यूपी में बढ़ा संस्‍कृत भाषा सीखने का शौक, 80 हजार लोगों ने कराया पंजीकरण

देव भाषा संस्कृत का बेसिक ज्ञान लेने के लिए उप्र संस्कृत संस्थानम् की ओर से मिस काल से पंजीयन कराने की सुविधा दी गई। 80 हजार लोगों ने मिस काल करके अपना पंजीयन कराया है। पंजीयन कराने वालों में डाक्टर इंजीनियर व वैज्ञानिक भी शामिल हैं।

By Vikas MishraEdited By: Publish:Sun, 21 Nov 2021 12:47 PM (IST) Updated:Sun, 21 Nov 2021 12:47 PM (IST)
यूपी में बढ़ा संस्‍कृत भाषा सीखने का शौक, 80 हजार लोगों ने कराया पंजीकरण
पंजीयन कराने वालों में डाक्टर, इंजीनियर व वैज्ञानिक भी शामिल हैं।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। देव भाषा संस्कृत का बेसिक ज्ञान लेने के लिए उप्र संस्कृत संस्थानम् की ओर से मिस काल से पंजीयन कराने की सुविधा दी गई। 80 हजार लोगों ने मिस काल करके अपना पंजीयन कराया है। पंजीयन कराने वालों में डाक्टर, इंजीनियर व वैज्ञानिक भी शामिल हैं। 

15 दिन का होता है परिचयः मोबाइल फोन नंबर 9522340003 मिसकाल के करके कोई भी पंजीयन करा सकता है। मिस काल करते ही ओटीपी आएगा और फिर गूगल फार्म भरना होगा। फार्म में व्यवसाय के साथ पढ़ाई के समय समेत अन्य जानकारियां लिखने के बाद पंजीयन पूरा होगा। पहले15 दिन तक संस्कृत में बोलने का परिचय कोर्स कराया जाएगा। आनलाइन प्रशिक्षण पूरी तरह से निश्शुल्क होगा। 

संस्कृत बोलेंगे नौनिहालः बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाने की होड़ मची हुई है। ऐसे में संस्कार की भाषा संस्कृत को स्थापित करने के लिए लखनऊ समेत प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों मेें बच्चों को संस्कार देने के लिए निश्शुल्क पाठशालाएं खोली जाएंगी। जहां फर्राटेदार अंग्रेजी के साथ ही संस्कृत भी बोलेंगे बच्चे। उप्र संस्कृत संस्थानम् की ओर से जिले स्तर पर संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र खोल दिए गए हैं। इस पाठशाला में गांव के ही शिक्षकों को ट्रेंड करके रखा जाएगा जिससे उन्हें गांव मेें ही रोजगार मिल सके। कोरोना संक्रमण के चलते अभी आनलाइन पढ़ाई चल रही है।

प्रदेश सरकार की पहल पर उप्र संस्कृत संस्थानम् की ओर से देव भाषा संस्कृत के विकास का खाका तैयार हो चुका है। संस्कृत पढाई के इच्छुक लोगों के लिए यह सुनहरा अवसर दिया जा रहा है। बच्चों को संस्कृत के ज्ञान के साथ ही नैतिक संस्कारों के बारे में बताया जाएगा। मिस काल के माध्यम से पंजीयन कराने वाले 14 हजार का प्रशिक्षण शुरू हो चुका है। एक कक्षा में 30 से अधिक विद्यार्थी को नहीं पढ़ाया जा सकता। इसलिए अभी सभी की पढ़ाई नहीं शुरू हो पा रही है। -डा.वाचस्पति मिश्र, अध्यक्ष ,उप्र संस्कृत संस्थानम्

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