नहीं मिली नौकरी तो चाय बेचने लगा लखनऊ का बालवीर, बच्ची को बचाने में गंवाए थे हाथ-पैर
Balveer of Lucknow तत्कालीन राष्ट्रपति डा.एपीजे अब्दुल कलाम और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था रियाज को सम्मनित। वयस्क होने पर दिया था नौकरी देने का वादा। अब अच्छे नंबरों से इंटर पास होने के बावजूद नहीं मिली नौकरी।
लखनऊ, [विनय तिवारी]। एक अनजान बच्ची की जान बचाने के लिए जान पर खेलने वाला जिस बालवीर मुहम्मद रियाज को तत्कालीन राष्ट्रपति डा.एपीजे अब्दुल कलाम और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सम्मानित किया था और नौकरी का आश्वासन भी दिया था वह अब रायबरेली रोड के वृंदावन कॉलोनी में चाय बेचकर परिवार चला रहा है। जब वह आठ साल का था और 2003 के ट्रेन हादसे में उसने एक बच्ची की जान बचाते हुए अपने दोनों हाथ और एक पैर गंवा दिए थे। बालवीर के खिताब के साथ गणतंत्र दिवस की परेड में वह शामिल हुआ था।
वृंदावन कालोनी सेक्टर-छह स्थित चाय का ठेला लगाकर अपने माता पिता व भाई बहन का किसी तरह पेट पाल रहा है। 17 वर्ष बीत जाने के बाद भी मुहम्मद रियाज को सरकार द्वारा सम्मान ही मिला पर उससे उसका व उसके घर वालों का पेट तो नहीं भरता। रियाज कहते हैं कि 2003 में तत्कालीन राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने मुझे सम्मानित करते कहा था तुम बहुत बहादुर बच्चे हो तुमने जो आठ वर्ष की आयुु में अपनी जान की परवह करे बिना एक बच्ची को ट्रेन हादसे से बचाया उसके लिए सम्मान तो कुछ नहीं और कहा कि जब तुम 18 वर्ष के हो जाओगे तो तम्हें नौकरी भी दी जाएगी।
रियाज ने बताया कि 2017 में इंटर की परीक्षा 85 फीसदी नंबर से पास कर ली थी और 18 वर्ष का भी हो गया था पर तब से आज तक नौकरी के लिए नेताओं के चक्कर काट रहा हूं। परिवार तो चलाना है तो चाय का ठेला लगाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि आर्थिक रूप से कमजोर भी हूं। अब तो सरकार से भी उम्मीद टूट चुकी है। हमारे जैसे दिव्यांगों के लिए मैं यही कहना चाहूंगा कि हिम्मत नहीं हारना चाहिए। किसी के सहारे नहीं दूसरे का सहारा बनने की कोशिश करनी चाहिए।