मेट्रो की क्या रही चुनौतियां, पूरा इतिहास संजोया जाएगा मेट्रो के म्यूजियम में
लखनऊ मेट्रो रेल कॉरपोरेशन भूमिगत स्टेशन में तमाम मशीनों के मॉडल भी रखेगा। साथ ही उन चित्रों का उल्लेख होगा, जो लखनऊ मेट्रो के लिए इतिहास बन चुके हैं।
लखनऊ (अंशू दीक्षित)। आने वाली पीढिय़ां लखनऊ मेट्रो के इतिहास से रूबरू हो सकें, इसके लिए लखनऊ मेट्रो ने अपने म्यूजियम में इतिहास संजोने का काम शुरू कर दिया है। म्यूजियम में वर्ष 2014 से लेकर अब तक का सफरनामा होगा। इसकी मॉनीटरिंग स्वयं निदेशक स्तर के अधिकारी कर रहे हैं। म्यूजियम में केंद्र व प्रदेश सरकार के अलावा विदेशी बैंक द्वारा दिए गए सहयोग का जिक्र भी होगा। भूमिगत स्टेशन में तमाम मशीनों के मॉडल भी लखनऊ मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (एलएमआरसी) रखेगा, साथ ही उन चित्रों का उल्लेख होगा जो लखनऊ मेट्रो के लिए इतिहास बन चुके हैं।
लखनऊ मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (एलएमआरसी) की मंशा है कि म्यूजियम में नॉर्थ साउथ कॉरिडोर के साथ ही अन्य कॉरिडोर का लेखा-जोखा भी रखा जाए। साथ ही मेट्रो के ट्रॉयल रन से कमर्शियल रन का जिक्र होगा। इसका एलईडी पर डिस्प्ले हो सके, उसकी भी व्यवस्था लखनऊ मेट्रो करेगा। लखनऊ मेट्रो म्यूजियम में अपने रूट का ब्योरा भी डिस्प्ले करेगा। साथ ही बताने का प्रयास करेगा कि मेट्रो लखनऊ में कैसे और किन-किन रूट से होकर गुजर रही है। कुल मिलाकर म्यूजियम घूमने वाला जान सकेगा कि मेट्रो को ऑपरेटिंग कंट्रोल सेंटर से कैसे कंट्रोल किया जा रहा है और संचालन में कंट्रोल रूम का क्या रोल है। डिपो व प्रत्येक स्टेशन की खूबियां क्या हैं, उसके बारे में भी बताया जाएगा। ऑडियो व वीडियो के जरिए भी लखनऊ मेट्रो को समझा जा सकेगा।
पटेल नगर स्थित दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन से बेहतर लखनऊ मेट्रो का म्यूजियम हो, इसके लिए नॉर्थ साउथ कॉरिडोर के भूमिगत सचिवालय स्टेशन पर इसे बनाया जा रहा है।
मेट्रो मैन से लेकर अफसरों तक का उल्लेख
लखनऊ मेट्रो को शुरू करने में मेट्रोमैन श्रीधरन के साथ-साथ एलएमआरसी के पहले प्रबंध निदेशक कुमार केशव व उनकी टीम की सूची भी चस्पा की जाएगी। वहीं जिन कार्यदायी संस्थाओं ने नॉर्थ साउथ कॉरिडोर के प्राथमिक सेक्शन में लखनऊ मेट्रो को खड़ा करने में सहयोग दिया है उनका भी जिक्र म्यूजियम में होगा।
स्पेशल स्पैन का होगा जिक्र
चौधरी चरण सिंह से मुंशी पुलिया के बीच बनने वाले स्पेशल स्पैन का जिक्र होगा। मवैया से दुर्गापुरी के बीच बने स्पैन का उल्लेख होगा। यह स्पैन रेलवे टै्रक के ऊपर बनाया गया है। वहीं हनुमान सेतु के ऊपर बना स्पैन पूरे रूट का सबसे टफ स्पैन रहा है, जिसे बनाने में कई माह लग गए। 22.85 किलोमीटर ट्रैक पर दौडऩे वाली मेट्रो की आधुनिकता का भी जिक्र होगा। कम्यूनिकेशन बेस ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (सीबीटीसी) से लैस है यानी जरूरत पडऩे पर मेट्रो को बिना ड्राइवर के भी चलाया जा सकता है। वहीं कोच में बैठा यात्री ट्रेन ऑपरेटर से सीधे बात कर सकता है। वहीं दिव्यांग अपनी व्हीलचेयर के साथ सफर कर सकते हैं।
15 रुपये हो सकता है म्यूजियम का टिकट
म्यूजियम देखने के लिए दर्शकों को टिकट लेना होगा। दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन में करीब दस रुपये प्रति व्यक्ति टिकट चार्ज देना होता है। लखनऊ मेट्रो में शुरुआती किराया 15 रुपये रखने की तैयारी है, ऐसे में म्यूजियम का किराया 15 रुपये के आसपास हो सकता है। यह टिकट कुछ घंटे के लिए ही मान्य होगा। हालांकि इस पर निर्णय चंद दिनों में लखनऊ मेट्रो लेगा।