कोरोना काल में गर्भवती और नौनिहालों की फिक्र, लखनऊ की समाज सेवी दे रहीं पौष्टिक आहार
लखनऊ के इंदिरानगर की बीना पांडेय। वह लखनऊ समेत आसपास जिलों में महिलाओं के लिए पोषण वाटिका के साथ गर्भवती को समय से मिलने पौष्टिक आहार का ध्यान भी रखती रहीं है वही भी कोरोना संक्रमण के विपरीत परिस्थितियों में।
लखनऊ [जितेंद्र उपाध्याय]। कहते हैं एक महिला ही दसरी महिला दर्द समझती हैं, लेकिन ऐसी कुछ अलग महिलाएं होती हैं जाे उनके दर्द का महसूस भी करती हैं। केवल महसूस ही नहीं उसे दूर करने का प्रयास भी बड़ी शिद्दत से करती हैं। उन्हीं की श्रेणी में आती हैं, इंदिरानगर की बीना पांडेय। वह लखनऊ समेत आसपास जिलों में महिलाओं के लिए पोषण वाटिका के साथ गर्भवती को समय से मिलने पौष्टिक आहार का ध्यान भी रखती रहीं है, वही भी कोरोना संक्रमण के विपरीत परिस्थितियों में।
उनका कहना है संवेदनाओं की शून्यता का बढ़ाना, ऐसा नहीं है कि संवेदनाएं खत्म हो गई हैं, बस सामाजिक बदलाव के साथ उसमे भी बदलाव आया है। कोरोना संक्रमण काल में मास्क के साथ ही पौष्टिक आहार और महिलाओं के लिए दलिया, दूध, प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ के साथ ही अन्य सामग्री का वितरण किया। बीना का कहना है कि परिवार से जो संस्कार आपको बचपन में मिलते वह जिंगदी के साथ हर मोड़ पर आपको आगे बढ़ने की प्ररेणा देते हैं। झोपड़पट्टी में महिलाओं को देखकर लोग गरीबी का एहसास तो जरूर करते हैं, लेेकिन जब उनके बारे में करने की बारी आती है तो बगली झांकने लगते हैं। मैं कहने के बजाय करने में विश्वास रखती हूं और मेरे माता पिता ने यही शिक्षा भी दी थी। एक बार फिर कुदरत का कहर संक्रमण की लहर के रूप में आया है, ऐसे सभी को खुद को बचने के साथ ही आसपास के लोगों को भी बचने की प्रेरणा देनी चाहिए। बचाव ही सुरक्षा है इस मंत्र को सभी को समझना होगा, तभी हम इस संक्रमण की महामारी से बच सकेंगे। सीमित संसाधनो के बीच जान जोखिम में डालकर हमारे चिकित्सा, सुरक्षा व प्रशासनिक अधिकारी लगे रहते हैं जिसका हम सभी को सम्मान करना चाहिए।