Infertility Treatment: होम्योपैथी में संभव है बांझपन का इलाज, 34 महिलाओं पर दो साल किया गया शोध
infertility treatmentआयुष मंत्रालय के सहयोग से पीसीओएस पर किए गए शोध के बारे में जानकारी देते हुए गौरांग क्लीनिक एवं सेंटर ऑफ होम्योपैथिक रिसर्च के मुख्य सलाहकार डॉ. गिरीश गुप्ता ने बताया कि इस बीमारी के ज्यादातर कारण मनोवैज्ञानिक होते हैं।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। बांझपन का सबसे बड़ा कारण माने जाने वाले पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) का होम्योपैथिक दवा से सफल इलाज संभव है। महिलाओं में यह समस्या कितनी गंभीर है इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि देश में हर पांच में से एक महिला इस बीमारी के चलते गर्भधारण नहीं कर पाती वहीं वैश्विक स्तर पर 2 से 26 प्रतिशत महिलाओं में यह समस्या पाई जाती है।
आयुष मंत्रालय के सहयोग से पीसीओएस पर किए गए शोध के बारे में जानकारी देते हुए गौरांग क्लीनिक एवं सेंटर ऑफ होम्योपैथिक रिसर्च के मुख्य सलाहकार डॉ. गिरीश गुप्ता ने बताया कि इस बीमारी के ज्यादातर कारण मनोवैज्ञानिक होते हैं। ओवरी को नियंत्रित करने वाले हारमोंस जो पिट्यूटरी ग्लैंड में बनते हैं। अत्यधिक चिंता, डिप्रेशन, झगड़ा,प्रताड़ना वित्तीय हानि, अपमान, इच्छाओं की पूर्ति ना होना, प्यार में धोखा खाना जैसे कारणों से अनियंत्रित हो जाते हैं जिसके चलते यह बीमारी उत्पन्न होती है। डॉ.गुप्ता ने बताया कि पीसीओएस में मासिक चक्र के दौरान प्रत्येक माह ओवरी से निकलने वाले अंडे या तो पुरुष के शुक्राणु के संपर्क में आकर भ्रूण का निर्माण करते हैं या नष्ट हो जाते हैं। यह प्रक्रिया हर माह चलती है। ओवरी को कंट्रोल करने वाले हार्मोन पिट्यूटरी ग्लैंड में बनते हैं। इनमें असंतुलन होने पर प्रभाव अंडाशय पर पड़ता है जिसके चलते मासिक चक्र में निकलने वाले अंडे परिपक्व नहीं हो पाते। जिससे वह ना तो शुक्राणु के संपर्क में आ पाते हैं और ना ही नष्ट होते हैं। ऐसी स्थिति में अंडे ओवरी के चारों ओर रिंग की तरह चिपकने लगते हैं। उन्होंने बताया कि इससे महिलाएं गर्भवती नहीं हो पाती और वहीं मासिक धर्म भी अनियमित हो जाता है।
34 महिलाओं पर दो साल किया गया शोध : डॉ गुप्ता ने बताया कि बीमारी से पीड़ित 34 महिलाओं जिनमें 23 अविवाहित व 11 विवाहित थी पर दो वर्ष की अवधि तक शोध किया गया। 34 महिलाओं में से 16 में उम्मीद के अनुसार लाभ हुआ जबकि 12 में यथास्थिति बनी रही और छह में कोई लाभ नहीं हुआ।
उन्होंने बताया कि होम्योपैथी में समग्र दृष्टिकोण से यानी शरीर और मन दोनों को एक मानते हुए लक्षणों के हिसाब से दवाओं का चुनाव किया जाता है जो साइको न्यूरो हार्मोनल एक्सिस पर कार्य करते हुए ओवरी को स्वस्थ करता है जिससे पीसीओएस ठीक हो जाता है। प्रतिस्पर्धा, मानसिक तनाव, भय, असुरक्षा की भावना, पारिवारिक परिवेश में परिवर्तन, मोटापा, डायबिटीज आदि भी इस मर्ज के कारण हैं। जो महिलायें योग व व्यायाम द्वारा इन सभी कारकों को नियंत्रित कर लेती हैं तथा अपना वजन घटा लेती हैं उनकी ओवरी में वापस अंडे बनना शुरू हो जाते हैं तथा गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।
दिनचर्या पर ध्यान दें महिलाएं : महिलाओं को अपनी दिनचर्या पर ध्यान देना चाहिए। खेल में भाग लेना चाहिये और नियमित व व्यायाम करना चाहिये। कोल्ड ड्रिंक, फास्ट फूड एवं जंक फूड से बचना चाहिए एवं हरी पत्तेदार सब्जियों तथा फलों का सेवन अधिक करना चाहिये।