PM Modi Cabinet Reshuffle: गरीबी में तपा और मेहनत से निखरा किशोर का कौशल, पिता बेचते थे सब्जी

गरीब परिवार में जन्मे मोहनलालगंज के सांसद कौशल किशोर के कौशल को उनकी मेहनत ने निखारा। संघर्षशील और आंदोलनकारी के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले कौशल किशोर के जीवन में भी कई बड़े उतार-चढ़ाव आए। वह गरीबी में पढ़े और कमर्शियल पायलट बनते रह गए।

By Vikas MishraEdited By: Publish:Thu, 08 Jul 2021 01:03 PM (IST) Updated:Thu, 08 Jul 2021 01:03 PM (IST)
PM Modi Cabinet Reshuffle: गरीबी में तपा और मेहनत से निखरा किशोर का कौशल, पिता बेचते थे सब्जी
कौशल किशोर का जन्म दुबग्गा के बेगरिया गांव में वर्ष 1960 में हुआ।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। गरीब परिवार में जन्मे मोहनलालगंज के सांसद कौशल किशोर के कौशल को उनकी मेहनत ने निखारा। संघर्षशील और आंदोलनकारी के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले कौशल किशोर के जीवन में भी कई बड़े उतार-चढ़ाव आए। वह गरीबी में पढ़े और कमर्शियल पायलट बनते रह गए। भ्रष्टाचार से आहत हुए तो अपने शैक्षिक दस्तावेज नष्ट कर आंदोलन में जुट गए। विधानसभा प्रत्याशी के लिए नामांकन और शादी बाद पत्नी की मायके से विदाई एक ही दिन पड़ी। पहले नामांकन किया फिर पत्नी जयदेवी को विदा कर घर लाए।

कौशल किशोर का जन्म दुबग्गा के बेगरिया गांव में वर्ष 1960 में हुआ था। उनके पिता कल्लू गरीब किसान थे और सिर पर सब्जी रखकर बेचते और इसी से जीवन-यापन करते थे। चार भाइयों में तीसरे नंबर के कौशल परिवार सहित छोटी झोपड़ी में रहते थे। उन्होंने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई चौक स्थित कालीचरण डिग्री कालेज से की थी। बीएससी वह शिया डिग्री कालेज से कर रहे थे, इस बीच विमान के कमर्शियल पायलट के लिए आवेदन किया था। परीक्षा के सभी चरणों को पास कर लिया, लेकिन इंटरव्यू में वह सफल न हो सके। पायलट बनने के लिए उनके पास योग्यता थी, लेकिन अयोग्य लोगों का चयन हो गया। यहीं से कौशल में भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करने की लौ जगी। कौशल किशोर ने अपने शैक्षणिक कागजातों को नष्ट कर दिया। कौशल के साथी जितेंद्र रावत ने बताया कि वर्ष 1993 के विधानसभा चुनाव में वह दूसरे नंबर पर रहे । इसके बाद वह हर चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे, लेकिन हर बार उनके वोटों की संख्या बढ़ती गई, जिससे उनका हौसला बढ़ता गया और पहली बार 2002 में वह निर्दलीय विधायक बने। इसके बाद भाजपा से 2014 व 2019 में सांसद बने ।

कौशल का राजनीतिक सफर  

वर्ष 1985 में मलिहाबाद से विधायक का चुनाव निर्दलीय लड़े और हारे वर्ष 1989, 1991, 1993, 1996 में लगातार चुनाव निर्दलीय लड़े वर्ष 2001 में राष्ट्रवादी कम्युनिस्ट पार्टी का गठन किया वर्ष 2002 में विधायक बने 2003 में सपा सरकार में शामिल होकर श्रम मंत्री बने वर्ष 2007 में सामाजिक संगठन पारख महासंघ बनाया । वर्ष 2014 में भाजपा में शामिल होकर सांसद बने वर्ष 2019 में भी भाजपा से सांसद बने

पारिवारिक विवरणः कौशल किशोर के घर अमित शाह भी आ चुके हैं। कौशल किशोर की पत्नी जय देवी ने उन्हें खाना खिलाया। इसका उपहार उन्हें वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में विधायकी के टिकट के रूप में मिला। जयदेवी चुनाव जीतीं और विधायक बनीं। उनके चार बेटे प्रभात किशोर, विकास किशोर व आयुष किशोर हैं, जबकि एक बेटे आकाश किशोर की मौत हो चुकी है। कौशल किशोर नशा मुक्ति के लिए भी एक अभियान चला रहे हैं। पिता कल्लू किशोर और मां पार्वती दिवंगत हो चुकी हैं। बड़े भाई महावीर व टेकचंद की भी मृत्यु हो चुकी है, जबकि एक भाई मनमोहन अभी जीवित हैं।

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