Jagran Vimarsh in Ayodhya: विश्व की सांस्कृतिक नगरी बनेगी अयोध्या, वक्ताओं ने भविष्य की अयोध्या में भरे रंग

विधानसभा अध्य्क्ष ने जब कहा कि अयोध्या एक काव्य है तो तालियों की गूंज ने उनका समर्थन किया। उन्होंने अयोध्या की गरिमा विभूषित करते अथर्व वेद में इस नगरी के उल्लेख का स्मरण कराया। ...तो भागवत गीता में भगवान कृष्ण का यह कथन उद्धृत किया।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Fri, 26 Nov 2021 10:28 PM (IST) Updated:Fri, 26 Nov 2021 10:28 PM (IST)
Jagran Vimarsh in Ayodhya: विश्व की सांस्कृतिक नगरी बनेगी अयोध्या, वक्ताओं ने भविष्य की अयोध्या में भरे रंग
दैन‍िक जागरण व‍िचार व‍िमर्श में रामनगरी की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूपरेखा पर मंथन।

अयोध्‍या, [अम्बिका वाजपेयी]। भविष्य का पूर्वावलोकन हर कालखंड में जिज्ञासा का विषय रहा है। यह जिज्ञासा विमर्श की दीर्घा में तब और मुखर दिखी जब मंच पर अयोध्या के भविष्य का वाचन हो रहा था। रामनगरी के भविष्य के प्रति लोगों की उत्कंठा उसी समय जाग्रत हो गई जब विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया । स्वस्तिवाचन और शंख ध्वनि में यह विजय घोष ध्वनित हुआ कि अयोध्या एक परिधि में बंधा भू-भाग नहीं, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की वह धरती है, जिस पर सनातन धर्म का कीर्तिस्तंभ टिका हुआ है। हमने अपने पुरखों को अयोध्याजी और मथुराजी कहते सुना है। नाम के उच्चारण में सम्मान ही उस आस्था के प्रवाह का प्रमाण है जो पीढिय़ों से हमारी धमनियों में है।

विधानसभा अध्य्क्ष ने जब कहा कि अयोध्या एक काव्य है तो तालियों की गूंज ने उनका समर्थन किया। उन्होंने अयोध्या की गरिमा विभूषित करते अथर्व वेद में इस नगरी के उल्लेख का स्मरण कराया। ...तो भागवत गीता में भगवान कृष्ण का यह कथन उद्धृत किया। इसमें श्रीकृष्ण कहते हैं, 'हे अर्जुन यह ज्ञान सबसे पहले मैंने सूर्य को दिया। सूर्य ने मनु को दिया और मनु ने इक्ष्वाकु को दिया।' इसी कथन के आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि अयोध्या केवल नगरी ही नहीं भारतीयता की भावभूमि है।

जागरण विमर्श का पहला सत्र था मैं अयोध्या दूसरा सत्र मन मंदिर राम और तीसरा सत्र था जयतु-जयतु तीर्थनगरी।

वक्ताओं ने विकसित अयोध्या की परिकल्पना को सराहने के साथ आने वाली दिक्कतों के प्रति सचेत भी किया। आचार्य मिथिलेश शरण शास्त्री ने कहा कि अयोध्या को तीर्थनगरी से पर्यटन स्थल की ओर अग्रसर होने के परिणामों पर भी विचार करना चाहिए।

'मन मंदिर राम' सत्र में कौशलेश सदन के पीठाधिपति शास्त्रज्ञ जगद्गगुरु रामानुचार्य वासुदेवाचार्य विद्या भास्कर ने मन, मंदिर और राम तीनों के शुद्ध होने पर बल दिया। जयतु-जयतु तीर्थनगरी सत्र में पर्यावरणविद डा. जसवंत सिंह ने कहा कि हम प्रकृति को वापस देना भी सीखें। सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए। रामनगरी में रहने और जन्मने के सौभाग्य पर गर्व करने को प्रेरित किया।

सरयू की लहरों से विकास की गंगा का संगम : नीलकंठ तिवारी

समापन सत्र में जिले के प्रभारी मंत्री नीलकंठ तिवारी ने कहा कि वर्तमान केंद्र और राज्य सरकार के संकल्प से रामराज्य का संकल्प अब साकार भी हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की निगरानी में अयोध्या का वर्ष 2047 का विजन डाक्यूमेंट तैयार किया गया है। मुख्यमंत्री खुद इसकी मानीटरिंग कर रहे हैं। इसका हर चरण का विकास कार्य तय है। जल्द ही अयोध्या का नया स्वरूप दिखने लगेगा।

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