अंतरराष्ट्रीय फलक पर चमक रहे चबूतरा थियेटर के सितारे, लाॅस एंजिल्स से शंघाई तक धूम मचा रही लखनऊ के आशीष की फिल्म

शहर की बस्तियों में रहने वाले बच्चे अपने हुनर के दम पर अंतरराष्ट्रीय फलक पर चमक रहे। लखनऊ के ही आशीष पंत द्वारा निर्देशित फिल्म द नाॅट-उलझन में बाल कलाकारों मोनू गौतम मो अमन शिवानी चैधरी मो सैफ हर्ष गौतम और खुशी ने काम किया है।

By Vikas MishraEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 11:24 AM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 11:24 AM (IST)
अंतरराष्ट्रीय फलक पर चमक रहे चबूतरा थियेटर के सितारे, लाॅस एंजिल्स से शंघाई तक धूम मचा रही लखनऊ के आशीष की फिल्म
न्यूयार्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल और शंघाई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में इसका एशिया प्रीमियर हुआ।

लखनऊ, [दुर्गा शर्मा]। शहर की बस्तियों में रहने वाले बच्चे अपने हुनर के दम पर अंतरराष्ट्रीय फलक पर चमक रहे। रंगमंच की दुनिया में नाम कमा रहे ये बच्चे टेलीविजन और विज्ञापन के बाद अब फिल्मी दुनिया में भी धूम मचा रहे। लखनऊ के ही आशीष पंत द्वारा निर्देशित फिल्म द नाॅट-उलझन में इन बाल कलाकारों मोनू गौतम, मो अमन, शिवानी चैधरी, मो सैफ, हर्ष गौतम और खुशी ने काम किया है। यह फिल्म लाॅस एंजिल्स से लेकर शंघाई तक छाई हुई है। फिल्म का वल्र्ड प्रीमियर 36वें सांता बरबरा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में इसी साल हुआ। यह इंडियन फिल्म फेस्टिवल लाॅस एंजिल्स में भी दिखाई गई।

न्यूयार्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल और शंघाई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में इसका एशिया प्रीमियर हुआ। फिल्म में उत्तर को वरीयता दी गई है, वहीं इसके डाॅयलाॅग भी अवधी में हैं। पौने दो घंटे की इस फिल्म में खुशी का किरदार अहम है। वहीं, अन्य बाल कलाकारों ने भी अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है। ये सभी बच्चे शहर के चबूतरा थियेटर पाठशाला से जुड़े हैं।

मुन्नी से मिलती है असल जिंदगी की कहानीः फिल्म में मुन्नी का किरदार चबूतरा थियेटर की खुशी ने निभाया है। खुशी बताती हैं कि यह कहानी उनकी असल जिंदगी से मिलती है। खुशी सरकारी स्कूल में कक्षा आठ में पढ़ रहीं। दुर्घटना में पिता घायल हो गए और उन्हें लकवा मार गया। मम्मी एक अस्पताल में काम करके घर चला रहीं। तीन भाई बहन हैं। फिल्म में भी कुछ इसी तरह का दिखाया गया है, जिसमें फिल्म के पति-पत्नी कलाकार रिक्शा चालक पिता का एक्सीडेंट कर देते हैं। पिता को खोने के बाद मुन्नी की आवाज चली जाती है। चाचा मुन्नी को पालने के लिए दुर्घटना के लिए जिम्मेदार लोगों से पैसा मांगने के लिए संघर्ष करते हैं।

रंगमंच प्रशिक्षु हैं सभी बच्चेः चबूतरा थियेटर के महेश चंद्र देवा बताते हैं, रंगमंच प्रशिक्षण के जरिए जरूरतमंद बच्चों के हुनर को तराशने के लिए उन्होंने चबूतरा थियेटर शुरू किया था। फिल्म के लिए आॅडिशन हुआ तो थिएटर के इन छह बच्चों को मौका मिल गया। ये सारे बच्चे 2014 से चबूतरा थियेटर से जुड़े हुए हैं। कई सारे बच्चे तो अब अभिनय के साथ ही निर्देशन और लेखन में भी आगे आ रहे। शहर के प्रतिभावान बच्चों की फिल्म विदेश में भी पसंद की जा रही, ये बहुत बड़ी बात है।

chat bot
आपका साथी