Ayodhya Ram Mandir Land: जान‍िए कौन हैं सुल्‍तान, जिन्‍होंने राम के काम के लिए आधी कीमत पर बेची जमीन

अयोध्‍या में भूमि एग्रीमेंट करने वाले युवक ने कहा दोगुनी कीमत पर बेच सकता था लेकिन मैंने श्रीराम के काम के लिए इस भूमि को कम कीमत पर एग्रीमेंट किया। श्रीराम के अनुरागी हैं सुल्तान 51 हजार की समर्पण राशि भी दान की थी।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 06:05 AM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 04:58 PM (IST)
Ayodhya Ram Mandir Land: जान‍िए कौन हैं सुल्‍तान, जिन्‍होंने राम के काम के लिए आधी कीमत पर बेची जमीन
सुल्‍तान बोले, राम के काम के लिए आधी कीमत पर दी जमीन। मुस्लिम होते हुए भी श्रीराम के अनुरागी।

अयोध्या, [ रमाशरण अवस्थी ] रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर जिस भूमि को अधिक कीमत देकर क्रय करने का आरोप लगाया जा रहा है, उस भूमि का एग्रीमेंट करने वाले युवा सुल्तान अंसारी स्वयं ऐसे आरोप की हवा निकाल दे रहे हैं। जागरण से खास बातचीत में सुल्तान ने बताया कि उन्होंने जिस भूमि का ट्रस्ट के साथ एग्रीमेंट किया है, बाजार भाव के हिसाब से उसकी कीमत 25 से 30 करोड़ रुपये थी,  किंतु यह भूमि भगवान राम से जुड़े काम में प्रयुक्त होने की वजह से उन्होंने 18.50 करोड़ रुपये में ही सौदा मंजूर कर लिया।

सुल्तान अंसारी ने रामजन्मभूमि परिसर से बमुश्किल एक हजार मीटर के फासले पर स्थित मुहल्ला बाग बिजेसी स्थित जिस भूमि का 1423 रुपये प्रति वर्ग फीट के हिसाब से एग्रीमेंट किया है, उसी के आस-पास भूमि की प्लाटिंग कर दो से ढाई हजार रुपये प्रति वर्ग फीट की दर से बेची जा रही है। इस हिसाब से ट्रस्ट ने 12 हजार 80 वर्ग मीटर की जिस भूमि का 18.50 करोड़ में एग्रीमेंट कराया, उसकी कीमत 25 से 30 करोड़ के बीच आंकी जा रही है।

सुल्तान का श्रीराम से अनुराग कोई नया नहीं है। राम मंदिर के लिए निधि समर्पण अभियान के दौरान भी उन्होंने 51 हजार रुपये की राशि समर्पित की थी। सुल्तान बताते हैं कि इसी वर्ष 18 मार्च को संबंधित भूमि का एग्रीमेंट किए जाने के कुछ पूर्व ही उन्हें तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के प्रयासों के बारे में जानकारी मिली और तभी उन्होंने तय कर लिया कि इस डील को अंजाम तक पहुंचा देना है। भले ही कुछ कम लाभ मिले। इस डील की सफलता के लिए वे तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय, सदस्य डा. अनिल मिश्र आदि के प्रति आभार भी ज्ञापित करते हैं और उन पर लगाए जा रहे आरोप को नकारात्मकता की अति करार देते हैं। सुल्तान कहते हैं, श्रीराम में उनकी भी आस्था है। मानवता को रोशन करने वाले ऐसे किरदार में आस्था होनी स्वाभाविक है, जिस पर पूरा देश नाज करता है। सुल्तान यह बताना भी नहीं भूलते कि उन्हें इस सौदे से अपार संतुष्टि मिली है।

मुस्लिम होते हुए श्रीराम में आस्था के सवाल पर सुल्तान कहते हैं कि इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। वह राम मंदिर के विरोध की सियासत से भी क्षुब्ध नजर आते हैं। कहते हैं, मंदिर निर्माण कोई जोर-जबर्दस्ती नहीं, बल्कि अदालत के फैसले से हो रहा है और पूरे देश ने इस निर्णय को स्वीकार किया है। मंदिर का फैसला आए 19 माह से अधिक हो गए, पर कहीं पत्ता भी नहीं खड़का। बल्कि मुस्लिमों ने भी बड़ी संख्या में मंदिर निर्माण के लिए सहयोग किया है। इसके बावजूद मंदिर निर्माण पर सवाल खड़ा करना और निर्माण के प्रयासों का छिद्रान्वेषण हिंदुओं ही नहीं, मुस्लिमों के साथ भी धोखा है और ऐसे लोगों से दोनों समुदायों को बच कर रहना होगा। सुल्तान के मुताबिक अलगाव की सियासत से इस देश का बहुत नुकसान हो चुका है और आगे के लिए यह नकारात्मक सिलसिला रुकना चाहिए।

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