Treatment of coronavirus: सुबह-शाम रोजाना पांच मिनट तक लें भाप, मात खा सकता है वायरस

Treatment of coronavirus जर्नल ऑफ लाइफ साइंस के शोध थर्मल इनएक्टीवेशन ऑफ सॉर्स कोविड वायरस पर किया गया शोध कोरोना संक्रमितों व नॉन कोविड मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण जगाने वाला है। इसमें भाप को कोरोना वायरस को निष्क्रिय करने का कारगर उपचार माना गया है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 07:07 AM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 07:12 AM (IST)
Treatment of coronavirus: सुबह-शाम रोजाना पांच मिनट तक लें भाप, मात खा सकता है वायरस
स्टडी के आधार पर देश-दुनिया के वैज्ञानिकों ने किया दावा, कोरोना के खिलाफ फेफड़ों का सैनिटाइजर है भाप।

लखनऊ, [धर्मेन्द्र मिश्रा]। देश-दुनिया के तमाम वैज्ञानिक कई बार यह बात कह चुके हैं कि इस बार कोरोना सीधे फेफड़ों पर वार कर रहा है। इसीलिए युवाओं को भी आक्सीजन, बाईपेप व वेंटिलेटर सपोर्ट तक देने की जरूरत पड़ रही है। बावजूद लोग जिंदगी की जंग हार रहे हैं। ऐसे निराशा के दौर में जर्नल ऑफ लाइफ साइंस के शोध थर्मल इनएक्टीवेशन ऑफ सॉर्स कोविड वायरस पर किया गया शोध कोरोना संक्रमितों व नॉन कोविड मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण जगाने वाला है। इसमें भाप को कोरोना वायरस को निष्क्रिय करने का कारगर उपचार माना गया है। इस शोध व अपने अनुभव के आधार पर किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय  (केजीएमयू) व संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान(एसजीपीजीआइ) के विशेषज्ञों ने भी भाप को कोरोना के खिलाफ फेफड़ों का सैनिटाइजर करार दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार रोजाना दो से तीन बार पांच मिनट तक भाप लेने से वायरस मात खा सकता है।

केजीएमयू में रेस्पिरेट्री मेडिसिन के विभागाध्यक्ष व आइएमए-एएमएस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा. सूर्यकांत त्रिपाठी कहते हैं कि कोरोना वायरस पहले मुंह, नाक व गले में कई दिन रुकने के बाद फेफड़ों में पहुंचता था। इस दौरान गरम पानी व गॉर्गल से इसकी सक्रियता काफी कम हो जाती थी। मगर अब यह नाक के पैरानासल साइनस के आंतरिक लेयर से होकर सीधे फेफड़ों में पहुंच रहा है। भाप में इतनी क्षमता है कि वह पैरानासल साइनस में छुपे वायरस को निष्क्रिय करने के साथ फेफड़ों में वायरस के जमाव को रोक सकती है। कई अध्ययन में यह माना गया है कि 50 डिग्री सेल्सियस पर भाप से वायरस पैरालाइज हो सकता है। जबकि 60 डिग्री पर वह इतना कमजोर हो सकता है कि अंदर की इम्युनिटी ही उसे मात दे सके। वहीं यदि यह 70 डिग्री सेल्सियस पर भाप लें तो वायरस पूरी तरह मर सकता है। वायरस के प्रसार की गति भी कम हो सकती है।

आर स्टीम इन्हेलेशन ए पोटेंशियल ट्रीटमेंट...यानि क्या भाप कोरोना के खिलाफ कारगर उपचार है... को लेकर किए गए विभिन्न वैज्ञानिकों के शोध के बाद यह पाया गया कि सिर्फ नॉन कोविड में ही नहीं, बल्कि कोविड पॉजिटिव मरीजों में भी यह तरीका असरदार साबित हुआ। वैज्ञानिकों ने पांच मिनट तक जब संक्रमितों को भाप देकर देखा तो वायरस के प्रसार में काफी हद तक कमी पाई गई। साथ ही कफ पर भी शिकंजा कसा। इसलिए रेस्पिरेट्री हाईजीन के लिए भाप को जरूरी बताया गया।

खांसी व बंद नाक में भी राहत: एसीजीपीजीआइ में माइक्रोबायोलॉजी की विभागाध्यक्ष डा. उज्जवला घोषाल कहती हैं कि भाप के इस्तेमाल से खांसी, बंद नाक में भी राहत मिलती है। यह जमा बलगम को पिघला देती है। भाप श्वांस नलियों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है। साथ ही नाक व गले में जमा म्यूकस को पतला कर देती है। इससे सांस लेने में आसानी महसूस होती है। पर्याप्त आक्सीजन फेफड़ों तक पहुंचने से वह स्वस्थ रहते हैं।

ऐसे ले सकते हैं भाप : सादे पानी के साथ या उसमें विक्स, संतरे व नींबू के छिलके, लहसुन, टी ट्री आयल, अदरक, नीम की पत्तियां इत्यादि में से कुछ भी मिलाकर। क्योंकि यह एंटीमाइक्रोबियल होते हैं जो वायरस को मारने में मदद करते हैं।

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