यूपी में मटर का होगा रिकार्ड उत्पादन, विशेषज्ञों ने किसानों को रोगों से बचने के लिए बताए ये उपाय..

मटर की बुआई के बाद अब उसकी पैदावार को लेकर विशेषज्ञों ने अनुमान लगाना शुरू कर दिया गया। इस बार फसल अच्छी होने के संकेत हैं। किसानों को पुष्पन के समय सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। ताकि फसल की रोगों से रक्षा की जा सके।

By Dharmendra MishraEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 10:12 AM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 02:52 PM (IST)
यूपी में मटर का होगा रिकार्ड उत्पादन, विशेषज्ञों ने किसानों को रोगों से बचने के लिए बताए ये उपाय..
कृषि विशेषज्ञों ने इस वर्ष प्रदेश में मटर का उत्पादन बेहतर होने का लगाया अनुमान।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय] ।  मटर की बुआई के बाद अब उसकी पैदावार को लेकर विशेषज्ञों ने अनुमान लगाना शुरू कर दिया गया। इस बार फसल अच्छी होने के संकेत हैं। किसानों को पुष्पन के समय सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। ताकि फसल की रोगों से रक्षा की जा सके।

बख्शी का तालाब के चंद्र भानु गुप्ता कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डा. सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि सब्जी मटर की मुख्य फसल इस समय पुष्पन अवस्था में है। इस समय घातक कीटनाशक का प्रयोग हानिकारक होता है। जहां तक संभव हो सके जैविक कीटनाशकों का ही प्रयोग करें जिससे पुष्पन के बाद फलत अच्छी होगी फलियां दानों से भरी रहेंगी।

डा.सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि इस वर्ष मटर के लिए मौसम अनुकूल है। वातावरण में 20 से 25 डिग्री तापक्रम निरंतर बना रहने के कारण इस वर्ष मटर का अच्छा उत्पादन होने की संभावना है। कई दिनों से बादलों की वजह से मटर की फसल पर कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है।तना छेदक मक्खी तथा फली बेधक कीट का अधिक प्रकोप होता है। दिन में अधिक धूप होने के कारण तना के अंदर तना छेदक मक्खी अपने अंडरोपक से अंडे दे देती है और यह अंडे दिखाई नहीं देते कुछ दिन के बाद पूरा पौधा सूख जाता है। इस कीट का मैगट मुलायम रसीले तने को खाकर नुकसान पहुंचाते हैं। मक्खी कई दिनों तक अंडे देती रहती है जिससे अधिक नुकसान हो जाता है। खेत में एक से दो सूखे पौधे यदि दिखाई देते हैं तो इस कीट का प्रबंधन किसानों को कर देना चाहिए। दिसंबर माह के प्रथम सप्ताह में फलियों के ऊपर ग्रेसी कटुआ कीट का प्रकोप बढ़ता है इसके लारवा आधा फलियों के अंदर और आधा फलियों के बाहर लटके हुए पाए जाते हैं इस किट को समय से प्रबंधन कर लेना चाहिए नहीं तो अधिक नुकसान हो जाता है।

ऐसे नियंत्रित करें कीटः तना छेदक मक्खी तथा फली बेधक कीट को प्रबंधित करने के लिए जैविक कीटनाशक ब्यूवेरिया बैसियाना एक फफूंदी जनित उत्पाद है। इसकी तीन ग्राम मात्रा को एक लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से इन दोनों कीटों का समन्वित प्रबंधन हो जाता है। यदि कीट का अधिक प्रकोप होने पर साइपरमेथरीन 25 प्रतिशत ईसी की दो एमएल मात्रा को एक लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।

इनका रखें ध्यानः

- छिड़काव कभी भी अधिक धूप में न करें।

- छिड़काव करते समय अपने मुंह पर मास्क का प्रयोग अवश्य करें।

- छिड़काव करते समय किसी भी खाने वाली सामग्री का प्रयोग न करें।

-कीटनाशक का छिड़काव किया गया है, उसके बारे में लोगों को जानकारी अवश्य दें।

-कीटनाशक का छिड़काव स्वास्थ्य एवं वातावरण के लिए हानिकारक होता है।

-जब आवश्यकता हो तभी कीटनाशक का छिड़काव करें। कीटनाशक सही एवं रजिस्टर्ड दुकान से ही खरीदें।

-सब्जी मटर पर कभी भी पुष्पन अवस्था में घातक कीटनाशक का प्रयोग न करें।

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