दोमुहां सांप की तस्करी करते महिला सहित तीन दबोचे गए, इस दुर्लभ प्रजाति की कीमत करोड़ों में

लखीमपुर के धौरहरा थानाक्षेत्र के ग्राम नान्हूपुरवा मजरा डिहुआ कलां का मामला है। इनके पास से तीन दुर्लभ प्रजाति के दोमुहां सांप बरामद किए गए।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Tue, 11 Feb 2020 05:46 PM (IST) Updated:Wed, 12 Feb 2020 08:35 AM (IST)
दोमुहां सांप की तस्करी करते महिला सहित तीन दबोचे गए, इस दुर्लभ प्रजाति की कीमत करोड़ों में
दोमुहां सांप की तस्करी करते महिला सहित तीन दबोचे गए, इस दुर्लभ प्रजाति की कीमत करोड़ों में

लखीमपुर, जेएनएन। उत्‍तर प्रदेश के लखीमपुर में मंगलवार को छापेमारी कर वन विभाग व पुलिस की टीम ने एक महिला सहित तीन तस्करों को दबोचा है। इनके पास से तीन दुर्लभ प्रजाति के दोमुहां सांप (रेड सेंड बोआ) बरामद हुए। यह कार्रवाई एक मुखबिर की सूचना पर की गई। पुलिस के मुताबिक, बरामद सांपों की अंतर्राष्ट्रीय बाजार के कीमत करीब दो करोड़ रुपये है।

ये है पूरा मामला 

मामला धौरहरा थानाक्षेत्र के ग्राम नान्हूपुरवा मजरा डिहुआ कलां का है। पुलिस के मुताबिक, मुखबिर से नान्हूपुरवा मे दोमुहां सांपो की तस्करी से जुड़े लोगों के एकत्र होने और खरीद फरोख्त किए जाने की सूचना मिली थी। इसके बाद वन विभाग से तालमेल किया गया और वन दारोगा ऋषभ प्रताप सिह व सत्य प्रकाश को साथ लेकर पुलिस बल ने बताए गए स्थान पर अचानक दबिश दी। खबर सही निकली और एक बक्से में बंद तीन दोमुहां सांपों के साथ तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनका एक साथी मौका पाकर फरार होने मे सफल रहा। पकड़े गए लोगों की पहचान ग्राम सिकटिहा जिला सीतापुर निवासी मिहीलाल, यही की निवासी महिला किरण और खीरी थाना क्षेत्र के ग्राम सूंसी निवासी जगतपाल के रूप में हुई। पकड़े गए लोगों के बयान के मुताबिक, ग्राम नान्हूपुरवा का ही निवासी जगदीश मौके से भाग गया था। यह लोग जगदीश और जगतपाल के जरिए ही इस क्षेत्र से दोमुहां सांपों की तस्करी में सक्रिय है। पुलिस के मुताबिक, बरामद सांपों की अंतर्राष्ट्रीय बाजार के कीमत करीब दो करोड़ रुपये है। आरोपितों के पास एक मोटरसाइकिल, चार मोबाइल, 410 रुपये नकद बरामद हुए। 

रेड सेंड बोआ सांप 

रेड सेंड बोआ सांप दुर्लभ प्रजाति का सांप है। अधिकतर ये सांप रेतीली जमीन पर रहता है, जिसकी वजह से इसे सेंड बोआ कहते हैं। दो से तीन किलो के इस सांप की कीमत करोड़ों में होती है। नेपाल के रास्‍ते इनकी तस्‍करी भी होती है। यह एक विषहीन सांप है, सुस्‍त रफ्तार की वजह से इसे आसानी से पकड़ा जा सकता है। अंधविश्‍वास की वजह से लोग इसका मांस भी खाते हैं। इसकी मांग भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बहुत है। सैंड बोआ कभी अपने बनाए बिल में नहीं रहता है बल्कि दूसरे सांप के बिल में रहता है। कभी कभार दूसरे सांप को भी मारकर खाता है। 

मुंह की तरह बोआ की पूंछ

सुनहरे रंग व सुस्त रफ्तार वाले बोआ की पूंछ भी मुंह की तरह दिखने की वजह से इसे दोमुंहा सांप कहा जाता है। दक्षिण के राज्यों में मान्यता है कि दोमुंहे सांप यदि घर के आसपास दिख गए तो धन की प्राप्ति होगी। बोआ की औसत उम्र 15-20 वर्ष होती है।

खाल से बनाई जातीं कई दवाइयां

चीन, ताइवान, मलेशिया में बोआ का इस्तेमाल दवा बनाने के लिए किया जाता है। इससे नशा, ताकत एवं मिर्गी के लिए दवा बनाई जाती है।

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