लखनऊ में माटी कला मेला 13 तक चलेगा, गोबर और मिट्टी के बने दीपक बने आकर्षण का केंद्र
संस्था के बाबा भक्ति प्रकाश ने बताया उनके पास देसी गाय के गोबर से बने छोटे से बड़े आकार के दिए हवन उपला और धूपबत्ती लेकर आए हैं। 50 रुपये से लेकर 80 रुपये के एक दर्जन दीपक पानी में तैरते रहते हैं।
लखनऊ, जेएनएन। माटी कला को जीवंत करने और उनकी कला को प्राेत्सहन देने के लिए डालीबाग के डालीबाग के उप्र खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड परिसर में लगे माटी कला मेले में हुनर की प्रदर्शनी देखते ही बनती है मिट़्टी और गोबर की बनी प्रतिमाएं, गमले और दीपक लोगों को अपनी ओर खींच रहे हैं। प्रतापगढ़ के पट्टी के महिला स्वावलंबन ट्रस्ट के स्टॉल पर गोबर उत्पादों को खूब पसंद किया जा रहा है।
संस्था के बाबा भक्ति प्रकाश ने बताया उनके पास देसी गाय के गोबर से बने छोटे से बड़े आकार के दिए, हवन उपला और धूपबत्ती लेकर आए हैं। 50 रुपये से लेकर 80 रुपये के एक दर्जन दीपक पानी में तैरते रहते हैं। प्रयोग करने के बाद गोबर की खाद बन जाती है। पांच से 10 रुपये के कंडे लेकर घर में हवन किया जा सकता है। इसके अलावा देसी गाय के गोबर और सुगंधी से मिलाकर दिवाली स्पेशल हवन सामग्री युक्त धूपबत्ती लोग खूब पसंद कर रहे हैं। कपड़े के गमले भी मौजूद हैं। मेले में राजधानी समेत प्रदेश के गोरखपुर, प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर, आजमगढ़, मिर्जापुर, चंदौली, उन्नाव, कुशीनगर, आगरा व प्रतापगढ़ समेत 15 जिलों के माटी कलाकार आए हैं।
खादी मार्ट में भी हो रही खरीदारी
परिसर में स्थापित खादी मार्ट में भी ग्राहकों की भीड़ से दुकानदारों के चेहरे खिल उठे हैं। जूट के सामान बनाने वाले शैलेंद्र सिंह ने बताया कि माटी कला बोर्ड के मेले से दुकानदारों को भी फायदा हो रहा है। दीपावली के अवसर पर लगे मेले में शिल्पकारों को आमदनी हो रही है। मोबाइल मधुमक्खी पालन करने वाले डॉ.नितिन सिंह लोगों को प्रशिक्ष्रण देकर शहद उत्पादन से जुड़ने की सलाह दे रहे हैं। मार्ट के प्रथम तल पर स्थापित दुकान पर लोगों की भीड़ लगी रहती है।