बहराइच में भारत-नेपाल सीमा पर थारुओं ने खोला अपना बैंक, जानिए क्या है लेन-देन का तरीका
कड़ी मेहनत के बाद थारुओं को फसलों का आधा दाम ही मिल पाता था क्योंकि साहूकार कर्ज देने से पहले ही तैयार फसल कर्ज अदायगी के बदले आधे दाम पर ले लेता था। जिसके पास अनाज नहीं होता उससे 10 फीसदी प्रतिमाह के हिसाब से कर्ज वसूला जाता था।
बहराइच, [संतोष श्रीवास्तव]। हिमालय की तलहटी से सटे जिले के कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग में बड़ी संख्या में थारू जनजाति के लोग निवास करते हैं। 2500 अनुसूचित जनजाति आबादी वाले गांव बिशुनापुर साहूकारों के कर्ज से डूबा रहता था। कड़ी मेहनत कर पैदा की गई थारुओं के फसलों का आधा दाम ही मिल पाता था, क्योंकि साहूकार कर्ज देने से पहले ही तैयार फसल कर्ज अदायगी के बदले आधे दाम पर ले लेता था। जिसके पास अनाज नहीं होता उससे 10 फीसदी प्रतिमाह के हिसाब से कर्ज वसूला जाता था। साहूकारों की इस परंपरा से परेशान ग्रामीणों ने स्वयं का बैंक बना रखा है। इस बैंक में 1216081 रुपये भी जमा हैं, जो जरूरतमंदों के लिए उपलब्ध है।
तीन लोगों पर है बैंक की जिम्मेदारी
थारू बैंक की जिम्मेदारी तीन सदस्यों पर है। इसमें एक पैसा जमा करने के लिए प्रेरित करता है। दूसरा पैसा जमा करता और तीसरा पैसे के लेन-देन का हिसाब रखता है।
नहीं लगता चक्रवृद्धि ब्याज : इस बैंक के कर्जदारों पर चक्रवृद्धि ब्याज नहीं चलता। अगर 10-15 दिन के लिए कोई बैंक से कर्ज लेता है, उसे ब्याज मुक्त रखा जाता है।
इसके लिए मिलता है कर्ज : खाद लाना हो, दवाई छिड़कना हो, टंकी लेना जैसे कामों के लिए ग्रामीण अब थारू बैंक से कर्ज ले लेते हैं।
बैठक में अनुपस्थित रहने वालों पर जुर्माना : प्रत्येक माह की पहली तारीख को बैंक की बैठक आयोजित होती है। इसमें जो अनुपस्थित होता है उस पर 50 रुपये जुर्माना किया जाता है।'
'इस इलाके में एक दशक से अधिक समय से काम कर रहा हूं। ब्लाक के सात थारू गांवों की आबादी 10157 है, लेकिन विशुनापुर गांव के थारुओं ने जिस तरह स्वयं का बैंक बनाया है वह काबिले तारीफ है।' -जंग हिंदुस्तानी, संचालक सेवार्थ फाउंडेशन
इस बैंक से ग्रामीणों को मात्र एक प्रतिशत ब्याज पर पैसा मिल जाता है। कर्जदार पर कोई चक्रवृद्धि ब्याज भी नहीं लगाया जाता। अगर कोई सिर्फ 15 दिन के लिए उधार लेता है तो उससे कोई ब्याज नहीं लिया जाता। - बसंत लाल, ग्राम प्रधान/बैंक अध्यक्ष