आयरन, विटामिन, कैल्शियम और जिंक से भरपूर है कटहल, इम्युनिटी बढ़ाने में भी मिलती है मदद
कटहल बहुवर्षीय वृक्ष है। इसकी आयु सामान्यत 50 से 60 वर्ष के बीच होती है। अलबत्ता असम के कई इलाकों में तो 80 साल से ज्यादा तक के कटहल के पेड़ भी पाए गए हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता का भी विकास होता है।
जितेंद्र उपाध्याय, लखनऊ। कटहल के गुणों की बात करें तो इसमें आयरन, विटामिन ए व सी, थाइमिन, पोटैशियम, कैल्शियम, राइबोफ्लेविन और जिंक की भरपूर मात्र होती है। कटहल की दो प्रजातियां होती हैं। एक मुलायम पल्प वाली और दूसरी ठोस पल्प वाली। चंपा, सीमापुरी, रुद्रासी, पडरौना, खाजा व गुलाबी किस्में भी होती हैं।
इसके फायदे कटहल में मौजूद विटामिन-सी हृदय रोग जैसी घातक बीमारियों से बचाता है। इसमें मौजूद आयरन दिल को मजबूत रखता है। एनीमिया जैसी बीमारी में भी कटहल फायदेमंद है इसमें फाइबर की मात्र अधिक पाई जाती है, जो पाचनतंत्र के लिए फायदेमंद होती है। फाइबर आंतों की कोशिकाओं को स्वस्थ रखता है इसके सेवन से हड्डियां मजबूत होती हैं। कटहल में कैल्शियम प्रचुर मात्र में पाया जाता है, जो हड्डियों की मजबूती और विकास के लिए जरूरी तत्व है विज्ञानियों ने कैंसर जैसी बीमारी से बचने के लिए कटहल की उपयोगिता बताई है। रोग प्रतिरोधक क्षमता का भी विकास होता है कटहल में पाए जाने वाले विटामिन ए और सी आंखों के लिए फायदेमंद होते हैं। इसके सेवन से मोतियाबिंद का खतरा भी कम होता है
ऐसे लगाएं: उद्यान विशेषज्ञ बाली शरण चौधरी ने बताया कि सामान्यत: जून और जुलाई के महीने में पके हुए कटहल के फल से बीज निकालकर मिट्टी में दबा देने से पौधा तैयार हो जाता है। या फिर नर्सरी से पौधा लेकर लगाया जा सकता है। एक से दूसरे पौधे के बीच की दूरी कम से कम दो मीटर होनी चाहिए।
जीवनकाल
दोमट मिट्टी में करें बोआई: दोमट मिट्टी में कटहल लगाने से बढ़त तेजी से होती है। इसकी जड़ें काफी गहरी होने के कारण इस मिट्टी में पानी नहीं रुकता। कटहल के पेड़ की खास बात यह होती है कि इसका फल पेड़ के तने के निचले हिस्से से लेकर ऊपर तक लगता है। एक पेड़ से 10 क्विंटल तक कटहल मिल जाता है।