International Artist Day 2020: कलाकार भी हैं ये और डॉक्टर भी, किसी को गाने का तो किसी को डांस का शौक

International Artist Day 25 अक्टूबर को इंटरनेशनल आर्टिस्ट डे के मौके पर शहर के कुछ खास डॉक्टरों से आपको रूबरू करा रहे हैं। कोरोना काल में कुछ डॉक्टरों ने कोविड हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों का डर व मानसिक तनाव दूर करने के लिए म्यूजिक और डांस का सहारा लिया।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Sun, 25 Oct 2020 12:53 PM (IST) Updated:Sun, 25 Oct 2020 12:53 PM (IST)
International Artist Day 2020: कलाकार भी हैं ये और डॉक्टर भी, किसी को गाने का तो किसी को डांस का शौक
25 अक्टूबर को इंटरनेशनल आर्टिस्ट डे के मौके पर शहर के कुछ खास डॉक्टरों से आपको रूबरू करा रहे हैं।

लखनऊ [कुसुम भारती]। हर इंसान के भीतर एक कलाकार छिपा होता है। कुछ अपने भीतर छिपे कलाकार को पहचानकर उसे दुनिया के सामने पेश करते हैं। तो कुछ अपनी कला का उपयोग सिर्फ अपने मन को सुकून देने के लिए करते हैं। टीवी और फिल्म इंडस्ट्री में तो आपने बहुत से दिग्गज कलाकार देखे होंगे मगर  सफेद कोट पहनने वाले डॉक्टर भी कलाकार हो सकते हैं, यह कम ही लोग जानते हैं। डॉक्टर सिर्फ मरीज की जान ही नहीं बचाते बल्कि वक्त पड़ने पर मरीज का मनोरंजन करने वाले कलाकार भी बन जाते हैं।

कोरोना काल में कुछ डॉक्टरों ने कोविड हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों का डर व मानसिक तनाव दूर करने के लिए म्यूजिक और डांस का सहारा लिया। तो मरीजों पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा और वे जल्दी ठीक होने लगे। वहीं, कुछ डॉक्टरों के भीतर छिपा कलाकार कुछ खास मौकों पर बाहर निकलता है। तो वहीं, कुछ ने अपने मन को सुकून देने के लिए कला को अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लिया। 25 अक्टूबर को इंटरनेशनल आर्टिस्ट डे के मौके पर ऐसे ही शहर के कुछ खास डॉक्टरों के भीतर छिपे कलाकार से आज आपको रूबरू करा रहे हैं।

दिलकश आवाज के मालिक हैं शहर के महानिदेशक

कुछ ऐसे खास डॉक्टरों में शहर के स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. डीएस नेगी भी शामिल हैं। डॉ. नेगी दिलकश आवाज के मालिक हैं, यह बात सिर्फ वही लोग जानते हैं जिन्होंने उनको गाना गाते हुए सुना है। हिंदी फिल्मों के मशहूर गायक किशोर कुमार के गीतों को जब डॉ. नेगी गाते हैं, तो लोग उनकी आवाज की तारीफ किए बिना नहीं रहते हैं। वह कहते हैं, बचपन से गाना गाने का शौक है, मगर डॉक्टरी पेशे में आने के बाद शौक कम हो गया मगर छूटा नहीं। आज भी कुछ खास मौकों पर अपने भीतर के कलाकार को जगा लेता हूं।

 फ्री-स्टाइल डांस का शौक

केजीएमयू के डिपार्टमेंट ऑफ पीडियोडॉन्टिक में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. दीप्ति शास्त्री कहती हैं, कॉलेज के जमाने से डांस का शौक है। मगर मेडिकल प्रोफेशन में हूं तो अपनी गरिमा भी बनाकर रखनी पड़ती है। हालांकि, केजीएमयू में होने वाले मेडिफेस्ट में दो बार फैशन शो में बतौर फैकल्टी  प्रतिभाग किया। वहीं, जब मैं केजीएमयू में स्टूडेंट थी तब भी कल्चरल प्रोग्राम में हिस्सा लेती थी। मुझे फ्री स्टाइल डांस का शौक है। इंग्लिश सॉन्ग्स और बॉलीवुड डांस पसंद है। एक्टर्स में प्रियंका चोपड़ा, करीना कपूर का डांस पसंद है। अक्सर स्ट्रेसफ्री होने के लिए भी डांस करती हूं। 10 मिनट के डांस में बहुत कुछ नया भी सोचने का मौका मिलता है, साथ ही मन को सुकून और खुशी भी मिलती है।

डांस कर कोरोना मरीजों का दूर किया डर

आरएमएल इंस्टीट्यूट में जनरल सर्जरी में रेजिडेंट डॉ. शिवा तिवारी कहती हैं, कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान कोविड हॉस्पिटल में ड्यूटी लगाई गई। उस वक्त मरीज बहुत डरे हुए थे। मरीजों का डर दूर करने और मानसिक सुकून देने के लिए हमारे कई डॉक्टरों व स्टाफ ने मिलकर मरीजों का डांस व म्यूजिक के साथ उनका मनोरंजन किया। उनके साथ दोस्ती भी की। ऐसा करने से मरीज जल्दी रिकवर भी होने लगे थे। गीत-संगीत जिंदगी में बहुत ही अच्छा अहसास कराते हैं। हम डॉक्टरों के लिए भी तनाव दूर करने का यह अच्छा जरिया है।

 

हॉस्पिटल में डॉक्टर तो घर पर गार्डनिंग व बोनसाई कलाकार

आरएमएल इंस्टीट्यूट की निदेशक डॉ नुजहत हुसैन को गाने का शौक तो है ही। मगर उससे कहीं ज्यादा उनको गार्डनिंग का शौक है। बोनसाई प्लांटर के तौर पर डॉ. नुजहत एक बेहतरीन आर्टिस्ट भी हैं। वह कहती हैं, गार्डनिंग का शौक उनको तबसे है जब केजीएमयू में बतौर प्रवक्ता उनकी ज्वाइनिंग हुई थी। वह कहती हैं, 1991 में केजीएमयू में मेरी एक सीनियर कलीग डॉ. मनीषा बागची को पेड़-पौधों का शौक था और मैं उनके साथ अक्सर बॉटनिकल गार्डन जाती थी। उनको देखकर ही मेरे मन में भी यह शौक पैदा हुआ। तब से आज तक निरंतर शौक जारी है। बोनसाई कला तो मेरी जिंदगी का पसंदीदा हिस्सा बन चुकी है। घर में मैंने तरह-तरह के फूल, सब्जी के पेड़-पौधे लगा रखे हैं। गार्डन में आर्टिफिशियल फाउंटेन और एक पॉन्ड भी है जिसमें कमल के फूल खिले हैं। हॉस्पिटल से आने के बाद मैं अपना काफी समय पेड़-पौधों के बीच गुजारती हूं।

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