Hindi Diwas 2021: लखनऊ में बोले शिक्षक, स्वाभिमान और गर्व की भाषा है हिंदी; इसका सम्मान करें

Hindi Diwas 2021 हिंदी देश को ही नहीं हृदय को भी जोड़ने का काम करती है। जोड़ती है हिंदी पर विमर्श के लिए दैनिक जागरण कार्यालय में हिंदी शिक्षक एकत्र हुए। इस मौके पर शिक्षकों ने कुछ उपाय सुझाए जिसके जरिए बच्चों को हिंदी के करीब लाया जा सकता है।

By Vikas MishraEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 01:28 PM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 01:28 PM (IST)
Hindi Diwas 2021: लखनऊ में बोले शिक्षक, स्वाभिमान और गर्व की भाषा है हिंदी; इसका सम्मान करें
शिक्षिकाओं ने कहा कि बच्चे हिंदी से जुड़ें, इसके लिए माता-पिता को भी खुद में हिंदी प्रेम जगाना होगा।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। हिंदी देश को ही नहीं, हृदय को भी जोड़ने का काम करती है। ''''जोड़ती है हिंदी'''' पर विमर्श के लिए दैनिक जागरण कार्यालय में हिंदी शिक्षक एकत्र हुए। इस मौके पर शिक्षकों ने कुछ उपाय भी सुझाए, जिसके जरिए बच्चों को हिंदी के करीब लाया जा सकता है। सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल की डा किरन सिंह ने कहा कि हम सब बहुत पहले से सुनते समझते आ रहे हैं कि किसी भी देश की संस्कृति को नष्ट करना है तो भाषा को नष्ट करो। जब-जब देश को जरूरत पड़ी है, उसने अपनी भाषा को वैसे ही थामा है, जैसे मां का आंचल हो।

एक भाषा दूसरी भाषा की बहन होती है। अगर हमें खुद को और अपने काम को बेहतर करना है तो सभी भाषाओं में एकाधिकार होना चाहिए। हम किसी भाषा को उच्च तो किसी को निम्न नजरिये से नहीं देख सकते। आज बदलते समय के साथ हिंदी में भी बदलाव हो रहा है। हिंदी बदल रही है, और ज्यादा सुगम हो रही है। लखनऊ इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल की विनीता पांडेय ने कहा कि जब हम किसी चीज को लेकर सकारात्मक हो जाएंगे, तो बदलाव खुद पर खुद नजर आने लगेंगे। अपनी भाषा के प्रति जब हम खुद गर्व करेंगे, तभी दूसरा भी करेगा। हिंदी से हमारी और हमसे हिंदी की पहचान होनी चाहिए। हिंदी स्वाभिमान की भाषा है, इसका सम्मान करें। 

शिक्षिका कोमल श्रीवास्तव ने कहा कि बच्चे हिंदी से जुड़ें, इसके लिए माता-पिता और शिक्षकों को भी खुद में हिंदी प्रेम जगाना होगा। ब्राइटलैंड स्कूल के शिवशंकर चौबे के अनुसार हाई स्कूल तक तो हिंदी विषय को पढ़ना ही होता है, पर इंटर में हिंदी के लिए विद्यार्थी खोजने पड़ते हैं। दूसरी भाषा के आकर्षण में अपनी भाषा को छोड़ देना बिल्कुल ठीक नहीं। नीति नियंता ध्यान दें तो भी हिंदी के लिए बहुत कुछ हो सकता है। हिंदी विषय को सार्थक बनाने की दिशा में भी काम करना होगा।

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