वाह आरुषि : सीतापुर में किशोरी ने पाकेट मनी बचाकर बनवा दिया शौचालय, दिव्यांग को अब नहीं जाना पड़ेगा खेत
कमलापुर निवासी आरुषि को हुई तो वह रामलाल के पास राशन लेकर पहुंची। इस दौरान रामलाल के शरीर पर कुछ घाव दिखे। पूछा तो रामलाल ने बताया कि शौच जाते वक्त खेत में कटीले तार में फंसकर गिर गए और घायल हो गए। बताया कि घर पर शौचालय नहीं है।
सीतापुर, जेएनएन। दिव्यांग रामलाल के लिए सोलह साल की आरुषि ने वो कर दिया, जो सिस्टम तक नहीं कर पाया। रामलाल दृष्टिबाधित हैं और घर पर शौचालय न होने की वजह से उन्हें खेत में जाना पड़ता था। कई बार वह गिरकर चोटिल हो जाते थे। यह बात आरुषि को पता चली तो उसने पांच महीने तक अपनी पाकेट मनी बचाई। इसके बाद उसने अपनी पाकेट मनी से रामलाल के लिए शौचालय बनवा दिया। अब रामलाल को खुले में शौच नहीं जाना पड़ेगा।
कसमंडा ब्लाक के महोली निवासी रामलाल बचपन दृष्टिबाधित हैं। अपनी गुजर-बसर के लिए वह धार्मिक कार्यक्रमों में ढोलक बजाते हैं। पिछले वर्ष लाकडाउन में आयोजनों पर प्रतिबंध लगा। इस दौरान रामलाल के समक्ष भी रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। इस बात की जानकारी कमलापुर निवासी आरुषि को हुई तो वह रामलाल के पास राशन लेकर पहुंची। इस दौरान रामलाल के शरीर पर कुछ घाव दिखे। उसने पूछा तो रामलाल ने बताया कि शौच जाते वक्त खेत में लगे कटीले तार में फंसकर गिर गए और घायल हो गए। उन्होंने बताया कि घर पर शौचालय नहीं है। आर्थिक स्थिति भी ऐसी नहीं है कि वह घर पर शौचालय बनवा सकें। यहीं से आरुषि ने रामलाल के लिए शौचालय बनवाने की ठान ली।
ऐसे जुटाई रकम
कमलापुर निवासी 12वीं की छात्रा आरुषि छोटी सी उम्र में लोगों की मदद करने के लिए जानी जाती है। वह छात्राओं की भी मदद करती रहती है। उनकी मां रेखा तिवारी इस कार्य में बेटी की मदद करती हैं। आरुषि ने रामलाल के बारे में बताया तो मां भी मदद के लिए राजी हो गईं। इसके बाद आरुषि ने पांच महीने तक अपनी पाकेट मनी से दो-दो हजार रुपये बचाए। पांच हजार रुपये परिवारजन से लिए। इस तरह 15 हजार रुपये जुटाए और दिव्यांग के लिए शौचालय बनवा दिया।
मजदूरी नहीं दे रहा विभाग : बकौल, रामलाल उसे प्रधानमंत्री आवास आवंटित किया गया था। अभी मजदूरी का लगभग 15 हजार रुपये नहीं मिला है। कई बार गुहार लगाई मगर, शौचालय का लाभ भी नहीं मिल सका है।
'आवास आवंटित है तो मजदूरी और शौचालय भी मिलना चाहिए। हमें रामलाल के बारे में जानकारी नहीं है। सोमवार को बीडीओ कसमंडा से इसे दिखवाता हूं। - एके सिंह, परियोजना निदेशक, डीआरडीए