लखनऊ के लोहिया संस्थान में दूरबीन विधि से थायराइड के ऑपरेशन शुरू, पहली सर्जरी लखीमपुर की युवती की

डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में अब थायराइड का दूरबीन विधि से ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है। पहला ऑपरेशन संस्थान के सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग की ओर से आयुष्मान योजना के तहत एक युवती का किया गया है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 09:49 PM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 07:29 AM (IST)
लखनऊ के लोहिया संस्थान में दूरबीन विधि से थायराइड के ऑपरेशन शुरू, पहली सर्जरी लखीमपुर की युवती की
सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग के डॉ. विकास शर्मा ने किया पहला ऑपरेशन।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। थायराइड से ग्रस्त लोगों के लिए राहत भरी खबर है। डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में अब थायराइड का दूरबीन विधि से ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है। पहला ऑपरेशन संस्थान के सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग की ओर से आयुष्मान योजना के तहत एक युवती का किया गया है। ऑपरेशन के बाद महिला मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है। आयुष्मान योजना के तहत लोह‍िया संस्थान में दूरबीन विधि से थायराइड का ऑपरेशन पूरी तरह नि:शुल्क किया गया है।

लखीमपुर खीरी निवासी 22 साल की युवती को गले में थायराइड की गांठ की परेशानी थी। उसकी गांठ लगातार बढ़ रही थी। इससे युवती के गले में भारीपन और निगलने की समस्या होने लगी थी। युवती ने लोहिया संस्थान की ओपीडी में डॉ. विकास शर्मा को दिखाया। सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास शर्मा ने युवती की थायराइड की जांच कराई तो पता चला कि उसे कोलाइड गोइटर नाम बीमारी है। डॉ. विकास ने बताया कि दूरबीन विधि से युवती का ऑपरेशन किया गया। इसमें कांख व छाती में चार महीन सुराख कर गांठ को निकाल दिया गया। थायराइड की गांठ की समस्या आमतौर पर युवा महिलाओं को ज्यादा होती है।

ओपन सर्जरी के बाद गले में चीरा का निशान आता है। इससे मरीज सामाजिक जगहों पर असहज महसूस करता है। दूरबीन विधि से ऐसा निशान नहीं रहता है। उन्होंने बताया कि युवती की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी। आयुष्मान योजना के तहत संस्थान में दूरबीन विधि से थायराइड का ऑपरेशन पूरी तरह नि:शुल्क किया गया। आमतौर पर इस ऑपरेशन का दिल्ली के निजी अस्पताल में दो लाख रुपए से अधिक खर्च आता है। ऑपरेशन विधि से इलाज करने वाली टीम में कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास शर्मा के अलावा डॉ. गौरव, डॉ. अमित, एनेस्थीसिया डॉ. सूरज, नर्सिंग स्टॉफ तृप्ति, प्रियंका, अपूर्वा, ओटी असिस्टेंट रवींद्र व जियाउल का विशेष योगदान रहा।

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