लखनऊ में डेढ़ हजार विक्रम चालकों के आगे रोजी-रोटी का संकट, जानिए क्या है मामला

बजट सत्र से पहले लखनऊ के सरोजनीनगर स्थित केंद्र सरकार के अधीन रही स्कूटर्स इंडिया लिमिटेड को बंद करने के सरकार के निर्णय का साइड इफेक्ट अब नजर आने लगा है। करीब डेढ़ हजार चालकों की है जिनका परमिट रिनुअल तभी होगा जब नई विक्रम आएगी।

By Vikas MishraEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 09:34 AM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 07:33 AM (IST)
लखनऊ में डेढ़ हजार विक्रम चालकों के आगे रोजी-रोटी का संकट, जानिए क्या है मामला
वाहन की वैधता समाप्त होने के बाद उसकी माडल व कंपनी का वाहन खरीदने पर मरमिट का रिनुअल होता है।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। बजट सत्र से पहले लखनऊ के सरोजनीनगर स्थित केंद्र सरकार के अधीन रही स्कूटर्स इंडिया लिमिटेड को बंद करने के सरकार के निर्णय का साइड इफेक्ट अब नजर आने लगा है। बकाया वेतनमान व पेंशन की मांग को लेकर कर्मचारी व अधिकारी अभी लड़ ही रहे थे कि विक्रम चलाकर दो जून की रोटी का इंतजाम करने वाले चालकों के सामने भी रोजी-रोटी का इंतजाम करने की चुनौती है। विक्रम चालक मुहम्मद खालिद का कहना है कि विक्रम केवल स्कूटर्स इंडिया में बनते थे। पुराने विक्रम का परमिट खत्म हो गया और अब नए विक्रम के साथ ही परमिट मिलेगा। नया विक्रम है नहीं तो परमिट भी रद्द हो जाएगा। ऐसे में परिवार का खर्च कैसे चलेगा। यह परेशानी अकेले मुहम्मद खालिद की नहीं ऐसे करीब डेढ़ हजार चालकों की है जिनका परमिट रिनुअल तभी होगा जब नई विक्रम आएगी। 

कानपुर में आटो रिक्शा की मिली अनुमतिः कानपुर के संभागीय परिवहन प्राधिकरण के सचिव ने विक्रम चालक राजेश शर्मा के विक्रम के परमिट को आटो रिक्शा में तब्दील करने का आदेश देकर हजारों चालकों को राहत देने का प्रयास किया है। कानपुर के इस आदेश के हवाले से अब लखनऊ के चालकों ने भी ऐसा आदेश जारी करने की संभागीय परिवहन अधिकारी से मांग की है। वाहन की वैधता समाप्त होने के बाद उसकी माडल व कंपनी का वाहन खरीदने पर मरमिट का रिनुअल होता है। विक्रम का पांच सीटर का परमिट होता है और आटो रिक्शे का परमिट तीन सीटों के लिए होता है। ऐसे में इस तकनीकी खामियों को दूर करने को लेकर अधिकारी अभी कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं।

स्कूटर्स इंडिया के सफर पर एक नजर 

सरोजनीनगर में स्थापना                 1971 क्षेत्रफल                                      147.49 एकड़ स्कूटर्स इंडिया नाम                       1972 स्कूटर विजय डिलक्स का निर्माण    1973 मुंबई स्थित एपीआइ (आटो प्रोडक्ट्स इंडिया) ने लम्ब्रेटा एसेंबल     1950 एक साल 35000 विजय डीलक्स और विजय सुपर स्कूटर             1980 खिलाड़ियों को मिला विजय सुपर स्कूटर                                     1983 स्कूटर का उत्पादन घटकर हुआ                                               4500                                       थ्री व्हीलर का उत्पादन                                                            1995 20 इलेक्ट्रिक थ्री व्हीलर का उत्पादन                                          2020 कर्मचारियों व अधिकारियों का बकाया                                          282.56 करोड़ सरकार ने दिया                                                                          65 करोड़ 

ऐसे घटते रहे कर्मचारी 

1971             267 1973          2499 1980          4490 1993-         3700 1995-         2680 2007-         1663 2011-         1300 2012-           954 2015-           680 2021-             65

अप्रैल 2021 को बंद

चालकों की उठाएंगे आवाजः अधिकारियों की बात करें तो इंजीनियरिंग डिग्री वाले करीब 61 और चार अन्य कर्मचारी अभी सेवा में हैं। सभी की नौकरी अभी 20 से 30 साल है। कर्मचारियों के साथ अधिकारियों के साथ भी अन्याय हुआ है। क्लोजर अधिसूचना बिना बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट की बैठक के जारी होना गलत है। सीएनजी विक्रम चालकों की समस्याओं को लेकर भी आवाज उठाएंगे। -केके पांडेय, अध्यक्ष,एसआइएल इंप्लाइज यूनियन स्कूटर्स इंडिया

विश्व कप की जीत पर क्रिकेटरों को बंटे थे मेरे स्कूटरः 80 के दशक में एक समय ऐसा आया जब स्कूटर्स इंडिया में एक साल में 35000 विजय डीलक्स और विजय सुपर स्कूटर तैयार किए। विजय डीलक्स का एकछत्र राज था। वर्तमान पीढ़ी उस दौर के गौरव का अनुमान इसी बात से लगा सकती है कि 1983 में जब कपिल देव की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम ने पहली बार विश्व कप जीता तो तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा ने सभी खिलाड़ियों को एक-एक विजय डीलक्स स्कूटर भेंट किया।

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