99 Years of Lucknow Zoo: उमराव जान से मशहूर हो गई लखनऊ के चिड़ि‍याघर की बारादरी

99 Years of Lucknow Zoo 1827 से 1837 के बीच लखनऊ के नवाब नसीरुद्दीन हैदर ने बनारसी बाग के रूप में इसकी स्थापना की थी और उसी समय इस बारादरी का निर्माण भी कराया था। यहां आने वाले दर्शकों में बारादरी को देखने की उत्सुकता आज भी बरकरार है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Wed, 02 Dec 2020 07:26 AM (IST) Updated:Wed, 02 Dec 2020 12:18 PM (IST)
99 Years of Lucknow Zoo: उमराव जान से मशहूर हो गई लखनऊ के चिड़ि‍याघर की बारादरी
निर्माता- निर्देशक मुजफ्फर अली ने 1981 में बनाई थी फिल्म।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। रेखा, फारूख शेख और नसीरुद्दीन शाह अभिनीत फिल्म उमराव जान ह‍िंदी फिल्मों में एक नगीने की तरह है। यूं तो फिल्म का हर गाना कामयाब हुआ, लेकिन 'दिल चीज क्या है आप मेरी जान लीजिए... गाने ने प्रशंसकों में दिल में एक खास जगह बनाई। यह गाना नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान की बारादरी में ही शूट हुआ था। यही बारादरी, जहां चिडिय़ाघर घूमने आने वाले बैठकर पिकनिक मनाते हैं। निर्माता-निर्देशक मुजफ्फर अली द्वारा 1981 में निर्मित इस फिल्म के माध्यम से यह बारादरी रुपहले पर्दे पर छा गई और मशहूर हो गई। 1982 में इसी गाने की बदौलत रेखा को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का अवार्ड भी मिला था। यहां आने वाले दर्शकों में बारादरी को देखने की उत्सुकता आज भी बरकरार है।

1827 से 1837 के बीच हुआ निर्माण

ब्र‍िट‍िशकाल में 29 नवंबर 1921 को प्रि‍ंस आफ वेल्स के स्वागत में तत्कालीन अंग्रेज गवर्नर सर हरकोर्ट बटलर ने देशी-विदेशी वन्यजीवों के साथ चिडिय़ाघर की स्थापना की थी, लेकिन 1827 से 1837 के बीच लखनऊ के नवाब नसीरुद्दीन हैदर ने बनारसी बाग के रूप में इसकी स्थापना की थी और उसी समय इस बारादरी का निर्माण भी कराया था। प्राण उद्यान के निदेशक आरके सि‍ंह ने बताया कि बनारस से आए आम के पेड़ों की वजह से इसका नाम बनारसी बाग पड़ा था।

फिरंगियों की सैरगाह के रूप में प्रचलित होने के साथ ही बनारसी बाग का नाम बदलकर प्रि‍ंंस ऑफ वेल्स जूलोजिकल गार्डन ट्रस्ट कर दिया गया, लेकिन अंग्रेजों ने बारादरी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। नवाबी कला के रंग को अपने आंचल में समेटे संगमरमर से बनी बारादरी में अभी भी दर्शक पिकनिक मनाने के लिए बैठते हैं। 

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