आइईटी लखनऊ के शिवेंद्र ने जरूरतमंद छात्रों के ल‍िए बनाया एक खास एप, जान‍िए कैसे करता है काम

इंजीनियरिंग के छात्रों ने बनाया एप 25 हजार से अधिक लोगों ने किया डाउन लोड। इस एप पर जरूरतमंद मेधावी विद्यार्थी किताबों को मांग करते हैं और एप के माध्यम से लोग किताबों को अपने खर्च पर भेज देते हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 11:12 AM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 01:10 PM (IST)
आइईटी लखनऊ के शिवेंद्र ने जरूरतमंद छात्रों के ल‍िए बनाया एक खास एप, जान‍िए कैसे करता है काम
एप से आर्थिक रूप से कमजोर मेधावियों को दे सकते हैं अपनी किताबें।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। कहते हैं यदि आपके अंदर कुछ करने का जज्बा हो तो मंजिल मिल ही जाती है। आइईटी लखनऊ के बीटेक तीसरे साल के छात्र शिवेंद्र पांडेय के अंदर अपने से गरीब विद्यार्थियों की मदद करने का जज्बा वैसे तो बचपन से ही था लेकिन पढ़ाई के दौरान अपने साथियों के साथ मिलकर कुछ अलग करना चाहते थे। मेधावियों को ज्ञान का तोहफा देने की मन में ठान ली और अपने साथियों के साथ एप बनाने की शुरुआत कर दी। इस साल जनवरी में इस पर मंथन शुरू हुआ और लाकडाउन में सभी ने एक दूसरे की मदद कर एक ऐसा मोबाइल एप बनाया जिसमे किताबों का आदान-प्रदान आपकी सुविधा के अनुरूप हो सकता है।

गरीब मेधावी विद्यार्थी किताबों को मांग करते हैं और एप के माध्यम से लोग किताबों को अपने खर्च पर भेज देते हैं। कोरोना काल के बाद से गूगल एप में रजिस्टर एप को 25 हजार लोगों ने मोबाइल फोन पर डाउन लोड किया है। शिवेंद्र ने बताया कि स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए अनुदान देने वाली एक मल्टीनेशन कंपनी के पास आवेदन किया गया तो उन्होंने इसके फायदों की जानकारी के साथ परीक्षण किया और बाजार के अनुरूप तैयार करने और रोजगार की संभावनाओं से जोड़ने की वकालत की। शिवेंद्र व साथियों ने इसमे बदलाव कर निश्शुल्क के साथ सशुल्क करने के साथ ही किताबों, नोट्स को खरीदने और बेचने के प्लेट फार्म के रूप में तैयार किया। आप्शन होगा कि आप अपनी किताबें बेचना चाहते हैं या गरीब मेधावी को दान करना चाहते हैं। छात्रों ने एक कंपनी की परीक्षा पास कर 2.5 करोड़ का अनुदान प्राप्त किया है।

ऐसे करेगा काम : अपनी किताबें बेचना चाहते हैं या दान करना चाहते हैं, आपको बस उस पुस्तक का विज्ञापन पुस्तकें एप पर पोस्ट करना होगा। डिलीवरी एजेंट इसे उठाएगा और खरीदार को डिलीवरी सुनिश्चित करेगा। डिलीवरी के बाद, राशि विक्रेता के बैंक खाते में जमा की जाएगी। इंजीनियरिंग चिकित्सा की तैयारियों के साथ ही 70 तरह की प्रतियोगिताओं के लिए किताबें व नोट्स मौजूद हैं। शिवेंद्र ने बताया कि आयुष खंडेलवाल, ऋषभ धीमन,अरविंद अरोरा, तानिश गुप्ता व शुभम गुप्ता के सहयोग से यह एप बना है। कोई भी इस लिंक https://play.google.com/store/apps/details?id=com.pustakey.pustakey पर जाकर एप डाउन लोड कर सकता है।

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