बाराबंकी के इस गांव में नीम का पेड़ ही बना हकीम, नहीं पहुंचा कोविड संक्रमण

बाराबंकी के ताला गांव में 16 से 20-गांव के ज्यादातर घर के सामने लगा है नीम का पेड़-कोरोना की पहली व दूसरी लहर का नहीं दिखा कोई प्रभाव एक भी नहीं मिला संक्रमित मरीज। इन सबके साथ ही यह पेड़ गांव वालों की अर्थव्यवस्था का भी आधार हैं।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 11:00 AM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 11:46 AM (IST)
बाराबंकी के इस गांव में नीम का पेड़ ही बना हकीम, नहीं पहुंचा कोविड संक्रमण
बाराबंकी में घर के सामने लगे नीम के पेड़ों में गांव के लोगों की सेहत का राज छिपा है।

बाराबंकी [जगदीप शुक्ल]। घर के सामने लगे नीम के पेड़ों में गांव के लोगों की सेहत का राज छिपा है। यही वजह है कोराना पहली और दूसरी लहर में गांव का एक भी व्यक्ति संक्रमित नहीं मिला है। यह कोई कहानी नहीं रामसनेहीघाट नगर पंचायत के ताला गांव की हकीकत है। यहां ज्यादातर घरों के सामने नीम के पेड़ लगे हैं। यदि कोई पेड़ टूट जाता है तो उसके स्थान पर ग्रामीण दूसरा पेड़ लगा देते हैं। इसके औषधीय गुणों का ही असर है कोराेना संक्रमण तो दूर यहां कोई गंभीर रोग नहीं फैला। ग्रामीण गर्मी के दिनों में नीम की शीतल छांव में सुस्ताते हैं तो सावन में इस पर पड़े झूलों का आनंद लेते हैं। इन सबके साथ ही यह पेड़ गांव वालों की अर्थव्यवस्था का भी आधार हैं। निमकौरी से तैयार होने वाला नीम का तेल विभिन्न रोगों से निजात दिलाने में कारगर है। इसे खरीदने अयोध्या, सुल्तानपुर, प्रयागराज सहित कई जिलों से व्यापारी इसे खरीदने गांव आते हैं।

सेहत संग फसलों को भी सुरक्षा करती है नीम यहां के दिनेश बताते हैं कि यहां कोरोना या अन्य किसी महामारी का प्रकोप नहीं हैं। नीम की नियमित दातून करने से दांत मजबूत रहने के साथ ही रोगमुक्त रहते हैं। 70 साल की गुजराती बताती हैं कि बाल्टी में नीम की पत्ती डालकर पास में ही साबुन रख दिया जाता है। बाहर से परिवारजन या किसी अन्य के आने पर हाथ धोकर ही अंदर जाने को कहा जाता है। नीम की पत्तियों और दातुन के इस्तेमाल से अब तक चश्मा नहीं लगा। राजेश कुमार बताते हैं कि सब नीम मैया की कृपा है कि यहां महामारी से बचे रहे। इसकी हवा, पत्ती, छाल, निबौरी और खली सब उपयोगी है। श्यामू बताते हैं कि नीम की पत्ती उबालकर या खली को पानी में मिलाकर फसलों पर छिड़काव करने से कीड़े नहीं लगते।

आसपास के गांव में प्रभावी रहा संक्रमण लखनऊ-अयोध्या हाईवे पर स्थित यह गांव पहले मालिनपुर ग्राम पंचायत का हिस्सा था। रामसनेहीघाट को नगर पंचायत का दर्जा मिलने के बाद अब ताला गांव उसका हिस्सा बन चुका है। आसपास के गांवों में संक्रमित मिले पर यहां के लोग इससे अछूते रहे। एक वर्ष में भिटरिया और सुमेरगंज में करीब पचास तो मालिनपुर में इस बार ही चार संक्रमित मिल चुके हैं।

नीम का पेड़ एंटी बैक्टीरियल और एंटी वायरस होता है, जिस घर के पास नीम का पेड़ होता है वहां संक्रमण का खतरा कम होता है। वायरल इन्फेक्शन जैसे चेचक, स्वाइन फ्लू के साथ ही यह न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से भी बचाता है।-डा. एसके पांडेय, आयुर्वेद चिकित्सक। फैक्ट फाइलआबादी : करीब 700परिवार : करीब 150नीम के पेड़ : करीब 100 पेड़ हैं। 

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