सैनिक की पत्नी को 41 वर्ष बाद मिली स्पेशल फैमिली पेंशन, सशस्त्र बल अधिकरण लखनऊ बेंच ने द‍िया आदेश

भारत सरकार ने 36 साल बाद मुकदमा दायर करने का विरोध करते हुए वाद को तत्काल खारिज किए जाने की मांग की। साथ ही कहा कि न्याय पाने का अधिकार सिर्फ उन्हीं लोगों को है जो अपने अधिकार के प्रति सजग हों न कि अपनी सुविधानुसार कोर्ट आने वाले को।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 08:00 PM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 11:58 AM (IST)
सैनिक की पत्नी को 41 वर्ष बाद मिली स्पेशल फैमिली पेंशन, सशस्त्र बल अधिकरण लखनऊ बेंच ने द‍िया आदेश
पीटी-परेड में ऑन डयूटी होता है जवान, मृत्यु पर परिवार स्पेशल फैमिली पेंशन का हकदार।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। सेना की यूनिट में रोजाना सुबह होने वाली पीटी-परेड में शामिल जवान उस समय भी ऑन डयूटी ही रहता है। पीटी सेना की नियमित दिनचर्या का ही हिस्सा है। ऐसे में पीटी के दौरान यदि जवान की मृत्यु हो जाती है तो उसे ऑन ड्यूटी मानकर आश्रित को स्पेशल पेंशन दी जानी चाहिए। सशस्त्र बल अधिकरण की लखनऊ बेंच ने पति की मौत के बाद स्पेशल फैमिली पेंशन के लिए भटक रही महिला के पक्ष में आदेश देते हुए यह तीखी टिप्पणी की है।

फर्रुखाबाद निवासी जगदीश सन 1971 में सेना की आर्टिलरी रेजीमेंट में गनर के रूप में भर्ती हुए थे। वर्ष 1980 में पीटी के दौरान उनके सीने में तेज दर्द होने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया। जहां उनको हार्ट फेल होने के कारण मृत घोषित किया गया। गनर जगदीश की पत्नी कलश कुमारी के स्पेशल फेमिली पेंशन के आवेदन को रक्षा मंत्रालय ने सन 1981 में खारिज करते हुए 1982 में सामान्य फैमिली पेंशन जारी कर दी। वर्ष 2016 में वादिनी ने फर्रुखाबाद सैनिक कल्याण बोर्ड के डीएस यादव से मुलाकात की। जिसके बाद उनके माध्यम से अधिवक्ता विजय कुमार पांडेय ने सशस्त्र बल अधिकरण की लखनऊ बेंच में वाद दायर किया।

भारत सरकार ने 36 साल बाद मुकदमा दायर करने का विरोध करते हुए वाद को तत्काल खारिज किए जाने की मांग की। साथ ही कहा कि न्याय पाने का अधिकार सिर्फ उन्हीं लोगों को है जो अपने अधिकार के प्रति सजग हों, न कि अपनी सुविधानुसार कोर्ट आने वाले को। अधिवक्ता विजय कुमार पांडेय ने दलील दी कि एक विधवा जिसकी आय का स्रोत न हो, कानूनी बारीकियों से परिचित न हो और लगभग अनपढ़ हो, उनके पेंशन संबंधी मामले को खारिज किया जाना न्यायोचित नहीं होगा। जिसे कोर्ट ने स्वीकार किया और मामले की सुनवाई की।

इसमें भी भारत सरकार ने कहा कि वादिनी का पति ड्यूटी पर नहीं था वह पीटी-परेड में शामिल था। इस पर वादिनी के अधिवक्ता ने ड्यूटी की परिभाषा और स्पेशल फैमिली पेंशन संबंधी कानूनों का हवाला दिया। अधिकरण के न्यायिक सदस्य अवकाशप्राप्त न्यायधीश उमेश चंद्र श्रीवास्तव और वाइस एडमिरल (अवकाश प्राप्त) अभय नाथ कार्वे ने सरकार की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि वादिनी स्पेशल फैमिली पेंशन की हकदार है। उसके पति की मृत्यु सेना की ड्यूटी के दौरान हुई है और उसे पति की मृत्यु की तारीख 27 अक्टूबर 1980 से स्पेशल फैमिली पेंशन चार महीने के अंदर जारी की जाए। निर्णय का पालन न करने पर नौ प्रतिशत ब्याज देना होगा।

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