लखनऊ: आज 75 साल की होगी श्रीनगर में पहली बार उतरे डकोटा विमान की स्क्वाड्रन, वायुसेना ने रचा था इतिहास
मध्य वायुकमान की इसइ12वीं ट्रांसपोर्ट स्क्वाड्रन ने 75 साल की लंबी यात्रा में डकोटा से लेकर हरक्यूलिस उस डकोटा विमान वाली भारतीय वायुसेना की 12वीं स्क्वाड्रन एक दिसंबर को अपनी स्थापना का 75वां साल मनाएगी। इस स्क्वाड्रन ने डकोटा से लेकर एएन-32 ट्रांसपोर्टर विमान तक का सफर तय किया है।
लखनऊ [निशांत यादव]। सन 1947 में कश्मीर पर हुए कबाइली हमले से उसे बचाने के लिए भारतीय वायुसेना की जिस स्क्वाड्रन ने हिस्सा लिया। वह 12 ट्रांसपोर्टर स्क्वाड्रन मंगलवार को 75 साल की हो जाएगी। वायुसेना की 12 स्क्वाडन का वह सी-47 डकोटा विमान ही था। जो एक सिख रेजीमेंट के जवानों और हथियार लेकर 27 अक्टूबर 1947 को श्रीनगर की एयर स्ट्रिप पर उतरा था। इस एयर स्ट्रिप पर डकोटा के उतरने के कारण ही सेना कबाइली से कश्मीर के उस हिस्से को आजाद करा सकी थी। जो आज भारत के पास है। मध्य वायुकमान की इसइ12वीं ट्रांसपोर्ट स्क्वाड्रन ने 75 साल की लंबी यात्रा में डकोटा से लेकर हरक्यूलिस उस डकोटा विमान वाली भारतीय वायुसेना की 12वीं स्क्वाड्रन एक दिसंबर को अपनी स्थापना का 75वां साल मनाएगी। इस स्क्वाड्रन ने डकोटा से लेकर एएन-32 ट्रांसपोर्टर विमान तक का सफर तय किया है।
भारतीय वायुसेना की 12वीं स्क्वाड्रन की स्थापना आगरा में एक दिसंबर 1945 को हुई थी। तब इस स्क्वाड्रन के पास ट्रांसपोर्टर विमान डकोटा ही था। पाकिस्तानी कबाइली ने जब कश्मीर पर आक्रमण किया तो 27 अक्टूबर 1947 को भारतीय वायु सेना के 12 स्क्वाड्रन के डकोटा विमान ने भारतीय सेना की पहली सिख रेजिमेंट के सैनिकों को एयरलिफ्ट कर उनको श्रीनगर में उतारा। लखनऊ के ही रहने वाले वायुसेना अधिकारी राम कलप सिंह कौशिक भी इसी स्क्वाड्रन का हिस्सा थे। जिन्होंने एक सिख रेजीमेंट के जवानों को श्रीनगर पहुंचाने के मिशन में अहम योगदान दिया। डकोटा विमान से बम रखकर उनको पैरों से कबाइली वाले इलाकों में गिराया गया था। यह पहला अवसर था जबकि भारतीय वायु सेना किसी बड़े मिशन में हिस्सा ले रही थी।
मिला था 11 वीर चक्र
कश्मीर को कबाइलियों से वापस कब्जा पाने के मिशन में भारतीय वायु सेना की जिस 12 स्क्वाड्रन ने के जांबाजों ने बहादुरी का परिचय दिया था। उस स्क्वाड्रन को जम्मू कश्मीर ऑपेरशन के लिए 11 वीरचक्र प्रदान किए गए थे।
खुद सीओ ने भरी थी उड़ान
सिख रेजीमेंट के जवानों के साथ वायुसेना का पहला डकोटा 27 अक्टूबर 1947 को श्रीनगर में उतरा था। उस दिन को इंफेंट्री डे के रूप में मनाया जाता है। पहले डकोटा विमान में 12 स्क्वाड्रन के कमांडिंग अधिकारी विंग कमांडर केएल भाटिया के साथ सिख रेजीमेंट के कमांडिंग आफिसर कर्नल देवन रंजीत राय ने भी उड़ान भरी थी।
मध्य वायुकमान के लिए अहम योगदान
आजादी के बाद जब मध्य वायुकमान की स्थापना की गई। तब इस स्क्वाड्रन को मध्य वायुकमान में शामिल किया गया। इस स्क्वाड्रन ने 1965 और 1971 के पाक युद्ध में हिस्सा लिया। आज चीन से सटी उत्तराखंड की सीमा की सुरक्षा में यह स्क्वाड्रन पूरी तरह मुस्तैद है। जवानों और सैन्य साजो सामान को समय पर पहुंचाने में स्क्वाड्रन पूरी तरह मुस्तैद है।
विंग कमांडर शैलेंद्र पांडेय ने कहा कि मध्य वायु कमान के जनंसपर्क अधिकारी ने बताया कि पहली बार 1947 के जम्मू कश्मीर ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना के जिस डकोटा विमान से जवानों को श्रीनगर पहुंचाया था। वह 12वीं स्क्वाड्रन मध्य कमान का हिस्सा है। स्क्वाड्रन मंगलवार को अपनी स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मनाएगी।