यूपी विधानसभा उपाध्यक्ष चुनाव में 60 वोट पा गई 46 विधायकों वाली सपा, ऐसे समझिए क्रास वोटिंग का गणित

यूपी विधानसभा उपाध्यक्ष चुनाव के परिणाम को लेकर भाजपा खुश है और सपा भी। सत्ताधारी दल इसलिए उत्साहित हैं कि सदन में उसके सदस्यों की संख्या 304 है और इतना ही वोट उसके प्रत्याशी नितिन अग्रवाल को मिल गया। सपा का संतोष उसकी सेंधमारी में सफलता से निकला है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 01:11 AM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 01:12 AM (IST)
यूपी विधानसभा उपाध्यक्ष चुनाव में 60 वोट पा गई 46 विधायकों वाली सपा, ऐसे समझिए क्रास वोटिंग का गणित
यूपी विधानसभा उपाध्यक्ष चुनाव के परिणाम को लेकर भाजपा खुश है और सपा भी।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष चुनाव के परिणाम को आगामी विधानसभा चुनाव का संकेत बताकर भाजपा खुश है और सपा भी। सत्ताधारी दल इसलिए उत्साहित हैं कि सदन में उसके सदस्यों की संख्या 304 है और इतना ही वोट उसके प्रत्याशी नितिन अग्रवाल को मिल गया। वह अपनी स्थिति अविचल मान रहा है तो सपा का संतोष उसकी सेंधमारी में सफलता से निकला है।

पहले से तय करारी हार के बावजूद मुख्य विपक्षी भी आंकड़ों के साथ ताल ठोंके है कि कुल 46 सदस्य संख्या होने के बावजूद उसके प्रत्याशी नरेंद्र सिंह वर्मा को 60 वोट मिल गए। बागियों और क्रास वोटिंग के सहारे 14 बोनस वोट झटक कर सपा को भरोसा है कि 2022 में वह दूसरे दलों के सहारे भाजपा के दमखम में फिर सेंध लगाने में कामयाब हो जाएगी।

विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव भाजपा द्वारा प्रत्याशी बनाए गए सपा विधायक नितिन अग्रवाल ही जीतेंगे, इसमें किसी को कतई संदेह नहीं था। नजरें तो वोटों के गणित पर टिकी थीं। वजह ये कि कुछ महीनों बाद विधानसभा चुनाव आने वाले हैं। हर दल के असंतुष्ट या जीत को लेकर सशंकित विधायक नया ठिकाना तलाश रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा था कि नई पार्टी में टिकट पाने के लिए वफादारी के रूप में क्रास वोटिंग के रूप में 'टोकन मनी' जरूर दी जाएगी।

यह खेल कितना चला, इसे परिणाम से समझिए। वर्तमान में सदन में भाजपा के कुल विधायक 304 हैं। 2017 के उसके सहयोगी रहे अपना दल के नौ और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के चार विधायक। सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर भाजपा सरकार न बनने देने की कसम खाए बैठे हैं, इसलिए तय था कि उनके विधायकों का वोट भाजपा को नहीं मिलेगा। परिणाम घोषित होने के बाद उन्होंने स्वीकारा भी कि वह खुद नहीं आ सके थे, लेकिन तीनों विधायकों ने सपा को वोट दिया।

सरकार के सूत्रों के अनुसार, भाजपा के नौ और अपना दल के दो विधायक गैर हाजिर थे। यहां भाजपा का गणित स्पष्ट है कि 295 उसके और सात अपना दल के मिलाकर 304 हो गए। माना जा रहा है कि कांग्रेस की बागी विधायक अदिति सिंह और राकेश सिंह ने भी भाजपा को ही वोट दिया होगा। फिर यह वोट 306 होना चाहिए था। पार्टी के अनुसार, चार खारिज वोटों में तीन उसके थे। इस हिसाब से 303 वोट होते हैं। एक यहां कम और दूसरा चर्चा यह है कि सीतापुर के एक भाजपा विधायक और अपना दल के एक विधायक ने क्रास वोटिंग की है। ये तीन घटे तो भाजपा को 300 वोट मिलने चाहिए थे, लेकिन 304 के परिणाम का निश्चित ही दूसरे दल या निर्दल का साथ मिला है।

वहीं, सपा की तस्वीर बिल्कुल साफ है। बसपा से आठ विधायक बागी हुए थे। इनमें पूर्व मंत्री रामअचल राजभर और लालजी वर्मा असंबद्ध घोषित हैं। माना जा रहा है कि इन आठों का वोट, सुभासपा के तीन वोट, रालोद का एक वोट सपा को मिला। 46 उसके खुद के सदस्य हैं। अपना दल और भाजपा के बागी के दो वोट मिलाकर यह कुल 60 पूरे हो रहे हैं।

सदन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने भाजपा की शानदार जीत को आगामी विधानसभा चुनाव के परिणाम का संकेत बताया तो नेता विरोधी दल राम गोविंद चौधरी ने इसे सपा की जीत बताया। तर्क था कि बसपा और कांग्रेस ने चुनाव में बहिष्कार किया। सपा के कुल 46 सदस्य होने के बावजूद 60 वोट मिले, यह जीत का संकेत है। साथ ही दावा किया उन्हें भाजपा विधायकों ने भी वोट दिए हैं।

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