लखीमपुर में शारदा का तटबंध कटा, बहराइच में उफनाई घाघरा; सैकड़ों एकड़ फसल जलमग्न

गुरुवार की रात शारदा नदी ने समदहा गांव में तटबंध तोड़ दिया। इसकी आशंका एक दिन पहले ही हो गई थी। लेकिन तहसील प्रशासन ने यहां से लोगों को निकालने के एहतियाती कदम नहीं उठाए। गुरुवार रात तटबंध टूटने के बाद पूरा समदहा गांव नदी बन गया।

By Vikas MishraEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 12:50 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 03:40 PM (IST)
लखीमपुर में शारदा का तटबंध कटा, बहराइच में उफनाई घाघरा; सैकड़ों एकड़ फसल जलमग्न
गोंडा में भी बाढ़ ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। सकरौर-भिखारीपुर तटबंध पर खतरा मंडराने लगा है।

लखीमपुर, संवाद सूत्र। गुरुवार की रात शारदा नदी ने समदहा गांव में तटबंध तोड़ दिया। इसकी आशंका एक दिन पहले ही हो गई थी। लेकिन, प्रशासन ने यहां से लोगों को निकालने के जरूरी कदम नहीं उठाए। गुरुवार रात तटबंध टूटने के बाद पूरा समदहा गांव जलमग्न हो गया। हालांकि, शुक्रवार सुबह प्रशासन सक्रिय हुआ। डीएम अरविंद चौरसिया ने खुद कमान संभाली और एसपी विजय ढुल, एएसपी अरुण कुमार सिंह के साथ गांव पहुंचे। डीएम ने नाव और स्टीमर के जरिये बाढ़ में फंस गए 116 लोगों को बाहर निकलवाया। कुछ लोगों ने घर छोड़ कर आने से इंकार कर दिया। निकाले गए लोगों को प्राथमिक स्कूल भाव्वापुर खुर्द में ठहराया गया है।

एडीओ पंचायत योगेंद्र वर्मा को इनके लिए खाना बनवाने की जिम्मेदारी दी गई। समदहा के बाद नदी का पानी तेज बहाव के साथ आस पास के गांव रैनी, बमहौरी, राजापुर भज्जा आदि में फैल रहा है। यह गांव पहले से भरे हुए हैं। ऐसे में यहां हालात और खराब हो रही है। बेलवा, सरसवां, रसूलपुर, रेहुआ, बसंतापुर, हरदी जाने वाले रास्तों पर तेज बहाव के साथ पानी चल रहा है। बेलवा में पूर्व मंत्री रहे यशपाल चौधरी के घर और रसूलपुर के चौधरी बेचेलाल महाविद्यालय में भी नदी का पानी घुस गया है। कई बार गोकुल पुरस्कार जीतने वाले वरुण चौधरी की गोशाला में भी करीब चार फीट पानी बह रहा है। ऐसे में रेस्क्यू किये गए बाढ़ पीड़ितों को ठहराने के लिए सुरक्षित जगह की किल्लत भी सामने है। बताया जा रहा है कि बाढ़ के पानी से सैकड़ों एकड़ फसल जलमग्न हो गई है। 

समर्दा, मूड़ी, रैनी और ऐरा में भी कट सकता है तटबंधः शारदा नदी का जलस्तर अगर ऐसे ही बढ़ता रहा तो समर्दा, रैनी, मूड़ी और ऐरा में भी तटबंध कट सकता है। इन गांवों के पास तटबंध में खतरनाक दरारें बन चुकी हैं। रैनी में हाल ही में कराया गया करोड़ों का प्रोजेक्ट वर्क भी खतरे में है। ऐरा में नदी का पानी तटबंध से ऊपर से बह रहा है। इसके बावजूद इन जगहों पर बचाव व राहत के काम ढीले हैं। तटबंध बनाने वाला सिंचाई विभाग भी मैडम छोड़ चुका है।

गोंडा में सकरौर-भिखारीपुर तटबंध पर मंडराया खतरा, नदी में समाई सुरक्षा दीवार: बाढ़ ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। सकरौर-भिखारीपुर तटबंध पर खतरा मंडराने लगा है। तटबंध को बचाने के लिए बनाई गई सुरक्षा दीवार नदी में समा गई। वहीं, पांच ग्रामीणों के घर भी कटान की भेंट चढ़ गए। सिंचाई विभाग की लापरवाही मुसीबत बढ़ा सकती है। तटबंध पर सिर्फ पांच मजदूर लगाए गए हैं। शुक्रवार को नदियों का जलस्तर बढ़ने के साथ ही बाढ़ ने तबाही मचाना शुरू कर दिया है। तरबगंज तहसील के ऐलीपरसौली में नदी तेजी से कटान कर रही है। विशुनपुरवा गांव के पास नदी सकरौर-भिखारीपुर तटबंध में कटान कर रही है। तटबंध को बचाने के लिए बनाई गई सुरक्षा दीवार नदी में समा गई। इसी स्थान पर गत वर्ष तटबंध टूटा था। वहीं, कटान की जद में आने से पांच ग्रामीणों के घर भी नदी में समा गए।

ब्योंदामाझा, जबरनगर, बहादुरपुर, परास, गढ़ी गांव में भी मार्ग जलमग्न हो गए हैं। करीब एक हजार बीघा बीघा फसल नदी में डूब गई है। नवाबगंज में भी बाढ़ का पानी तबाही मचा रहा है। यहां बाढ़ का पानी नदी से निकलकर खेत-खलिहान होते हुए गांव में पहुंच गया है। लोग सुरक्षित स्थान पर पलायन कर रहे हैं। परसपुर के चंदापुर किटौली में भी ग्रामीणों की दिक्कतें बढ़ गई हैं। यहां लोग एल्गिन-चरसड़ी तटबंध के स्पर पर डेरा जमाए हुए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अभी तक कोई राहत नहीं मिली है। अधीक्षण अभियंता सिंचाई पंचदशम मंडल त्रयंबक त्रिपाठी का कहना है कि नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। एल्गिन ब्रिज पर घाघरा नदी खतरे के निशान से 75 व अयोध्या में सरयू नदी 29 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। घाघरा नदी में 4.85 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज हो रहा है। उन्होंने बताया कि तटबंध की निगरानी के साथ ही बचाव कार्य तेज करने के निर्देश दिए गए हैं।

घाघरा का रौद्र रूप, लाल निशान से 76 सेंमी ऊपरः पहाड़ों पर भारी बारिश थमने के बावजूद यहां की नदियां उफान पर हैं। शुक्रवार को सुबह आठ बजे तीनों बैराजों से चार लाख 85 हजार 33 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। हालांकि कल के मुकाबले बैराजों से छोड़े जाने वाले पानी में कमी आई है, लेकिन मात्रा इतनी ज्याद है कि अगले 24 घंटे तक जल स्तर में कमी आना नामुमकिन नजर आ रहा है। जलस्तर एक सेंटीमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चढ़ रहा है। मिहींपुरवा, नानपारा, महसी एवं कैसरगंज तहसील के 110 गांवों में बाढ़ का पानी फैल गया है।शुक्रवार को सुबह आठ बजे एल्गिन ब्रिज पर घाघरा का जलस्तर लाल निशान 106.07 मीटर के सापेक्ष 106.826 मीटर रिकॉर्ड किया गया। यहां घाघरा लाल निशान से 76 सेंटीमीटर ऊपर बह रही हैं।

सरयू ड्रेनेज खंड प्रथम के सहायक अभियंता बीबी पाल ने बताया कि शारदा बैराज से तीन लाख 20 हजार 926, गिरिजापुरी बैराज से एक लाख 55 हजार 130 व सरयू बैराज से 9004 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। इससे एक लाख हेक्टेयर से अधिक फसल तबाह हो गई हैं। हजारों ग्रामीणों के घरों में कई फीट तक पानी भर चुका है। ऐसे बाढ़ प्रभावित परिवारों की जिंदगी फिर दुश्वार हो गई है। हजारों परिवार बेलहा-बेहरौली तटबंध, सड़क की पगडंडी अथवा ऊंचे स्थानों पर तिरपाल के नीचे पहुंच गए हैं। किसानों की धान की फसल बाढ़ के पानी मे डूब गई है। कई किसानों की कटी फसल बह गई है। अब फसलों के बचने की उम्मीद पूरी तरह जमीदाेज हो गई है।

जिले की नदियों का जलस्तर  नदी                   बैराज          लाल निशान       जलस्तर घाघरा                गिरजापुरी    136.80            135.60 घाघरा                एल्गिन ब्रिज 106.07             106.826 सरयू                  गोपिया        133.50            131.40 शारदा                शारदा         135.49            136.25 (जलस्तर मीटर में है)

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