छावनी में वैरी बोर्ड पूर्ण करने के लिए नामित सदस्य की तलाश तेज, पांच के नाम भेजे गए रक्षा मंत्रालय
छावनी परिषद के निर्वाचित सदन के भंग होने के बाद अस्तित्व में आए वैरी बोर्ड में जनता का प्रतिनिधित्व तय करने की कवायद तेज हो गई है। तेलांगना हाइकोर्ट के आदेश के बाद आखिरकार रक्षा मंत्रालय हरकत में आया है।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। छावनी परिषद के निर्वाचित सदन के भंग होने के बाद अस्तित्व में आए वैरी बोर्ड में जनता का प्रतिनिधित्व तय करने की कवायद तेज हो गई है। तेलांगना हाइकोर्ट के आदेश के बाद आखिरकार रक्षा मंत्रालय हरकत में आया है। देश भर की 62 छावनियों के नामित सदस्यों के चयन की प्रक्रिया तेज हो गई है। लखनऊ छावनी परिषद से पांच दावेदारों के नाम रक्षा मंत्रालय को भेजा गया है। छावनी परिषद के निर्वाचित सदन का पांच साल का कार्यकाल पिछले साल फरवरी में पूरा हो गया था। छावनी परिषद अधिनियम के तहत छह माह का दो बार विस्तार दिया गया।
इस साल फरवरी में रक्षा मंत्रालय ने निर्वाचित सदन को भंग कर वैरी बोर्ड के गठन के आदेश दिए। आठ वार्डों वाले लखनऊ छावनी परिषद के वैरी बोर्ड की कमान परिषद अध्यक्ष व मध्य यूपी सब एरिया मुख्यालय के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल राजीव शर्मा के हाथ आ गई। जबकि छावनी परिषद सीईओ वैरी बोर्ड के सचिव बन गए हैं। अब जनता की ओर से वैरी बोर्ड के एक नामित सदस्य का चयन किया जाना है। मार्च माह में यह कवायद शुरू हुई थी लेकिन इसे रोक दिया गया। इस बीच सिकंदराबाद स्थित तेलांगना हाइकोर्ट में बिना नामित सदस्य के वैरी बोर्ड के काम करने को लेकर पीआइएल दाखिल की गई। जिसपर रक्षा मंत्रालय ने अपना शपथ पत्र दाखिल करते हुए वैरी बोर्ड में नामित सदस्य की तैनाती की प्रक्रिया शूरू की। लखनऊ से पूर्व उपाध्यक्ष प्रमोद शर्मा, रूपा देवी, पूर्व सदस्य संजय वैश्य, भाजपा किसान मोर्चा के विनोद कुमार और कर्नल (अवकाशप्राप्त) अरुण अवस्थी के नाम भेजे जाने की चर्चा है।
जनता से चयन की मांगः वहीं अखिल भारतीय छावनी परिषद महासंघ के राष्ट्रीय महासचिव ने नामित सदस्य की जगह जनता की ओर से उसका चयन करने की मांग की है। जिससे व्यवस्था की पारदर्शिता बनी रहे। पिछले दिनों लखनऊ आए रक्षा सचिव अजय कुमार ने कहा था कि उपाध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता से कराने के लिए छावनी परिषद अधिनियम 2020 तैयार हो रहा है। राज्यसभा में इसका बिल पारित होने पर परिषद के आम चुनाव हो सकेंगे।