लखनऊ : CA की तैयारी कर रहे सिद्धार्थनगर के छात्र ने दूसरे तल से कूदकर जान दी

लखनऊ के गोमतीनगर विनयखंड में सीए की तैयारी कर रहे छात्र ने दूसरे तल से कूदकर जान दी। वह मूल रूप से सिद्धार्थनगर बांसी का रहने वाला था। यहां तीन साल से बुआ के घर पर रहकर पढ़ाई कर रहा था। घटना से परिवारीजन सकते में आए।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 01:05 PM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2020 01:05 PM (IST)
लखनऊ : CA की तैयारी कर रहे सिद्धार्थनगर के छात्र ने दूसरे तल से कूदकर जान दी
लखनऊ के गोमतीनगर विनयखंड में सीए की तैयारी कर रहे छात्र ने दूसरे तल से कूदकर जान दी।

लखनऊ, जेएनएन। गोमतीनगर विनयखंड में रविवार देर रात महिष बर्नवाल (25) ने घर के दूसरे तल से कूदकर जान दे दी। वह मूल रूप से सिद्धार्थनगर बांसी का रहने वाला था। यहां तीन साल से बुआ के घर पर रहकर पढ़ाई कर रहा था।

इंस्पेक्टर गोमतीनगर धीरज कुमार सिंह के मुताबिक महिष बर्नवाल करीब तीन साल से विनयखंड में रहने वाली अपनी बुआ मीरा के घर पर रहकर पढ़ाई कर रहा था। दूसरे पर उसका कमरा था। रविवार देर रात महिष ने कमरे का दरवाजा खोला और उसने दूसरे तल से छलांग लगा दी। चीख-पुकार सुनकर आस पड़ोस के लोग दौड़े उन्होंने शोर मचाना शुरू किया। शोर सुनकर महिष के बुआ के बेटे संदीप बाहर निकलें उन्होंने सड़क पर उसे खून से लथपथ पड़ा देखा। आनन फानन महिष को कार से लेकर लोहिया पहुंचे। जहां, डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। संदीप ने बताया कि रात सबने साथ में खाना खाया। खाने के बाद महिष अपने कमरे में चला गया। वहां पर देर रात तक पढ़ाई करता रहा था। हम सबने सोचा कि रोजाना की तरह पढ़ाई कर रहा होगा। पर देर रात पड़ोसियों की चीख पुकार सुनकर बाहर निकलें तो देखा कि महिष ही सड़क पर खून से लथपथ पड़ा है। महिष कैसे ऊपर से गिरा उसके साथ क्या हुआ इसकी हम सबको कोई जानकारी नहीं है। महिष के परिवार में उनकी मां सोनी, पिता रवींद्र बर्नवाल और दो बहन सृष्टी और शगुन हैं। इंस्पेक्टर ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। महिष का मोबाइल कब्जे में ले लिया गया है।

दशहरे पर घर में किया भजन, पूजा में शामिल हुआ बहुत खुश था

संदीप ने बताया कि महिष बहुत खुशमिजाज था। दशहरे पर घर पर पूजन, हवन और भजन हुआ। वह सभी कार्यक्रमों में शामिल हुआ। भजन हुए उसके बाद दोपहर में हम सबने साथ में खाना खाया। सब खुश थे बहुत अच्छा माहौल था। हंसी मजाक भी खूब हुई। पर क्या पता था कि रात जीवन भर का दंश देकर जाएगी।

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