गुड सेमेरिटन की पहली सीढ़ी पर ही आगे नहीं बढ़ पा रहे जिम्मेदार नागरिक

दुर्घटना में घायल को पहले घंटे यानी गोल्डेन ऑवर में अस्पताल पहुंचाने की योजना पर अभी नहीं हो पाई ठोस पहल। पहली सीढ़ी पर ही जिम्मेदार नहीं बढ़ पा रहे आगे।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Thu, 22 Nov 2018 03:33 PM (IST) Updated:Fri, 23 Nov 2018 09:18 AM (IST)
गुड सेमेरिटन की पहली सीढ़ी पर ही आगे नहीं बढ़ पा रहे जिम्मेदार नागरिक
गुड सेमेरिटन की पहली सीढ़ी पर ही आगे नहीं बढ़ पा रहे जिम्मेदार नागरिक

लखनऊ, [नीरज मिश्र]। सड़क दुर्घटना में घायलों को तत्काल मेडिकल सहायता उपलब्ध कराने वाले मददगारों को नेक आदमी (गुड सेमेरिटन) बनाए जाने की पहली सीढ़ी पर ही जिम्मेदार अभी आगे नहीं बढ़ पाए हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद भी इस दिशा में ठोस पहल की कौन कहे प्रदेश के सरकारी और निजी अस्पतालों में जानकारी देने वाले बोर्ड तक नहीं लगवाए जा सके हैं। 

वर्ष 2016 में गुड सेमेरिटन बनाने के लिए केंद्र ने अस्पतालों में व्यापक प्रचार-प्रसार के साथ बोर्ड लगाए जाने को कहा। इसके लिए स्वास्थ्य और पुलिस विभाग की जिम्मेदारी तय की गई। आशय यह था कि दुर्घटना के दौरान गंभीर रूप से चोटिल होने वाले लोगों के लिए शुरुआती घंटे भर का समय 'गोल्डेन ऑवर' होता है। अगर घायल व्यक्ति समय से अस्पताल पहुंच जाए, तो कई जान बचाई जा सकती हैं। इसके लिए नेक आदमी को जोडऩे की पहल हो, जिससे दुर्घटना में घायल व्यक्ति को गुड सेमेरिटन समय से अस्पताल पहुंचा सके। इसके लिए कई अहम बिंदुओं पर निर्देश जारी हुए।

मुख्य बिंदु

पहला चिकित्सा और पुलिस विभाग वृहद स्तर पर लोगों को जागरूक करे। सरकारी और निजी अस्पतालों में नेक आदमी को जागरूक करने के लिए बोर्ड लगाएं जाएं। घायलों को अस्पताल पहुंचाने वाले व्यक्ति को गवाह बनाने के लिए पुलिस और चिकित्सालय बाध्य न करे। घायल का तत्काल इलाज शुरू हो। पुलिस नेक आदमी को पूछताछ के लिए थाने आने को बाध्य नहीं करेगी, बल्कि गुड सेमेरिटन की बताई जगह पर वह स्वयं पहुंचेगी। गुड सेमेरिटन को पुरस्कृत किया जाए। 

तुलनात्मक आंकड़े

जनवरी से सितंबर 2017

हादसे-28397

मृत-14654

घायल-20370

जनवरी से सितंबर 2018

हादसे-31731

मृत-16614

घायल-22306

क्या कहते हैं अफसर? 

सड़क सुरक्षा अपर परिवहन आयुक्त गंगाफल का कहना है कि बढ़ते आंकड़े चिंताजनक हैं। परिवहन विभाग की ओर से जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। आए हुए दिशा-निर्देशों को स्वास्थ्य, शिक्षा, पुलिस समेत सभी विभागों को भेज दिए गए थे। पूरा प्रोफार्मा भी बनाकर दिया गया है। इसमें बोर्ड के आकार और प्रिंटिंग कलर तक का जिक्र किया गया है। 

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