानियों से भरे वाहन जंगल भ्रमण को रवाना हो गए। पहले दिन जंगल सफारी पूर्ण रूप से निश्शुल्क रही। इसी केे साथ कतर्निया के कपाट भी खोल दिए गए। उप्र वन निगम के प्रबंध निदेशक डॉ.राजीव कुमार गर्ग ने फीता काटकर कतर्निया पर्यटन सत्र का उद्घाटन किया। पहले दिन 190 सैलानियों ने कतर्नियाघाट की नैसर्गिक छटा का नजारा लिया। 10 दिनों के लिए कतर्निया के अतिथि गृह व हट फुल हैं।
सैलानियों ने साल के घने जंगलों का भ्रमण करते हुए दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीवों का दीदार किया। दुधवा पर्यटन परिसर में सुबह भी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जाता रहा। इस बीच पर्यटन सत्र शुभारंभ को लेकर सुबह सात बजे से इंतजार कर रहे सैलानियों को विधिवत उद्घाटन के बाद 11.30 बजे वाहनों से जंगल में प्रवेश दिया गया। उप्र वन निगम के महाप्रबंधक ने मुख्य द्वार को फीता काटने के बाद खोला और इसके साथ ही विधिवत पर्यटन सत्र की शुरूआत हो गई। इस दौरान यहां पर डीएफओ बफर जोन अनिल कुमार पटेल, डिप्टी डायरेक्टर मनोज सोनकर, वार्डेन एसके अमरेश समेत दुधवा पार्क के अधिकारी, कर्मचारी, गाइड आदि मौजूद रहे।
पहले दिन नहीं हुए बाघ के दीदार
पर्यटन सत्र के पहले दिन ही यहां सैलानियों की अच्छी भीड़ उमड़ी। सभी के मन में जंगल जाकर बाघ के दीदार करने की लालसा थी और इसी उम्मीद में सभी जंगल में पहुंचे। लेकिन पहले दिन किसी को भी बाघ के दीदार नहीं हो सके। इससे उनमें मायूसी देखने को मिली। अलबत्ता हिरण, भालू समेत तमाम पक्षी जरूर नजर आ गए।
नि:शुल्क रही भ्रमण की व्यवस्था
पर्यटन सत्र के पहले दिन जंगल भ्रमण की व्यवस्था पूर्ण रूप से निश्शुल्क रही। सैलानियों ने भी इस मौके का लाभ उठाते हुए जंगल की सैर की और वन्य जीवों के दीदार का आनंद उठाया।
आकर्षण का केंद्र रही नन्ही दुर्गा
पर्यटन सत्र शुभारंभ कार्यक्रम में नन्ही हथिनी दुर्गा सबके आकर्षण का केंद्र रही। लोग उसके साथ फोटो खिंचवाने के लिए लालायित दिखे। नन्ही दुर्गा भी सबके साथ बिना किसी झिझक के फोटो खिंचवाती रही। स्कूली बच्चों को इसका विशेष क्रेज रहा।
दुधवा में ठहरने को हैं 14 हट
दुधवा टाइगर रिजर्व में स्टे के लिए 14 बेहतरीन हट मौजूद हैं। पक्के हट गीजर, एसी आदि से परिपूर्ण हैं। इसके अलावा चार रेस्ट हाउस भी हैं। यहां आने वाले सैलानियों को कैंटीन का बढिय़ा खाना भी परोसा जाता है। ठहरने के लिए 10 बेड की डोरमेट्री भी है।
कैसे करें ऑनलाइन बुकिंग
दुधवा में हट की बुकिंग पूर्ण रूप से ऑनलाइन की जाती है। इसके लिए यूपी इको टूरिज्म की ऑफीशियल वेबसाइट पर आपको एक लिंक मिल जाएगा। इसके अलावा आप दुधवा टाइगर रिजर्व की वेबसाइट का भी प्रयोग कर सकते हैं। ऑफीशियल वेबसाइट पर जाकर हट की बुकिंंग करवाई जा सकती है। थारू हट दो व्यक्तियों के लिए तीन हजार रुपये व डोरमेट्री दस बेड की दस हजार रूपये का शुल्क है।
जंगल भ्रमण के लिए ये है शुल्क
जंगल भ्रमण के लिए प्रति व्यक्ति 100 रुपये फिक्स चार्ज है। रोड टैक्स तीन सौ रुपये है। जिप्सी के 1450 रुपये और नेचर गाइड के 450 रुपये अलग से है। गैंडा पुनर्वास फेज में एक हाथी पर बैठकर जाने के लिए 600 रुपये है। हाथी पर अधिकतम चार लोग बैठ सकते हैं।
कतर्निया के कपाट भी खुले
मानसून के चलते पांच महीने के लिए कतर्नियाघाट वन्यजीव विहार के कपाट पर्यटकों के लिए बंद कर दिए जाते हैं। सात महीने के लिए पर्यटक जंगलों की सैर करते हैं। प्रतिवर्ष 15 नवंबर को पर्यटकों के लिए कतर्निया खोला जाता है। 15 जून से जंगलों में प्रवेश पूरी तरह वर्जित कर दिया जाता है। उद्घाटन समारोह के मोतीपुर रेंज कार्यालय से स्कूली बच्चों व स्थानीय लोगों द्वारा साइकिल रैली निकाली गई। मोतीपुर से ककरहा रेंज होते हुए रैली धर्मापुर रेंज तक पहुंची।
धर्मापुर की रैली मुर्तिहा, मुर्तिहा की रैली निशानगाड़ा पहुंची। साइकिल रैली से लोगों को वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूक किया गया। रैली निकालने के बाद कतर्नियाघाट इंट्री गेट पर वन विभाग व पर्यटन विभाग के अधिकारियों द्वारा हवन-पूजन किया गया। पर्यटकों को होम स्टे की सुविधा देने वाले पीलीभीत, दुधवा, बहराइच व श्रावस्ती के 10, कारीकोट के राजकुमार व चहलवा के रमेश चौहान को पर्यटन विभाग द्वारा जारी प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। वन निगम के अधिकारियों ने बताया कि होम स्टे का ब्योरा इको टूरिज्म की वेबसाइट पर डाल दी गई है, जिससे पर्यटक बुकिंग आसानी से करा सकते हैं। स्विटजरलैंड की बोट पर वन विभाग व इको टूरिज्म के आला अफसरों ने गेरुआ नदी की सैर की।
कैसे पहुंचे : लखनऊ-वाया बहराइच-नानपारा, मिहीपुरवा होते हुए कतर्नियाघाट 240 किमी (सड़क व रेल दोनों मार्ग)
बाघ, तेंदुआ, घडिय़ाल करते हैं रोमांचित
बाघ और तेंदुए के कुनबे जहां सैलानियों को आकर्षित करते हैं, वहीं गेरुआ नदी में उछाल मारने वाली गैंजाइटिक डॉल्फिन और मगरमच्छों व घडिय़ालों के परिवार गेरुआ नदी के रेतीले टीलों पर धूप सेंकते नजर आएंगे। हिरन, सांभर, पाढ़ा, बारहसिंंघा, नीलगाय, कांकड़, लंगूरी बंदर झुंड के झुंड देखे जा सकते हैं।
पक्षियों की हैं 350 प्रजातियां
कतर्नियाघाट वन्यजीव विहार में पक्षियों की 350 प्रजातियां पाई जाती हैं। नवंबर से प्रवासी पक्षियों का भी आगमन शुरू हो जाता है जो फरवरी तक पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं।
थारू हट में रहने का अलग मजा
सैलानियों के लिए विश्राम भवन के अलावा 15 थारू हट, 22 बेड के डबल स्टोरी डारमेट्री, कैंटीन, सुलभ शौचालय और जनरेटर की सुविधा का लाभ उठा सकेंगे। डीएफओ जीपी ङ्क्षसह बताते हैं कि इको टूरिज्म के लिए निर्मित भवनों के अलावा ककरहा, मोतीपुर, निशानगाड़ा, धर्मापुर, मुर्तिहा, कतर्नियाघाट गेस्ट हाउस में भी पर्यटक ठहर सकेंगे। कतर्नियाघाट के दो थारू हट पर्यटकों के लिए बुक किए जाएंगे। इसकी बुङ्क्षकग विभाग की वेबसाइट यूपीइकोटूरिज्म डॉट इन पर भी करा सकते हैं।
स्विटजरलैंड बोट का भी आनंद लेंगे पर्यटक
पर्यटकों के लिए स्विटजरलैंड से बोट भी मंगाई गई है। इसका किराया 3500 रुपये देना पड़ेगा। इसमें 10 सीट की व्यवस्था है।