Lucknow Nagar Nigam: यहां हाउस टैक्स जमा कराने से पहले तौली जाती है फाइल, जानिए क्या है मामला
Lucknow Nagar Nigamभवन कर निर्धारण से जुड़ी फाइलों का निस्तारण न करने से नगर निगम का कोष हल्का पड़ता जा रहा है। फाइलों पर तब भी अधिकारी हस्ताक्षर कर रहे हैं जब उनका वजन भारी कर दिया जाता है।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। भवन कर निर्धारण से जुड़ी फाइलों का निस्तारण न करने से नगर निगम का कोष हल्का पड़ता जा रहा है। फाइलों पर तब भी अधिकारी हस्ताक्षर कर रहे हैं, जब उनका वजन भारी कर दिया जाता है। कुछ जोन में तो राजस्व निरीक्षक भी परेशान हैं कि ऊपर के अधिकारी फाइल को कर ही नहीं रहे हैं।
यही कारण है कि कई जोनल अधिकारियों ने पिछले साल की वसूली को भी कम कर दिया है। यह अलग बात है कि नगर निगम ने पिछले साल की अपेक्षा 29 करोड़ की वृद्धि की है, लेकिन यह कुछ जोन की मेहरबानी से हुआ है, जहां पिछले साल से अधिक वसूली की गई है।
हाउस टैक्स वसूली में इस लापरवाही से ही नगर निगम की आय ठहर गई है। इसका असर कर्मचारियों के लंबित भुगतान से लेकर विकास कार्यों पर पड़ रहा है। नगर निगम में पिछले साल एक अगस्त से 20 सितंबर तक और इस साल एक अगस्त से 20 सितंबर तक के आंकड़े बता रहे हैं कि हाउस टैक्स वसूली में किस तरह से लापरवाही बरती जा रही है। जोन एक ने 75 लाख की वृद्धि की है तो जोन दो एक करोड़ रू पये पिछले साल से पीछे है। जोन तीन ने भी 1.69 करोड़ की वसूली बढ़ाई है तो जोन चार अधिक वसूली करने में सर्वोच्च रहा। यहां 2.79 करोड़ रुपये की वसूली पिछले साल से अधिक हुई है। जोन पांच भी 54 लाख की वसूली से पिछड़ गया तो जोन छह ने नौ लाख की अधिक वसूली की है। जोन सात 83 लाख तो जोन आठ भी 68 लाख की वसूली में पीछे रहा है।
ऊपरी कमाई का ही खेलः हाउस टैक्स शत प्रतिशत भवनों से इसलिए जमा नहीं हो पाता है, क्योंकि अधिक ऊपरी कमाई न होने से फाइल पर हस्ताक्षर नहीं करते हैं। यही कारण है नगर निगम में ही जितने भवन दर्ज है, उनका ही कर निर्धारण नहीं हो पाया है। नगर निगम में 5.59 लाख भवन दर्ज है, जबकि जीआई सर्वे में (जियोग्राफिक इंफॉरमेशन सिस्टम) 44,862 संपत्तियां (आवासीय व अनावासीय भवन) ऐसी पाई गई थीं, जो नगर निगम के अभिलेखों में दर्ज नहीं है। जीआई सर्वे में 110 में से 88 वार्डों में ही 6,20,100 संपत्तियों का पता चला था। इतना ही नहीं करीब दो लाख भवन स्वामी ऐसे हैं, जिनसे कर वसूली में जोनल अधिकारियों से लेकर राजस्व निरीक्षकों की टीम लापरवाह साबित हो रही है।