Civil Hospital: लखनऊ में सिविल अस्पताल की इमरजेंसी में घंटों तड़पा मरीज, डॉक्टर ने नहीं लगाया हाथ

डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में गंभीर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। मगर इसकी फिक्र इमरजेंसी के डाक्टर से लेकर अस्पताल के उच्चाधिकारियों तक को नहीं है। इमरजेंसी में मंगलवार को शाम करीब साढ़े चार बजे आया एक मरीज घंटों तड़पता रहा।

By Vikas MishraEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 08:46 AM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 01:08 PM (IST)
Civil Hospital: लखनऊ में सिविल अस्पताल की इमरजेंसी में घंटों तड़पा मरीज, डॉक्टर ने नहीं लगाया हाथ
मरीज की दो बेटियां डाक्टरों से भर्ती करने की मिन्नतें करती रहीं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में गंभीर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। मगर इसकी फिक्र इमरजेंसी के डाक्टर से लेकर अस्पताल के उच्चाधिकारियों तक को नहीं है। इमरजेंसी में मंगलवार को शाम करीब साढ़े चार बजे आया एक मरीज घंटों तड़पता रहा। मगर किसी डाक्टर ने हाथ तक नहीं लगाया। साथ में आई दो बेटियां डाक्टरों से मरीज को भर्ती करने की मिन्नतें करती रहीं। तब जाकर काफी देर बाद मरीज की भर्ती फाइल बनाई गई। मगर शाम छह बज जाने के बाद भी मरीज गैलरी में ही बिना इलाज स्ट्रेचर पर पड़ा रहा। अस्पताल स्टाफ, तीमारदारों को सिर्फ धैर्य रखने को कहता रहा। 

सदर निवासी 70 वर्षीय अब्दुल अली को पेट समेत पूरे शरीर में सूजन आने व बार-बार लूज मोशन और तेज पेट दर्द के चलते मंगलवार को इमरजेंसी लाया गया था। बेटी बेबी ने बताया कि घंटों से इलाज व भर्ती के लिए मिन्नतें कर रहे हैं। मगर कोई सुनवाई नहीं हो रही। करीब दो घंटे बाद बताया गया कि भर्ती की फाइल बन गई है। मगर अभी तक हम लोग पिता के साथ गैलरी में ही खड़े हैं। बिजली से झुलसे मरीज को तीन दिन से नहीं मिली दवा: सिविल अस्पताल के डाक्टरों की लापरवाही सिर्फ यहीं खत्म नहीं हो जाती। यहां इमरजेंसी के बर्न वार्ड में जाने पर बिजली के करंट से बुरी तरह झुलसे मरीज अशोक को तीन दिन से कोई दवा तक नहीं दी गई है। इतना ही नहीं, उसकी ड्रेसिंग तक नहीं की गई। मरीज के छोटे भाई मनोज ने बताया कि सिर्फ ग्लूकोज की बोतल लगाकर उन्हें छोड़ दिया गया है। ग्लूकोज खत्म होने की जानकारी दी गई तो नर्स ने कहा कि अभी आएंगे। मगर काफी समय बाद भी कोई नहीं आया। अशोक लोक भवन में संविदा पर बिजलीकर्मी हैं, जो रविवार को करंट से झुलस गए थे।

इमरजेंसी हमारे यहां फुल चल रही है। मरीज जब आए थे तो कोई भी बेड खाली नहीं था। इसलिए तब तक उन्हें स्ट्रेचर पर रखा गया था। अब भर्ती कर लिया गया है। बर्न वाले मरीज को ओरली दवा देना ठीक नहीं था। इसलिए फ्लूड के जरिये दवा चलाई जा रही है। ड्रेसिंग भी जरूरत के अनुसार की जाती है। -डा. सुभाष चंद्र सुंदरियाल, निदेशक सिविल अस्पताल।

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